नन्दा का अकेलापन
आज हम बात कर रहे हैं 60 और 70 के दशक की खूबसूरत अभिनेत्री नंदा के बारे में। नंदा भी आम लड़कियों की तरह किसी से बेइंतहा प्यार किया करती थी। लेकिन नंदा को उनका सच्चा प्यार कभी नहीं मिला और वह सारी उम्र कुंवारी रही। नंदा ने अपनी सारी उम्र तनहाई में गुजारी और अंत में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
नन्दा का परिचय
नंदा का पूरा नाम नंदा दामोदर था। इनका जन्म 8 जनवरी 1939 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। नंदा के पिता विनायक दामोदर मराठी फिल्मों के अभिनेता और निर्देशक थे। नंदा के सात भाई-बहन थे, जिसमें नंदा सबसे छोटी थी। नंदा ने बहुत कम उम्र से ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था।
नन्दा का फिल्मी सफर
सन 1944 में जब नंदा 5 साल की थी, तभी एक दिन स्कूल से वापस आई तो उनके पिता ने कहा चलो तुम्हें शूटिंग में जाना है और तुम्हारे बाल भी छोटे करवाने हैं। नंदा ने अपने पिता से कहा मैं कोई शूटिंग नहीं करूंगी और ना ही अपने बाल ही कटवाऊंगी। लेकिन नंदा के पिता नहीं माने और नंदा की मां को नंदा को समझाने को कहा। तब कहीं जाकर नंदा अपने मां के कहने पर शूटिंग करने के लिए तैयार हुई।
फिल्म का नाम था मंदिर फिल्म के निर्देशक थे नंदा के पिता विनायक दामोदर। लेकिन फिल्म पूरी होने से पहले ही अचानक नंदा के पिता इस दुनिया से चल बसे। नंदा के पिता के गुजर जाने के बाद उनके घर की स्थिति खराब हो गई। नंदा ने छोटी सी उम्र में ही घर चलाने के लिए फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। नंदा का चेहरा काफी मासूम और भोला दिखाई देता था। नंदा असलियत में जैसी थी वैसी ही दिखती थी। नंदा काफी शर्मीली स्वभाव की थी। बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि नंदा गाना भी बहुत अच्छा गाती थी, उनकी आवाज में बहुत ही मिठास थी।
नंदा 10 साल की उम्र में ही मराठी फिल्मों की अभिनेत्री बन गई थी। दिनकर पाटील की निर्देशित मराठी फिल्म कुल देवता के लिए नंदा को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया था।
हिन्दी सिनेमा मे नन्दा की एंट्री
हिंदी सिनेमा में नंदा की एंट्री 1957 में वी शांताराम की फिल्म तूफान और दीया से हुई थी। नंदा ने सन 1969 में आई फिल्म छोटी बहन में एक्टर राजेंद्र कुमार के साथ राजेंद्र कुमार की अंधी छोटी बहन का किरदार निभाया था। इस फिल्म में नंदा ने इतना अच्छा अभिनय किया था कि दर्शकों ने नंदा की खूब तारीफ की थी। परंतु नंदा को कहीं ना कहीं फिल्म छोटी बहन करने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। छोटी बहन फिल्म करने के बाद नंदा को छोटी बहन के रोल ही ऑफर होने लगे थे। नंदा के कैरियर में छोटी बहन का टैग लग गया था। नंदा को इसी रोल के लिए फिट माना जाने लगा था। यहां तक कि कई लोग उन्हें अपनी बहन बनाना चाहते थे और उनसे राखी बंधवाना चाहते थे।
एक्टर राजेंद्र कुमार के साथ नंदा की एक और फिल्म धूल का फूल रिलीज हुई और यह फिल्म सुपर हिट रही। यह फिल्म नंदा के करियर का टर्निंग प्वाइंट रही, इस फिल्म से नंदा को एक अलग पहचान मिली, इसके बावजूद भी बहन के रोल लगातार ऑफर होते ही रहे। सन 1960 में एक्टर देवानंद के साथ आई फिल्म काला बाजार में नंदा ने देवानंद की बहन का रोल निभाया। नंदा ने कई फिल्में की लेकिन सबसे ज्यादा उनकी जोड़ी बनी एक्टर शशि कपूर के साथ और इस जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
