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जून माह में ग्यारस कब की है | Gyaras Kab Hai 2024

जून माह में ग्यारस कब हैं? June 2023 me gyaras kab hai

जून माह में दो ग्यारस हैं पहला ग्यारस 02 जून 2024 को अपरा एकादशी हैं जबकि दूसरी ग्यारस 18 जून 2024 (निर्जला ग्यारस) को हैं।

जून महीने की पहली ग्यारस रविवार के दिन 02 जून और 3 जून 2024 को हैं। कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष मे पड़ने वाली ग्यारस को अपरा एकादशी कहते हैं।

  • अपरा ग्यारस कब है -> 02 जून 2024 (उदयातिथि)(ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष)
  • अपरा ग्यारस का समय – 02 जून को सुबह 05:04 से लेकर अगले दिन 03 जून की सुबह 02:41 बजे तक रहेगा।
  • अपरा ग्यारस का व्रत पारण समय – 03 जून  2024 को सुबह के 08:05 AM से सुबह 08:10 AM तक

जून माह की दूसरी ग्यारस 18 जून के दिन मंगलवार को हैं जिसकी जानकारी आप नीचे देख सकते हैं। ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी (ग्यारस) को निर्जला एकादशी कहते हैं।

  • निर्जला ग्यारस कब है– 18 जून 2024 (उदयातिथि) (ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष)
  • निर्जला ग्यारस का समय – 17 जून 2024 को सुबह के 04:43 AM से 18 जून की सुबह के 06:24 AM तक हैं।
  • व्रत पारण का समय -> 19 जून 2024 को सुबह 05:24 AM से सुबह 07:28 AM तक

निर्जला एकादशी का महत्व

पूरे एक वर्ष मे 24 एकादशी होती हैं, उन 24 एकादशी मे निर्जला एकादशी का महत्व बहुत ही अधिक होता हैं। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ के महीने मे आती हैं यह भयंकर गर्मी वाले दिन होते हैं। और इस गर्मी मे बिना पानी पिये इस व्रत को रखना होता हैं। इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता हैं। यह मतावपूर्ण एकादशी के साथ-साथ कठोर एकादशी के रूप मे जानी जाती हैं। निर्जला एकादशी को पांडव एकादशी या फिर भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जानते हैं। पांडव मेन दूसरे नंबर के पांडव भीम खाने पीने को बहुत मानते थे, लेकिन सभी पांडव और पांचाली एकादशी का व्रत रखती थी। इसलिए भीम को भी एकादशी का व्रत रखना पड़ता था, लेकिन यह उनके लिए बहुत ही दुष्कर था। तब भीम जी वेद व्यास जी के पास गए और अपनी समस्या को बताया, तब वेद व्यास जी ने उन्हे बताया की निर्जला एकादशी सभी एकादशी के बराबर हैं, इसलिए तुम साल मे एक ही एकादशी का व्रत करो। इसलिए निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।

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परमा एकादशी का महत्व

परमा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है. यह हर साल पुरुषोत्तम मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है. इस दिन, भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, विशेष रूप से उन भक्तों की जो मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखते हैं. परमा एकादशी की कथा के अनुसार, एक समय में एक राजा था जो बहुत ही धार्मिक था. वह हर दिन भगवान विष्णु की पूजा करता था. एक दिन, राजा को स्वप्न में भगवान विष्णु ने दर्शन दिए और कहा कि अगर वह परमा एकादशी का व्रत रखेगा तो उसे मोक्ष प्राप्त होगा. राजा ने व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की. अगले दिन, राजा को मोक्ष प्राप्त हुआ.

परमा एकादशी का व्रत रखने से कई लाभ होते हैं. इस व्रत को रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और मोक्ष प्राप्त होता है. इस व्रत को रखने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है.

पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है. यह हर साल शुक्ल पक्ष में पड़ती है. इस दिन, भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, विशेष रूप से उन भक्तों की जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं.

