अभिमन्यु का पुत्र कौन था
अभिमन्यु महाभारत के एक बहुत ही महत्वपूर्ण पात्र है। अभिमन्यु के पुत्र का नाम परीक्षित है। परीक्षित वही राजा है जिन्होंने अपने मुकुट में कलयुग को स्थान दिया था और उन्हें तक्षक नाग ने काटा था इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी।
अभिमन्यु का विवाह मत्स्य साम्राज्य के राजा विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ था। अभिमन्यु और उत्तरा की शादी उपप्लव्य नाम की नगर में हुई थी। अभिमन्यु के पुत्र का जन्म अभिमन्यु की मृत्यु के बाद हुआ था। अभिमन्यु की मृत्यु कुरुक्षेत्र में चक्रव्यू को भेदने के दौरान हुई थी। महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था और युद्ध करते हुए दिन अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए थे।
राजा परीक्षित अर्जुन के पोते और अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र हैं। इसके अलावा परीक्षित राजा जन्मेंजय के पिता भी है। जब परीक्षित को तक्षक नाग ने काट लिया था और उनकी मृत्यु हो गई थी तब उनके पुत्र जन्में जय ने सर्पों के विनाश के लिए महा यज्ञ का आयोजन हुआ था। जिसमें विश्व का कई विषधारी और दुर्जन सर्पों का विनाश हो गया था। परीक्षित और मद्रावती से सात संतानों का जन्म हुआ था, जन्मेंजय राजा परीक्षित के सबसे छोटे पुत्र हैं। हिंदू धर्म में चार परीक्षित राजाओं का वर्णन मिलता हैं, इन चार में से एक इक्ष्वाकु वंश के थे, बाकी तीन कुरु वंश के थे।
अभिमन्यु की पत्नी का नाम
अभिमन्यु की पत्नी का नाम उत्तर हैं, उत्तर मत्स्य नरेश विराट की पुत्री थी। पांडव अज्ञातवास का अपनी आखरी वर्ष मत्स्य नरेश के यहां भेष बदल कर बिता रहे थे। इस दौरान अर्जुन वृहनलला के रूप में मत्स्य राज परिवार के साथ रह कर कर उत्तर को नृत्य, संगीत आदि की शिक्षा दे रहे थे। उत्तर अर्जुन की शिष्य थी, और अर्जुन ने उत्तर की शादी अपने पुत्र और कृष्ण भगवान के भांजे अभिमन्यु से करा दी।
महाभारत के युद्ध में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वस्थामा ने ब्रम्हास्त्र का इस्तेमाल करके अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा का गर्भ नष्ट कर दिया था, लेकिन भगवान कृष्ण ने अपनी शक्ति से उत्तरा के गर्भ में पल रहे परीक्षित को जीवित कर दिया था और उत्तरा के गर्भ को पुनर्जीवन दिया था।
अभिमन्यु की उम्र कितनी थी
अभिमन्यु जब महाभारत की युद्ध में चक्रव्यू को भेदने का प्रयास कर रहे थे, तब कई वीरों ने मिलकर अभिमन्यु की छल से हत्या कर दी थी। उस समय अभिमन्यु की उम्र लगभग 16 वर्ष थी।
जैसा कि हमें पता हैं की अभिमन्यु भगवान कृष्ण के भांजे हैं। और महारथी अर्जुन के पुत्र हैं। लेकिन अभिमन्यु भी कम वीर नही थे। उनकी वीरता का ही यह प्रभाव है की कई हजार वर्ष बीत जाने के बाद भी अभिमन्यु की चर्चा किए बिना महाभारत का वर्णन अधूरा हैं।
अभिमन्यु के गुरु कौन थे
अभिमन्यु के गुरु उनके मामा श्री थे, यानि की वसुदेव कृष्ण अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु के गुरु थे। अर्जुन अपने भाइयों समेंत वनगमन और अज्ञातवास में रहे, इसलिए इस दौरान सुभद्रा भगवान कृष्ण के साथ ही द्वारिका में ही रहा करती थी। भगवान कृष्ण अपने भांजे को सभी प्रकार के अस्त्र और शस्त्र विद्या सीखा रहे थे, इसके अलावा राजनीति का ज्ञान भी अभिमन्यु अपने मामा यानि की अपने गुरु श्री कृष्ण से सीख रहे थे। अभिमन्यु अपनी उम्र के हिसाब से काफी ज्यादा शक्तिशाली थे। अभिमन्यु के शक्ति कौशल से अच्छे अच्छे योद्धा परिचित थे।