शशि कपूर के साथ नंदा ने 9 फिल्में की थी। नंदा की शशि कपूर के साथ सबसे ज्यादा हिट फिल्म रही जब जब फूल खिले यह फिल्म सन 1965 में रिलीज हुई थी। नंदा ने अपने दौर के हर बड़े अभिनेता के साथ काम किया था। कई हिट फिल्म देने के बावजूद भी नंदा वह मुकाम हासिल नहीं कर पाई जो वह करना चाहती थी। नंदा प्रतिभा की धनी थी परंतु उनकी प्रतिभा को सही ढंग से दर्शकों के सामने नहीं पेश किया जा सका। नंदा ने बहुत कोशिश की अपनी छोटी बहन की छवि को बदलने की पर वह नहीं कर पाई। समय के साथ नंदा को भी समझ आ गया था कि अब उनका सफर फिल्मी दुनिया में खत्म होने वाला है। जिस वजह से नंदा ने धीरे-धीरे बॉलीवुड से दूरी बनाना ही सही समझा। नंदा की आखिरी फिल्म अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरी के साथ प्रेम रोग थी, जिसमें नंदा ने पद्मिनी की मां का रोल निभाया था।
नन्दा का अमर प्रेम
नंदा आजीवन कुमारी रही, उन्होंने अपने बारे में कभी नहीं सोचा, वे सारी जिंदगी परिवार की जरूरते ही पूरा करती रह गई। एक्ट्रेस नंदा डायरेक्टर मनमोहन देसाई से मन ही मन बहुत ज्यादा प्रेम करती थी। मनमोहन देसाई को भी नंदा से प्रेम था। मनमोहन को इंतजार था कि नंदा अपने प्यार का इकरार करें, परंतु नंदा इतनी शर्मीली थी कि वह मनमोहन से अपने प्यार का इजहार ना कर सकी। काफी इंतजार करने के बाद आखिर में मनमोहन देसाई ने किसी और से शादी कर ली। नंदा को जब मनमोहन की शादी के बारे में पता चला तो उन्हें बहुत तकलीफ हुई। लेकिन गलती तो नंदा की ही थी। नंदा तन्हा जीवन जीती रही, फिर अचानक ही कुछ सालों बाद मनमोहन देसाई की पत्नी का निधन हो गया। मनमोहन देसाई अकेले हो गए ऐसे में उन्हें अपने पहले प्यार नंदा की याद आई और उन्होंने बिना देरी किए ही इस बार खुद नंदा के पास जाकर शादी करने का प्रपोजल रखा।
मनमोहन ने नंदा से कहा – क्या तुम मुझसे शादी करोगी।
नंदा ने तुरंत ही हामी भर दी थी। उस वक्त नंदा की उम्र 52 वर्ष थी, नंदा और मनमोहन ने सगाई भी कर ली लेकिन अभी शादी में थोड़ा वक्त था। मनमोहन अपनी फिल्म को लेकर बिजी थे। सगाई के 2 साल बाद ही अचानक मनमोहन देसाई की छत से गिरने की वजह से मौत हो गई। एक बार फिर नंदा अकेली हो गई, शायद उनके नसीब में प्यार और शादी करना लिखा ही नहीं था। नंदा ने मनमोहन से सगाई करते ही उन्हें अपना पति मान लिया था। इसलिए मनमोहन की मौत के बाद जब नंदा कहीं जाती थी तो सफेद साड़ी ही पहनती थी। नंदा के इक्का-दुक्का ही दोस्त थे। एक्ट्रेस वहीदा रहमान और माला सिन्हा से उनकी अच्छी दोस्ती थी। जिनके साथ नंदा थोड़ा बहुत समय बिताती थी।
नन्दा का देहावसान
25 मार्च 2014 को नंदा की उम्र 75 साल की थी जब वह इस दुनिया से हमेशा के लिए चली गई। नंदा के बारे में कहा जाता है कि वह इतनी बदकिस्मत थी कि उन्हें जीवन में ना तो प्यार मिला और ना ही शादी हुई। वह आजीवन कुमारी रहकर तन्हा जीवन जीती रही और आखिर में इस दुनिया से तन्हा ही चली गई।
नन्दा की फिल्मों की सूची
फिल्म का वर्ष | फिल्म का नाम |
1995 | दिया और तू्फान |
1982 | प्रेम रोग |
1981 | आहिस्ता आहिस्ता |
1977 | प्रायश्चित |
1973 | छलिया |
1972 | जोरू का गुलाम |
1971 | अधिकार |
1969 | धरती कहे पुकार के |
1969 | बड़ी दीदी |
1968 | परिवार |
1966 | पति पत्नी |
1966 | नींद हमारी ख़्वाब तुम्हारे |
1965 | गुमनाम |
1965 | तीन देवियाँ |
1965 | बेदाग |
1965 | आकाशदीप |
1964 | कैसे कहूँ |
1964 | मेरा कसूर क्या है |
1963 | नर्तकी |
1963 | आज और कल |
1962 | मेहेंदी लगी मेरे हाथ |
1962 | आशिक |
1962 | उम्मीद |
1961 | हम दोनों |
1960 | आँचल |
1960 | उसने कहा था |
1960 | काला बाज़ार |
1960 | कानून |
1960 | अपना घर |
1959 | धूल का फूल |
1957 | भाभी |
1957 | बंदी |
1956 | शतरंज |
1954 | जाग्रति |