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MP GK – मध्यप्रदेश की प्रमुख फसलें और उनके क्षेत्र

कृषि मध्य प्रदेश का सबसे पुराना और महत्वपूर्ण व्यवसाय है जोकि प्रदेश के खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करता है इसके साथ ही राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रदेश की फसलों को खरीफ रवि व जायद फसलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। जिसमें खाद्यान्न तिलहन दलहनी और नगदी फसलें उगाई जाती हैं। मध्य प्रदेश में कौन सी फसलें उगाई जाती हैं उनके बारे में नीचे हम संक्षिप्त विवरण दे रहे हैं।

गेहूं की फसल

गेहूं रवि के मौसम में उगाई जाने वाली एक फसल है। मध्य प्रदेश में उत्पादन होने वाले फसलों में गेहूं की फसल महत्वपूर्ण है। काली मिट्टी में होने वाली फसल पश्चिमी मध्य प्रदेश के सभी जिलों में उगाई जाती है। यह जिले उज्जैन, इंदौर, रतलाम, देवास, मंदसौर, झाबुआ, विदिशा और सागर है। इन जगहों में गेहूं का उत्पादन किया जाता है।

चावल की फसल

चावल की फसल खरीफ सीजन में बोई जाती है। चावल हर जगह नहीं होता है, चावल 100 से 125 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र तथा लाल व पीली मिट्टी में होने वाली फसल है। मध्यप्रदेश में चावल मुख्य रूप से बघेलखंड में पैदा होता है। चावल का उत्पादन करने वाले जिले बालाघाट, मंडला, सीधी, छिंदवाड़ा, बैतूल, रीवा और सतना आदि है।

ज्वार की फसल

मध्य प्रदेश का ज्वार उत्पादन में महाराष्ट्र के बाद दूसरा स्थान है। ज्वार एक खरीफ की फसल है जो प्रदेश के मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, राजगढ़, शाहजहांपुर, देवास, खंडवा और खरगोन आदि जिलों में उगाई जाती है।

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चना की फसल

चना के उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान रखता है। चना दलहनी तथा रबी फसल है। चना का उत्पादन मध्य प्रदेश के होशंगाबाद, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, गुना, विदिशा, उज्जैन, मंदसौर, धार, भिंड, मुरैना और रीवा आदि जिलों में होता है।

अरहर की फसल

दालों में अरहर एक महत्वपूर्ण फसल होता है। जो खरीफ की तरह जुलाई-अगस्त में बोई जाती है तथा मार्च-अप्रैल में काटी जाती है। अरहर का उत्पादन राज्य पूर्वी व दक्षिणी हिस्से में होता है। इसके उत्पादक क्षेत्र बैतूल, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, ग्वालियर, मुरैना आदि है।

तिल की फसल

तिल खरीफ की फसल है जो हल्की मिट्टी व कम वर्षा वाले क्षेत्र में उगाई जाती है। मध्यप्रदेश में तिल की खेती छतरपुर, होशंगाबाद, शिवपुरी एवं सीधी में की जाती है।

अलसी की फसल

भारत में सर्वाधिक अलसी का उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। यह खरीफ की फसल है। प्रदेश में इसके उत्पादक जिले बालाघाट, सतना, रीवा, होशंगाबाद, झाबुआ, गुना आदि हैं।

सरसों की फसल

सरसों रवि की खेती है। जिस समय गेंहू बोया जाता है उसी समय सरसों भी बोया जाता है। मध्यप्रदेश में इसके सर्वाधिक उत्पादक जिले ग्वालियर, भिंड और मुरैना हैं।

सोयाबीन की फसल

देश में सोयाबीन उत्पादन की दृष्टि से मध्य प्रदेश का स्थान प्रथम है। इसीलिए मध्य प्रदेश को सोयाबीन प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है। देश के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग 80% सोयाबीन मध्यप्रदेश में उगाया जाता है। प्रदेश में इसका उत्पादन प्रमुख रूप से इंदौर, उज्जैन, रतलाम, धार, सिवनी, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, गुना, सीहोर, शाहजहांपुर आदि जिलों में होता है।

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कपास की फसल

कपास मध्य प्रदेश की सर्वाधिक महत्वपूर्ण नकदी फसल है। कपास की खेती प्रदेश के खरगोन, खंडवा, धार, इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम जिले में की जाती है।

गन्ना की फसल

चीनी उद्योग की दृष्टि से गन्ना एक महत्वपूर्ण फसल है, यह फसल ऊंचे तापमान एवं अधिक वर्षा में होने वाली है, मध्य प्रदेश के उज्जैन, सीहोर, जावरा, शिवपुरी, मुरैना, शाजापुर, देवास आदि जिलों में होता है।

इन सबके अतिरिक्त मध्यप्रदेश में मूंगफली खरगोन, धार, मंदसौर में उगाया जाता है, अफीम की खेती मंदसौर और नीमच में की जाती है, जबकि गांजे की खेती खंडवा और बुरहानपुर जिलों में की जाती है।

प्रदेश में विभिन्न भागों में पाई जाने वाली मिट्टी, जलवायु तथा सिंचाई सुविधा के अनुसार खाद्यान्न, दलहनी, तिलहनी व नगदी फसलों का उत्पादन किया जाता है। इन फसलों के उत्पादन में जहां प्रदेश एक और खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बन रहा है। दलहन उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। जबकि तिलहन उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। लेकिन क्षेत्रीय भौगोलिक असमानता, मानसून पर निर्भरता, आधुनिक कृषि तकनीकों का अभाव आदि कारणों से प्रदेश की कृषि फसलों से लक्षित उत्पादन नहीं मिल पा रहा है। जिसे प्राप्त करने के लिए तथा कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में प्रदेश की सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

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