Duniya Ke Saat Ajoobe : दुनिया के हम सात अजूबों के बारे में आज इस लेख में पढ़ेंगे। आज भी दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें दुनिया के सेवन वंडर्स ऑफ वर्ल्ड नहीं पता है। इसलिए आज हमने इस लेख को लिखने का तय किया है और हम आपको दुनिया के सात अजूबे के बारे में बताएंगे साथ में उनकी तस्वीरों को भी आपके साथ साझा करेंगे। पुराने समय से ही दुनिया के अजूबों के बारे में लोगों को जानने की बहुत रूचि है। प्राचीन समय से ही दुनिया भर में मौजूद अजीबोगरीब और आश्चर्य में डाल देने वाले चीजों की सूची पुराने समय से बनाई जा रही है। एक दस्तावेज के अनुसार 22 वर्ष पहले ग्रीस के राजा दुनिया भर में मौजूद दुनिया के अजूबों की सूची तैयार करते थे।
लेकिन उस समय के चुने गए अजूबे अब लगभग नष्ट हो चुके हैं इसलिए वर्तमान समय में नए अजूबों को चुना गया है। कुछ इंजीनियर और शोधकर्ताओं ने दुनिया में मौजूद कुछ नए जीवों की सूची तैयार की लेकिन उन अजूबों पर दुनिया की सहमति नहीं मिल पा रही थी इसलिए यह निर्णय लिया गया की दुनिया भर में मौजूद आश्चर्य में डाल देने वाली इमारतों की सूची बनाई जाएगी और पूरे दुनिया भर में इसके लिए वोट कराया जाएगा। और इसके बाद जिन साथ इमारतों को या स्थानों को सबसे ज्यादा वोटिंग मिलेगी उसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया जाएगा।
प्रकृति स्वयं भी दुनिया भर में कहीं ना कहीं कोई ना कोई अजूबा बनाती रहती है लेकिन जब कोई इंसान या फिर इंसानों के समूह के द्वारा कोई ऐसी चीज बना दे जिसे देखकर लोग आश्चर्य में पड़ जाए ऐसे अजूबों को मानव निर्मित अजूबे माने जाते हैं और आज हम दुनिया के ऐसे सात अजूबों के बारे में जानने जा रहे हैं जो मानव के द्वारा बनाए गए सबसे आश्चर्य में डाल देने वाले स्थान और इमारत है।
दुनिया के सात अजूबे | Duniya Ke Saat Ajoobe
- चीन की दीवार
- ताजमहल
- पेट्रा
- क्राइस्ट रिडीमर
- माचू पिच्छू
- कोलोजियम
- चिचेन इत्जा
दुनिया के सात अजूबे कैसे चुने गए
दुनिया के नए आश्चर्य में डाल देने वाले सात अजूबों को चुनने का विचार 1999 में कुछ लोगों को आया था। इस तरीके से दुनिया भर में मौजूद अजीब और रोचक इमारतों को चुनने के लिए इसकी शुरुआत स्विट्जरलैंड से की गई थी और इसके लिए एक फाउंडेशन का निर्माण किया गया था। इस फाउंडेशन ने दुनिया भर में मौजूद आश्चर्य में डाल देने वाली इमारतों की सूची बनाई थी जिसमें विश्व भर के करीब 200 धरोहरों की सूची शामिल की गई थी। इसके बाद इंटरनेट और मोबाइल के द्वारा एक ऑनलाइन वोटिंग कराई गई इस बूटिंग में लगभग 100 मिलियन लोगों ने इंटरनेट और फोन के माध्यम से दुनिया के सात अजूबों को चुनने के लिए वोटिंग में भाग लिया था। यह वोटिंग काफी लंबे समय तक चली और 2007 में इसका रिजल्ट आया। जिसके बाद दुनिया के नए सात अजूबों के बारे में हमने जाना।
चीन की दीवार
