अलबरूनी कहां का निवासी था वह गजनी कैसे पहुंचा
अलबरूनी एक प्रसिद्ध लेखक था, अलबरूनी का जन्म खीव नाम के स्थान पर 973ई. में हुआ था। 1017ई. के समय महमूद गजनवी ने खीव पर आक्रमण किया और खीव पर अपना अधिकार कर लिया। इस युद्ध में महमूद गजनवी को एक बंदी मिला, यह बंदी कोई और नहीं अलबरूनी था।
अलबरूनी के ज्ञान और योग्यता से महमूद गजनवी बहुत प्रभावित हुआ और अलबरूनी को अपने दरबार में दरबारी के रूप में शामिल कर लिया। महमूद गजनवी अलबरूनी के विद्वता से काफी प्रभावित था, इसलिए जल्दी ही अलबरूनी महमूद गजनवी के विद्वानो के सूची में शामिल हो गया। जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया था तब अलबरूनी गजनवी के साथ भारत आया हुआ था। भारत आने के पहले तक अलबरूनी को एक राजनीतिक व्यक्ति का दर्जा प्राप्त था और राजनयिक के रूप में वह खीव की सेवा में था। भारत आने के बाद अलबरूनी ने भारतीय दर्शन और संस्कृति का अध्यन किया तथा यहाँ की संस्कृत भाषा का भी उसने अध्यन किया। अलबरूनी पर यूनानी विचारको ने भी गहरी छाप छोड़ी थी, अलबरूनी ने यूनानी विचारको की किताबों का अरबी में अनुवाद किया था। अलबरूनी के लिखे साहित्य में अरस्तू और प्लेटो के बारे में वर्णन मिलता हैं। अलबरूनी ने अपने कई साहित्यों में भारत के बारे में भी लिखा हैं लेकिन तहकीक-ए-हिन्द में उसने भारत के बारे में विस्तार से वर्णन किया हैं। महमूद गजनवी के शासन के समय में अलबरूनी ने भारत के राजनीतिक, सामाजिक ढांचे, आर्थिक और धार्मिक स्थिति के बारे में लिखा था।
अलबरूनी के द्वारा लिखा हुआ ग्रंथ तहक़ीक़-ए-हिन्द हैं, इस ग्रंथ को भारत के बारे में जानने के लिए एक लगभग प्रामाणिक पुस्तक मानी गई हैं। इस ग्रंथ में 80 अध्याय हैं।