अकबर को पान खाने का बड़ा शौक चढ़ा था। वह दिन में पाँच से छह बार पान खाते थे। अकबर का एक नौकर था, जो अकबर को पान लगा कर देता था। उसके हाँथ का पान अकबर को बहुत ही पसंद था। क्योकि जिस तरह से पान अकबर को पसंद था, बिल्कुल वैसा ही पान वह नौकर लगाता था।
एक दिन गलती से नौकर से पान मे ज्यादा चुना हो गया। जब अकबर ने वह पान खाया तो उसके मुह में छाले पड़ गए, अकबर को बहुत गुस्सा आया। उसने नौकर को बुलाया और कहा जाओ जाकर बाजार से एक पैकेट चुना लाओ। नौकर को तो कुछ मालूम नहीं था। कि बादशाह उसके साथ क्या करने वाले हैं। लेकिन बीरबल को सब पता था,इसलिय जब नौकर चुना लेकर अकबर के पास जाने लगा तो बीरबल ने उसे रोका।
नौकर को रोककर बीरबल ने पूछा यह क्या हैं, नौकर ने बताया की यह चुना हैं, हुजूर बादशाह ने मगाया हैं।
यह सुनकर बीरबल ने कहा – अच्छा ठीक हैं ले जाओ, पर पहले एक काम करो, एक किलो घी पी के ही बादशाह के सामने जाना।
नौकर को लगा कि यह क्या कह रहे हैं, उसने पूछा -हुजूर घी किस लिए, बीरबल ने कहा -तुम पी के जाना बाद मे इसका कारण जन जाओगे, नौकर ने कहा – ठीक हैं हुजूर।
नौकर घी पीकर, बादशाह के सामने चुना ले कर हाजिर हुआ। अकबर ने कहा – तुम इस पूरे चूने को पी जाओ, नौकर दंग रह गया, पर बादशाह के आदेश का पालन करना जरूरी था।
अकबर ने कहा – तुम्हारे लगाए हुए पान से मेरा मुह जल गया, मेरे छाले पड़ गए, अब तुम्हें पता चलेगा कि चुना ज्यादा होने से जब मुह जलता हैं तो कितना दर्द होता है। लेकिन थोड़ी देर रुकने के बाद अकबर ने देखा कि नौकर को कुछ नहीं हुआ, तो उन्होने नौकर से पूछा क्या हुआ? तुम्हारे छाले पड़े?
नौकर ने कहा नहीं हुजूर, अकबर बोला चकित हो कर बोला – ऐसे कैसे हो सकता हैं? तब नौकर ने बताया कि बीरबल ने उसे घी पीकर जाने को कहा था।
अकबर समझ गया कि बीरबल के होते इतनी आसानी से किसी को सजा नहीं दे सकता। अकबर मुस्कुरा उठा बीरबल कि चतुराई पे ।