पुत्रदा एकादशी की कथा के अनुसार, एक समय में एक दंपति था जो संतान प्राप्ति के लिए बहुत दुखी था. उन्होंने कई उपाय किए, लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं हुई. एक दिन, वे एक ऋषि के पास गए और उनसे मदद मांगी. ऋषि ने उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा. दंपति ने व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की. अगले दिन, उन्हें एक पुत्र हुआ.

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पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने के नियम इस प्रकार हैं:

  1. व्रत से एक दिन पहले रात को सात्विक भोजन करना चाहिए.
  2. व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए.
  3. भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए.
  4. व्रत के दिन उपवास करना चाहिए.
  5. शाम को भगवान विष्णु की आरती करना चाहिए.
  6. व्रत के बाद भोजन करना चाहिए.

पुत्रदा एकादशी का व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है. इस व्रत को रखने से सभी भक्तों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

ग्यारस और एकादशी मे अंतर | gyaras aur ekadashi me antar

एकादशी को ही ग्यारस कहा जाता हैं, एकादशी संस्कृत शब्द हैं जबकि ग्यारस हिन्दी का एक रूप हैं। भारत के हिन्दी आधारित राज्य के देहाती क्षेत्रो मे एकादशी को ही ग्यारस के नाम से जानते हैं।

ग्यारस का महत्व | Gyaras kab hai

हिन्दू धर्म मे ग्यारस यानि की एकादशी का बड़ा ही महत्व हैं। ऐसा माना जाता हैं की जो व्यक्ति ग्यारस के दिन व्रत रहता हैं और पूजा-पाठ करता हैं, उसको सभी पापो से मुक्ति मिल जाती हैं। जो व्यक्ति ग्यारस के दिन व्रत करता हैं उसके घर मे हमेशा सुख और समृद्धि का वास होता हैं। ग्यारस के दिन भगवान विष्णु को चन्दन और जौ चढ़ाया जाता हैं तथा हिन्दू लोग ग्यारस के दिन घर मे चावल का सेवन नहीं करते हैं। ग्यारस के दिन धर्म-कर्म करने से मोक्ष प्राप्त होता हैं। इस लिए ग्यारस का दिन हिन्दू पंचांग एवं व्रत मे सबसे उत्तम माना गया हैं।

कामदा एकादशी के लाभ | kamda ekadashi ke labh

कामदा एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के पाप से मुक्ति मिलती हैं। कामदा एकादशी चैत्र के महीने मे शुक्ल पक्ष मे पड़ती हैं। अँग्रेजी कलेंडर के हिसाब से यह एकादशी मार्च या फिर अप्रैल के महीने मे पड़ती हैं।

वारुथिनी एकादशी के लाभ | varuthini ekadashi ke labh

वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष मे पड़ने वाली एकादशी को वारुथनी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं। वारुथिनी एकादशी को करने से उपासक को बैकुंठ की प्राप्ति होती हैं। जीवन खुशियों से भरा होता हैं। रुके हुए काम पूर्ण होते हैं। मन की चिंताओ से मुक्ति मिलती हैं।

जया एकादशी के व्रत का लाभ | jaya ekadashi ke vrat ka labh

पद्म पुराण मे बताया गया हैं की जो व्यक्ति जया एकादशी यानि की माघ महीने की शुक्ल पक्ष की ग्यारस का व्रत करेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अधम योनि से उसे मुक्ति मिलती हैं। भगवान कृष्ण ने स्वयं अर्जुन को भी इस एकादशी व्रत के महत्व के बारे मे बताया था। जया एकादशी यानि की फरवरी महीने की पहली ग्यारस 1 फरवरी 2023 को पड़ रही हैं।

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विजया एकादशी के व्रत का लाभ | vijaya ekadashi ke vrat ka labh

विजया एकादशी के व्रत को सभी व्रत का सबसे उत्तम व्रत माना गया हैं। भगवान राम ने भी इस व्रत का पालन किया था। इस व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति अपने जीवन की सभी चुनतियों का सामना सफलतापूर्वक करते हैं और हर चुनौतियों और कठिनाइयो मे उन्हे जीत मिलती हैं।

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