पुराणों की संख्या कितनी है | purano ki sankhya kitni hai
पुराणों की गिनती चार वेदों के बाद आती है। पुराणों की संख्या 18 बताई गई है। यह 18 पुराणों के नाम निम्न प्रकार से हैं।
- ब्रह्म पुराण
- पद्म पुराण
- विष्णु पुराण — (उत्तर भाग – विष्णुधर्मोत्तर)
- वायु पुराण — (भिन्न मत से – शिव पुराण)
- भागवत पुराण — (भिन्न मत से – देवीभागवत पुराण)
- नारद पुराण
- मार्कण्डेय पुराण
- अग्नि पुराण
- भविष्य पुराण
- ब्रह्मवैवर्त पुराण
- लिङ्ग पुराण
- वाराह पुराण
- स्कन्द पुराण
- वामन पुराण
- कूर्म पुराण
- मत्स्य पुराण
- गरुड पुराण
- ब्रह्माण्ड पुराण
पुराण क्या है
पुराणों का अर्थ प्राचीन या फिर पुराना होता है। भारत की प्राचीन साहित्य वेद हैं और इन वेदों में से एक वेद अथर्व वेद है इस वेद में पुराणों का वर्णन मिलता है। विश्व के लिखित साहित्य में पुराण सबसे प्राचीनतम ग्रंथ है। पुराणों में वर्णित ज्ञान एवं कथाएं आज भी उतनी ही व्यावहारिक है जितनी यह प्राचीन काल में हुआ करती थी। पुराणों की आवश्यकता एवं महत्व यह है कि वेदों में बताए गए ज्ञान की भाषा और शैली कठिन हुआ करती थी। इन्हें समझ पाना कठिन हुआ करता था इसीलिए वेदों के ज्ञान को पुराणों में सरल और आसान भाषा एवं शैली में समझाया गया है। पुराणों में बताए गए विषय नैतिकता राजनीति भूगोल विज्ञान तथा खगोल जैसी विषयों पर आधारित हैं। पुराणों में एक बात और खास है और यह बात यह है की पुराणों में देवी-देवताओं और राजाओं के साथ-साथ जनसाधारण लोगों से संबंधित कथाओं को भी वर्णित किया गया है।
पुराणों की रचना किसने की है
प्राचीन ग्रंथों के अध्ययन से पता चलता है कि पुराणों की रचना वेदव्यास जी ने की है। वेदव्यास जी ने पुराणों के साथ-साथ महाभारत की रचना भी की है। महाभारत को जय संहिता के नाम से भी जाना जाता है। वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ के महीने में पूर्णिमा के दिन हुआ था। वेदव्यास जी महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र हैं। वेदव्यास जी को भगवान विष्णु का 21 अवतार माना गया है।
18 पुराणों में सबसे बड़ा पुराण कौन है
वेदव्यास जी ने 18 पुराणों की रचना की थी इन सभी पुराणों में श्लोक की दृष्टि से सबसे बड़ा पुराण स्कंद पुराण है। स्कंद पुराण भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय के नाम पर है। स्कंद पुराण में कुल 81000 श्लोक हैं। इसके साथ ही स्कंद पुराण को 7 खंडों में बांटा गया है।
पुराणों में सबसे पुराना पुराण कौन सा है
जैसे कि हमें पता है कि कुल 18 पुराण है इन 18 पुराणों में सबसे प्राचीन या फिर कहे तो सबसे पुराना पुराण विष्णु पुराण है। पुराणों के जो 5 लक्षण बताए गए हैं वह पांचों लक्षण विष्णु पुराण में दिखाई देते हैं। विष्णु पुराण में जगत यानी सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है इसके साथ ही काल की गणना सूर्य लोक तथा भारत के बारे में भी इसमें बताया गया है।
वेद का विभाजन और नामकरण किसने किया है
पहले एक ही वेद हुआ करता था लेकिन वेदव्यास जी ने अपने त्रिकाल नेत्र से भविष्य देख कर यह जान लिया था कि कलयुग में इसके पाक को करना बड़ा ही मुश्किल कार्य होगा। इसलिए वेदव्यास जी ने वेद का विभाजन करके इन्हें 4 भाग में बांट दिया था। चार भागों में बांटने के बाद वेदव्यास जी ने इनका नाम ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्व वेद रखा था। वेद के विभाजन करने की वजह से व्यास जी का नाम वेदव्यास पड़ा था।
वेदव्यास के पुत्र कौन थे
वेदव्यास जी का विवाह आरुणि से हुआ था तथा वेदव्यास जी के पुत्र का नाम सुखदेव था। रामनगर के किले में कथा व्यास नगर में वेदव्यास जी का मंदिर बना हुआ है और इस मंदिर में माघ के महीने में प्रतिवर्ष सोमवार के दिन मेला लगता है।
सबसे नया पुराण कौन सा है
18 पुराणों में से सबसे नवीन या फिर नया पुराण ब्रह्माण्ड पुराण को माना जाता है।
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