Hindi Story of Tenali Rama – Sadhu aur Bhagvaan

Hindi Story of Tenali Rama – Sadhu aur Bhagvaan

राजा कृष्णदेव राय एक विशाल मन्दिर बनवाना चाहते थे। उन्होंने अपने मंत्री को बुलवाया। उससे उपयुक्त स्थान खोजने को कहा।

मंत्री ने नगर के समीप जंगल के एक टुकड़े को चुना। राजा की सहमति से उसे साफ कराने का काम शुरू कर दिया गया।

साफ होते जंगल के बीचों बीच किसी पुराने मंदिर के खंडहर मिले। उन खंडहरों में भगवान विष्णु की एक आदमकद स्वर्ण-प्रतिमा भी मिली। सोने की ठोस मूर्ति देख मंत्री को लालच आ गया। चुपके से उसे उठाकर घर ले गया।

मजदूरों में तेनालीराम के आदमी थे। उन्होंने तेनालीराम को सारी बात बता दी।

यह सुनकर तेनालीराम सोच में डूब गया।

भूमि-पूजन होने के बाद मंदिर-निर्माण होने लगा। एक दिन राजा ने दरबारियों से पूछा कि, “भगवान की मूर्ति कैसी बनवाई जाए?”

किसी ने कुछ कहा, तो किसी ने कुछ। – राजा कुछ तय नहीं कर पाए। तभी दरबार में जटा जूटधारी एक सन्यासी आया।

बोला- “महाराज, मैं आपकी चिन्ता जानता है। रात को भगवन ने सपने में मुझे दर्शन दिए। उन्हीं का संदेश लेकर आया हूँ।”

राजा ने पूछा- “भगवान का संदेश! शीघ्र बताइए संन्यासी जी।”

साधु ने हाथ में पकड़ा हुआ चिमटा उठाया। कहा- “राजन, भगवान ने स्वयं अपनी आदमकद स्वर्ण-प्रतिमा मंदिर  के लिए भेज दी है। इस समय वह मंत्री के घर में है। उसे वहाँ से मंगवाकर मंदिर में प्रतिष्ठित कर दो।”

कहकर साधु चला गया।

राजा ने मंत्री की ओर देखा। सच के सामने वह सकपका गया। स्वर्ण-प्रतिमा की बात उसने कबूल कर ली। राजा ने चारों ओर देखा। तेनालीराम वहाँ नहीं था। थोड़ी देर में तेनालीराम आया।

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उसे देख सभी हंस पड़े। बोले – “महाराज, शायद यह थे, साधु बाबा। कपड़े और जटा तो उतार आए, मगर कंठी-तिलक उतारना भूल गए।”

राजा भी देखकर हंस पड़े। बोले -“अब मूर्ति तेनालीराम की देखरेख में रहेगी।”

मंत्री बेचारा खीजकर रह गया।

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