2023 मे होलाष्टक कब हैं | holashtak 2023 kab hai
फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टमी प्रारम्भ हो जाती हैं, 2023 मे होलाष्टमी फरवरी के महीने मे सोमवार के दिन 26 फरवरी और 27 फरवरी 2023 की बीच की रात को 12:58 AM पर अष्टमी प्रारम्भ होगी और 27 फरवरी और 28 फरवरी 2023 की बीच रात को 2:21 पर अष्टमी समाप्त हो जाएगी। लेकिन होलाष्टमी 26 फरवरी और 27 फरवरी 2023 के बीच रात 12:58 AM पर प्रारम्भ होगा और होलिका दहन के दिन समाप्त होगा
शुक्ल पक्ष की अष्टमी मे और क्या होता हैं?
फाल्गुन के महीने मे शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन होलाष्टमी प्रारम्भ होती तो हैं लेकिन इसके अलावा मासिक दुर्गा अष्टमी भी मनाई जाती हैं। हर महीने मासिक दुर्गा अष्टमी मनाई जाती हैं। मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन श्रद्धालु व्रत रहते हैं। लेकिन सभी दुर्गा अष्टमी मे सबसे श्रेष्ठ अष्टमी महा अष्टमी होती हैं जो की अश्वनी महीने मे शारदीय नवरात्रि मे आती हैं।
होलाष्टक क्या हैं? | Holashtak Kya Hai?
हिन्दी के महिना फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पुर्णिमा तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता हैं। होली दहन से पहले के 8 दिन को ही होलाष्टक कहा जाता हैं जो की फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से प्रारम्भ होता हैं। होलाष्टक से लेकर होलिका दहन तक के दिन को हिन्दू संस्कृति मे इन दिनो को अशुभ माना जाता हैं और कोई भी शुभ कार्य इन दिनो मे प्रारम्भ नहीं किया जाता हैं। होलाष्टक का पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत मे मनाया जाता हैं। जबकि दक्षिण भारत मे होलाष्टक को लेकर कुछ खास रुचि नहीं होती हैं।
होलाष्टक को अशुभ क्यो माना जाता हैं? | holashtami ko ashubh kyo
होलाष्टक से लेकर होलिका तक के समय को होलाष्टक माना गया हैं, इस आठ दिनो मे मांगलिक कार्य करने की मनाही हैं। इन दिनो मे मांगिल्क कार्य को करना अशुभ माना जाता हैं। होलाष्टक के अशुभ होने के तीन कारण बताए गए हैं। पहली कहानी का संबंध भक्त प्रहलद से हैं जबकि दूसरी कहानी कामदेव जी से और तीसरा संबंध ज्योतिष शस्त्र से हैं।
कारण 1 : भक्त प्रहलद पर किए गए थे होलाष्टक मे अत्याचार
हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था वह अपने आप को भगवान मानता था और उसके राज्य में जो भी किसी और को भगवान मानता था वह उसे मृत्युदंड दे देता था। हिरण्यकश्यप के 1 पुत्र था उस पुत्र का नाम प्रहलाद था प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था और वह हर समय भगवान विष्णु का ध्यान किया करता था। हिरण्यकश्यप को इसके बारे में पता चला तो उसने अपने पुत्र को बहुत समझाया कि विष्णु उसके पिता का शत्रु है लेकिन प्रहलाद का विश्वास भगवान विष्णु से नहीं उठा और वह लगातार भगवान विष्णु की पूजा आराधना किया करता था। तथा अपने पिता के द्वारा किए जा रहे जघन्य अपराधों की भी आलोचना करता था। इसलिए हिरण कश्यप अपने पुत्र प्रहलाद का विरोधी हो गया और होलाष्टक यानी कि फागुन की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लगातार अपने पुत्र को प्रताड़ित कर रहा था।
लेकिन हिरण्यकश्यप की प्रताड़ना का कोई भी प्रभाव प्रहलाद पर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा था तब हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने एक युक्ति सोची। होलिका को भगवान ब्रह्मा ने ना जलने का वरदान दिया था इसलिए होलाष्टक के आठवें दिन यानी फागुन की पूर्णमासी के दिन होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाकर जलती हुई अग्नि पर बैठ गई लेकिन भगवान से आपसे प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और उल्टा आग से ना जलने वाली होली का आग की लपटों में स्वयं जलने लगी। होलाष्टक से लेकर होलिका दहन तक खेड़ा कश्यप में प्रहलाद को प्रताड़ित किया था इसीलिए इन 8 दिनों को शुभ नहीं माना जाता है और होलाष्टक से लेकर होलिका दहन तक किसी भी प्रकार के शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।
होलाष्टक 2023 में कौन से कार्य वर्जित हैं
- विवाह करना
- वाहन खरीदना
- घर खरीदना
- भूमि पूजन
- गृह प्रवेश
- 16 संस्कार
- यज्ञ हवन या होम
- नया व्यापार शुरू करना
- नए वस्त्र या कोई वस्तु खरीदना
- यात्रा करना
होलाष्टक को ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से अच्छा नहीं माना गया है बल्कि इसे दोषपूर्ण माना गया है। नए विवाहिताओं को इस दौरान अपने मायके में रहने के लिए कहा जाता है। होलाष्टक में विवाह नए निर्माण एवं नए कार्यों को आरंभ नहीं करना चाहिए। होलाष्टक में प्रारंभ किए गए कार्यों से कई प्रकार के कष्ट पीड़ा ओं की आशंका रहती है। जिन लोगों की शादी होलाष्टक के समय होती है उनका सारा जीवन लड़ाई झगड़े में बितता है। तथा जल्दी तलाक होने की नौबत भी आ जाती है।
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