चीन की विशाल दीवार को बनाने के लिए मिट्टी और पत्थर का इस्तेमाल किया गया है यह दीवाल एक किले नुमा दीवाल है। इस दीवार का निर्माण चीन के कई शासकों ने करवाया था जिससे कि चीन की रक्षा उत्तरी हमलावर उसे की जा सके। चीन के इस दीवाल का निर्माण कार्य पांचवी शताब्दी से प्रारंभ हुआ था और लगातार इस दीवाल को बनाने का काम चलता रहा और यह काम 16 वीं शताब्दी तक निरंतर जारी था यह दिवाल इतनी लंबी है कि इस दीवाल को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। इस दीवार की लंबाई 6700 किलोमीटर तक क्षेत्र में फैली हुई है। इस दीवार के निर्माण के लिए मिंग वंश ने लगभग 1000000 से अधिक लोगों को इसमें शामिल किया था। एक अनुमान के अनुसार इस बड़ी दीवार के निर्माण में लगभग 20 से 3000000 लोगों का जीवन लग गया था।
इस दीवाल को बनाने के लिए मिट्टी और कंकड़ को सांचे में दबाकर बनाई गई ईटों का इस्तेमाल किया गया था। ईटों को आपस में जोड़ने के लिए चावल के गोल का इस्तेमाल भी किया गया था।
भारत का ताजमहल
ताजमहल सफेद संगमरमर से बनाई गई एक इमारत है जोकि उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे बनाई गई है। लोगों का ऐसा मानना है की शाहजहां ने 1631 में इसको बनाने का कार्य प्रारंभ किया था लेकिन दूसरी तरफ भारत के राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी लोगों का मानना है कि यह एक शिव मंदिर था जिस पर अवैध रूप से कब्जा करके उसे पुनर्निर्माण करके एक मकबरे का शक्ल दे दिया गया।
लेकिन बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि शाहजहां ने इसे अपनी कई पत्नियों में से एक मुमताज महल के लिए बनवाया था। मुमताज महल अपने 14 में बच्चे को जन्म देते हुए मर गई थी और उसी की याद में शाहजहां ने इस ताजमहल नाम की सफेद संगमरमर से बनी हुई मकबरे का निर्माण कराया। ऐसा पश्चिमी इतिहासकार और भारत के वामपंथी इतिहासकारों का मानना है।
ऐसा माना जाता है कि 1693 इसमें यह ताजमहल नाम का मकबरा बनकर तैयार हुआ था। इसमें लगभग 32 मिलियन रुपए खर्च हुए थे जोकि 2020 में 70 बिलियन रुपए के बराबर माने जा सकते हैं। ताजमहल को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट की मान्यता दी गई है यह मान्यता 1983 में की गई थी। हालांकि भारत में ऐसी बहुत सारी इमारतें हैं जिनको देखकर लोगों के होश उड़ जाएंगे लेकिन वोटिंग में लोगों के द्वारा ताजमहल का चुनाव किया गया। माना जाता है कि ताजमहल को बनाने के लिए जिन सामानों की आवश्यकता थी उन सामानों को ढूंढने के लिए एक हजार हाथियों का इस्तेमाल किया गया था और लगभग 22000 मजदूरों को ताजमहल के निर्माण के लिए लगाया गया था।
पेट्रा का पुराना शहर
जॉर्डन देश में एक प्राचीन और पुरातात्विक शहर पेट्रा बसा हुआ है। यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है। पेट्रा दुनिया के सबसे पुराने शहरों में गिना जाता है। इस शहर का निर्माण छठवीं शताब्दी से माना जाता है। यह कभी नाबातियान साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। 106 ईसवी में यह शहर रोमन साम्राज्य के अधीन आ गया था उस समय यहां पर लगभग 20000 लोग निवास किया करते थे।
