Bhoot Ki Khani – वो डरावनी रात

Bhoot Ki Khani – वो डरावनी रात

केसरी गाँव मे दो भाई रामजी और श्यामजी रहते थे। दोनों भाइयो मे बहुत ही प्रेम था। बड़ा भाई रामजी शहर मे नौकरी करता था। नौकरी से मिले पैसे श्यामजी को देता था, जिससे वह घर अच्छे से चलाता था, साथ मे खेती भी देखता था। घर मे माँ भी थी, पिता गुजर चुके थे, लेकिन छोटी उम्र मे ही रामजी की शादी कर दिए थे। रामजी की पत्नी को बच्चा होने वाला था। लड्डू बनाने के लिए माँ ने श्यामजी को दूसरे गाँव घी लेने के लिए भेजा था। श्यामजी के पास सायकिल नहीं थी, पैदल जाने मे बहुत समय लगता, क्योंकि दूसरा गाँव दूर था। श्यामजी ने अपने दोस्तो से सायकिल मागी पर उसे सायकिल किसी ने नहीं दी, उन दिनों सायकिल जिसके पास रहती थी, वह बड़ा आदमी कहलाता था।

जाना जरूरी था, इस लिए श्यामजी पैदल ही चल दिया, चलते-चलते थक गया, रास्ते मे एक कुआ  मिला, औरते पानी भर रही थी। श्यामजी ने उनसे पानी माग कर पिया। फिर थोड़ी देर पेड़ की छाव मे आराम करने का बाद दूसरे गाँव की ओर चल दिया। दूसरे गाँव पहुचते -पहुचते शाम हो गई, अब श्यामजी ने घी लिया, घी लेकर वापस चल दिया। जब श्याम जी घी लेकर निकला था। तब चबूतरे मे एक बाबा रेडियो सुन रहे थे, श्यामजी ने उनसे पूछा बाबा कितने बजे हैं तो उन्होने बताया बेटा पाँच बजे हैं। श्यामजी ने सोचा जल्दी -जल्दी कदम चलाउगा तो रात ग्यारह बजे तक घर पहुच जाऊंगा।

कार्तिक का महीना चल रहा था। इस लिए दिन जल्दी डूब जाया करता था। श्यामजी का गाँव अब बस दो किलोमीटर कि ही दूरी बची थी। अब श्यामजी को लग रहा था कि थोड़ी देर मे पहुच जाएगे। श्यामजी के पैर जल्दी-जल्दी चलने के कारण दर्द कर रहे थे,जिस वजह से उसने अपनी स्पीड कम कर दी और आराम से चलने लगा, अचानक उसे लगा कि कोई उसके पीछे चल रहा हैं। श्यामजी ने पीछे मुड़ कर देखा तो कोई नहीं था। उसे लगा रात ज्यादा हो गई है कोई जानवर होगा, फिर अचानक ज़ोर -ज़ोर से हवा चलने लगी।

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श्यामजी को लगा कि मौसम खराब होने वाला हैं, लगता हैं बारिश होगी, मुझे जल्दी चलना चाहिए, कि अचानक श्यामजी के सामने एक काला -काला आदमी खड़ा हो गया, उसके कपड़े सफ़ेद थे। बाल जमीन तक लटक रहे थे। देखने मे बहुत ही भयानक था। श्यामजी समझ गया कि यह कोई बहुत बड़ा भूत हैं। वह डर गया, तभी उसे पिता की एक बात याद आई कि बेटा अगर कभी भी डर लगे तो हनुमान चालीसा का पाठ कर लेना डर भाग जाएगा।

श्यामजी ज़ोर-ज़ोर से पाठ करने लगा, वह भूत गायब हो गया, लेकिन फिर भी झड़ियो से आवाज आ रही थी, श्यामजी को पता था कि वह मेरे सामने से तो हट गया है। पर मेरा पीछा अभी भी कर रहा है। श्यामजी  के घर से थोड़ी दूर पहले उसकी मौसी का घर पढ़ता था। श्यामजी ने सोचा अगर मै अपने घर जाने को सोचा तो यह आज नहीं छोड़ेगा इस लिए, श्यामजी ने जल्दी से मौसी के घर की तरफ कदम बढ़ाया, घर पहुच कर उसने मौसी को आवाज लगाई। जैसे ही मौसी ने दरवाजा खोला श्यामजी बेहोश हो गया।

सुबह जब होश आया तो श्यामजी ने देखा की उसके बिस्तर के चारो तरफ मौसी-मौसा उनके बच्चे बैठे हैं, मौसी ने पूछा – क्या हुआ था तुझे?

श्यामजी ने सारी बात बताई तब मौसी ने एक बाबा को बुला कर श्यामजी को दिखाया। बाबा ने बताया की अगर यह हनुमान चालीसा ना पढ़ता तो वह इसे मार देता। अब श्यामजी ने कसम खाई की कभी भी रात को कोई काम करने नहीं जाएगा।