जासूस कौन होते हैं
जासूस उन लोगो को कहा जाता हैं जो लोग गुप्त रूप से जानकारी एवं सूचना को इकट्ठा करते हैं। जासूस आमतौर पर किसी सरकार, संगठन या व्यक्ति के लिए जासूसी का कार्य करते हैं। जासूस अपनी पहचान (असली नाम, पता) छुपाते हैं और नए परिचय के साथ काम करते हैं, और विभिन्न तरीकों और तकनीको का इस्तेमाल करते हुये अपने जासूसी के काम को अंजाम देते हैं। जैसे निगरानी, घुसपैठ, छल, तकनीकी साधन और साक्षात्कार। जासूसी का काम खतरनाक और मुश्किलों से भरा हुआ होता हैं। कई बार जासूसों को पकड़े जाने और कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ता हैं और अक्सर कानूनी कार्यवाही में उन्हे फांसी की सजा का भी सामना करना पड़ता हैं।
भारत में कई प्रसिद्ध जासूस रहे हैं जिन्होंने देश के लिए अतुल्य साहस और त्याग का परिचय देते हुये विदेश में रहकर भारत के लिए जासूसी का काम किया है। “ब्लैक टाइगर” के नाम से प्रसिद्ध रविन्द्र कौशिक, भारतीय जासूसी के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध जासूसी नामों में से एक हैं। 1971 में पाकिस्तानी सेना में शामिल होने के लिए उन्होंने अपनी पहचान बदल ली और 17 साल तक भारत के लिए महत्वपूर्ण जानकारी जुटाते रहे। 1990 में उनकी असली पहचान का खुलासा होने पर उन्हें फांसी दे दी गई।
इस तरह से “द ब्लैक प्रिंस” के नाम से जाने जाने वाले विनोद कुमार ने 1980 के दशक में पाकिस्तान में रहकर भारत के लिए जासूसी की थी। उन्होंने पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा की थी और 1987 में उन्हें पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया था।और उन्हे भी फांसी की सजा सुनाई गई थी।
नताशा सिंह एक रॉ एजेंट थीं, जिन्होंने 2000 के दशक में पाकिस्तान में रहकर भारत के लिए जासूसी की थी। उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा की थी और उन्हें 2007 में पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया था। 2019 में उन्हें रिहा कर भारत वापस लाया गया था।
“ब्लू टाइगर” के नाम से मशहूर राजिंदर खन्ना ने भी पाकिस्तानी सेना में घुसपैठ करके महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की थी। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्हें पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया था और 1974 में उन्हें फांसी दे दी गई थी।
जासूस और खबरी में अंतर
जासूस किसी संस्था से बाहर का व्यक्ति होता है, जो नाम बदलकर संस्था में रहकर गुप्त रूप से जानकारी इकट्ठा करता है। जबकि मुखबिर संस्था में पहले से ही कार्य कर रहा होता हैं, पैसे या फिर किसी और लालच की वजह से वह संस्था में होने वाली गतिविधि को किसी खुफिया एजेंसी को देने लगता हैं।
जासूस आमतौर पर एक प्रशिक्षित एजेंट होता है, जासूस को जासूसी कला से संबन्धित ट्रेनिंग दी जाती हैं, जासूस को पता होता हैं की उसे किस स्थिति में क्या निर्णय लेना हैं। जासूस को अपने कार्य के सबसे बुरे परिणाम के बारे में भी पता होता हैं, जैसे की अगर वह पकड़ा जाएगा तो उसे मौत की सजा मिल सकती हैं।
लेकिन खबरी कोई प्रशिक्षित व्यक्ति नहीं होता हैं। न ही उसे जासूसी का कोई अनुभव होता हैं। उसे किसी प्रकार का लालच देकर, उस संस्था की जासूसी कारवाई जाती हैं, जिस संस्था में वह पहले से ही कार्य कर रहा होता हैं। किसी संस्था की जनकरी को प्राप्त करने के लिए खुफिया एजेंसी उसी संस्था के सबसे कमजोर व्यक्ति को खोजती हैं, जो लालच में या फिर डर कर खबरी बन जाता हैं। जैसे अखबारो में पढ़ने को मिलता हैं की पाकिस्तान की सुंदर लड़कियो के चक्कर में पड़ कर कुछ भारतीय मजबूरी में खुफिया जानकारी को उन लड़कियो के साथ साझा कर रहे थे। कई बार को खबरी को पता भी नहीं होता हैं की वह खबरी के रूप में कार्य कर रहा हैं। इसे हनी ट्रेप भी कहा जाता हैं।
नीचे दैनिक भास्कर का एक लेख हैं जिसमे लड़की के चक्कर में पड़ कर एक लड़का पाकिस्तान को खुफिया जानकारी दे रहा था।-> क्लिक हियर