यह शहर मृत सागर और लाल सागर के बीच में बसा हुआ है। यहीं से सिल्क रूट निकलकर भारत की ओर जाता था। पुराने समय में यह रेशम और मसाला व्यापार के रास्तों का सबसे प्रमुख जंक्शन हुआ करता था। स्विट्जरलैंड के खोजकर्ता जोहान लुडविग ने इस शहर की खोज 1812 में की थी। 363 ईस्वी में आए एक खतरनाक भूकंप के बाद लगभग आधा शहर नष्ट हो गया था और 11 वीं शताब्दी के अंत तक इसके कई महल नष्ट हो गए थे और लोग इसे भूल गए थे। 2007 में पेट्रा को दुनिया के सात अजूबों की सूची में शामिल किया गया था। यूनेस्को ने पेटरा को 1985 में विश्व धरोहर के रूप में चिन्हित किया था। यह शहर पहाड़ों की चट्टानों में बसाया गया था पहाड़ों को भीतर से खोदकर ईद में घर मकान और पूजा स्थल बनाए गए थे। इस शहर का नाम यूनानी शब्द पेट्रोस से लिया गया है जिसका मतलब चट्टान होता है। छठवीं शताब्दी के आसपास मुसलमानों ने इस शहर को उजाड़ दिया था
ब्राज़ील का क्राइस्ट द रीडिमर
यह ब्राज़ील मे स्थित एक ईशु की मूर्ति हैं, जिसकी उचाई 98 फिट हैं। यह मूर्ति भी दुनिया के सात अजूबो मे से एक हैं। इस मूर्ति का निर्माण फ्रांस के इंजीनियर अल्बर्ट कैक्वॉट ने ब्राज़ील के इंजीनियर के हैइटर दा सिल्वा के मिलकर किया था।
यह मूर्ति हवा मे अपने दोनों हाथो को फैलाये हुये हैं, दोनों हाथो के फैलाने से इसकी चौड़ाई 28 मीटर हो जाती हैं। इसका वजन 635 मैट्रिक टन हैं। यह ब्राज़ील के रियो शहर मे नेशनल पार्क तिजूका फ़रेस्ट मे स्थित हैं। यह मूर्ति कोरकोवाड़ों नामके पर्वत के शिखर मे मौजूद हैं। यह मूर्ति सुनिया भर मे ईसाई धर्म की प्रतीक मनी जाती हैं। इस मूर्ति का निर्माण 1922 और 1931 के बीच मे किया गया था।
पेरु का माचू पिच्चू
माचू पिच्चू दुनिया का एक लोकप्रिय और प्रसिद्ध स्थानों में से एक हैं। यह एक शहर है जिसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है। माचू पिच्चू एक प्राचीन स्थल है और इसको लेकर लोगों को बहुत प्रकार के प्रश्न हैं जैसे यह कब अस्तित्व में आया था और इसे किसने बनवाया था। यह शहर लगभग 8 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है जो की लैटिन अमेरिका के पेरू नाम के देश के उरूबाबा घाटी के पास एक ऊंचे पहाड़ पर बसा हुआ है। माचू पिच्चू का अर्थ होता है पुरानी चोटी और इसीलिए इसका नाम यह रखा गया है क्योंकि यह एक पुरानी चोटी पर बसाया गया था। इस शहर का निर्माण इंका साम्राज्य के लोगों द्वारा लगभग 15 वीं शताब्दी के बीच में करवाया गया था। यह शहर एक राजसी संपत्ति के साथ साथ धार्मिक स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त था। उस समय के इंका जाती के सम्राट पचकुटेक के आदेश से माचू पिच्चू नामके इस शहर का निर्माण कराया गया था। 16 वीं शताब्दी में स्पेन से आए आक्रमणकारियों ने यहां पर दमनकारी नीति के साथ अपना अधिकार जमा लिया जिसके बाद इंका सभ्यता खत्म हो गई।
इस शहर की खासियत यह है कि इस शहर में लगभग 3000 पत्थर की सीढ़ियां बनी हुई है इस शहर को बनाने के लिए किसी भी प्रकार के धातुओं के औजार और परियों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस जगह के निर्माताओं ने शहर के लिए सिर्फ एक ही प्रवेश द्वार बनाया था जिससे कि आक्रमण के वक्त इस जगह की सुरक्षा की जा सके। यह शहर गुमनामी में गुम हो चुका था लेकिन 1911 में यह दुनिया के सामने अमेरिकी पुरातत्वविद हीराम बिंघम के द्वारा खोज कर लाया गया था। इस शहर में रहने वाले लोगों का सफाया स्पेनिश आक्रमणकारी के द्वारा तथा बाद में चेचक महामारी के द्वारा हो गया था।
इटली का कोलोजियम
यूरोप के देश इटली की राजधानी रॉम मे 2000 साल पुराना बना यह एंफीथिएटर कोलोजियम स्थित हैं। जो की दुनिया के सात अजूबो की सूची मे शामिल हैं। ऐसा माना जाता हैं की यह दुनिया का पहला मनोरंजन केंद्र था।
यह एक प्राचीन और ऐतिहासिक इमारत हैं। जो की समय और मौसम की चपेट मे कई बार आ चुका हैं जिसकी वजह से इसकी स्थिति जर्जर हालत में थी। इसकी हालत को सुधारने के के लिए पिछले कई वर्षो से पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा हैं। जो की लगभग पूरा हो चुका हैं। अभी तक इस पुनर्निर्माण मे लगभग 130 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यह स्थल यूरोप आने वाले पर्यटको के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। इस जगह को विदेशी पर्यटकों के लिए भी खोला जाता हैं। इस कोलोजियम का निर्माण कार्य उस समय के सम्राट वेस्पेसियन ने 2000 साल पहले शुरू किया था। इस कोलोजियम की उचाई लगभग 171 फीट हैं। रॉम साम्राज्य मे कैद किए गए गुलामो के बीच द्वंद युद्ध कराया जाता था, उस समय यह निर्मम लड़ाई को मनोरंजन के लिए देखा जाता था। यह लड़ाई इस कोलोजियम मे होती थी, और शहर के सभी नागरिक इस लड़ाई को देखने के लिए आया करते थे।
मैक्सिको का चिचेन इत्जा
मैक्सिको दुनिया के खूबशूरत देशो मे से एक हैं। पर्यटको के लिए यहाँ घूमने के लिए कई शानदार जगह हैं, इनहो खूबसूरत जगह मे से एक जगह चिचेन इत्जा हैं। यह दुनिया के सात अजूबो मे से एक हैं। इसे 2007 मे दुनिया के नए सात अजूबो मे शामिल किया गया था। यह जगह मैक्सिको के यूकाटन नाम के राज्य मे स्थित हैं। यह लगभ्गा 1200 वर्ष पुराना स्थल हैं। इस स्थान का निर्माण पूर्व कोलम्बियाई के माया सभ्यता के लोगो ने किया था। इसका निर्माण 9 शताब्दी मे किया गया था जो की 12 शताब्दी मे पूरा हुआ था। माया सभ्यता के लिए यह एक पवित्र स्थान था। यह चार वर्ग मील मे फैला हुआ शहर था। यहाँ बड़ी संख्या मे लोग घूमने आते हैं।
इस शहर का सबसे आकर्षक स्थाल हैं यहाँ पर मौजूद एल काइस्टिलो पिरामिड, यह पिरामिड सीढ़ीदार बने हुये हैं। पिरामिड के सबसे ऊपर एक मंदिर हैं। वर्तमान मे अब मंदिर जाने पर रोक लगी हुई हैं। इस जगह की सबसे अजीब बात ये हैं की यहाँ पर अजीब अजीब से आवाज़े आती रहती हैं। अगर यहाँ पर कोई ताली बजाए तो वह तल्ली की आवाज 9 बार आती हैं।