बीरबल एक अच्छे दिल वाले मंत्री थे। वो हमेशा दान पुण्य का काम किया करते, यहा तक की जब भी उनके किसी काम पर खुश होकर बादशाह उन्हे इनाम देते थे, उसे भी वह दान दे दिया करते थे। इतना दान दक्षिणा करने के बाद भी उनके पास धन कम नहीं पड़ता था। बीरबल एक बात का ध्यान जरूर रखते थे, की गरीबी की आड़ मे कोई उन्हे बेवकूफ़ ना बना पाये
एक दिन अकबर ने सोचा कि बीरबल कैसे पहचान करता हैं, की कौन असली गरीब हैं और कौन नकली, अकबर के मन मे बीरबल कि परीक्षा लेने का विचार आया। बादशाह ने सभी मंत्रियो से इस बारे में बात की और उन्हे भी शामिल कर लिया ताकि कोई मंत्री बीरबल को परीक्षा के बारे में न बता सके।
अब अकबर ने अपने ही एक सैनिक का पूरा हुलिया बदल दिया तथा उसे सारी बाते समझा दी, सैनिक को यह भी कह दिया कि अगर बीरबल ने तुम्हें गरीब जान कर दान दे दिया तो मैं तुम्हें मनचाहा ईनाम दूगा।
अब अगले दिन बीरबल जब अपनी पूजा करने के बाद मंदिर से वापस आ रहे थे,तभी वह सैनिक बीरबल के आगे आकर खड़े हो कर रोने लगा। कहने लगा, “हुजूर दीवान! मैं बहुत ही गरीब हूँ मेरे आठ छोटे बच्चे हैं, वह कई दिनो से भूखे हैं, भूखे को खाना खिलाना पुण्य माना जाता हैं। आप तो बहुत ही दानी हैं। मुझ गरीब पर दया करे कुछ खाने को देदे।
बीरबल बहुत ही बुद्धिमान थे। उन्हे हर चीज कि परख थी, इसलिए वह पहचान गए कि यह आदमी गरीब नहीं हैं। यह केवल गरीबी का दिखावा कर रहा हैं।
बीरबल मंदिर से घर कि तरफ़ चल दिये, घर और मंदिर के बीच नदी पड़ती थी। नदी पार करके घर जाना पड़ता था। रास्ता कंकरीला था, वह आदमी बीरबल के पीछे-पीछे चल दिया। लेकिन थोडी दूर चलने के बाद वह जूता पहन लेता, नदी पार करते समय उसके हाथ कि धूल मिट्टी भी धूल गई जिसके कारण उसका शरीर गोरा दिखने लगा। बीरबल को तो यह पहले से ही पता चल चुका था। कि यह गरीब बना हैं, जो कि यह हैं नहीं और ऊपर से बीरबल उसकी हर हरकत पर ध्यान लगाए हुए थे।
“दीवानजी! दीन हीन की पुकार आपने नहीं सुनी ?” उस व्यक्ति ने कहा।
बीरबल बोले, “तुम मुझे पापी बनाना चाहते हो मैं तुम्हारी पुकार क्यो सुनू? ”
“क्यो ? आप मेरी सहायता करके पापी कैसे बन सकते है?”
“बीरबल ने कहा हां पापी बन सकता हूँ, क्योकि शास्त्रों में लिखा गया है कि जब एक बच्चे का जन्म होने वाला होता हैं, तभी भगवान उसके भोजन कि व्यवस्था कर देता हैं। उसकी मां के स्तनों में दूध का संचार कर देता है, यह भी सत्य हैं कि व्यक्ती सुबह भूखा जागता हैं, पर भगवान उसे भूखे सोने नहीं देता हैं।
अगर इसके बाबजूद भी तुम भूखे हो तो ऊपर वाला तुमसे नाराज हैं, इसलिए तुम्हें और तुम्हारे परिवार को भूखे रहने कि सजा दे रहे हैं। इस वजह से अगर मैं तुम्हें खाना दे देता हूँ तो भगवान मुझसे नाराज हो जाएगे, और मैं उन्हे नाराज नहीं कर सकता। मैं पापी नहीं बनना चाहता तुम्हें भोजन करा के।
बीरबल कि इस तरह कि बात सुन कर वह आदमी वापस चला गया। वह सैनिक दरबार में आकर सारी बात अकबर और मंत्रीयों को बताई।
अकबर बादशाह जान गए कि बीरबल बहुत चालाक हैं दूसरे दिन जब बीरबल दरबार में उपस्थित हुए तो बादशाह ने बीरबल से कहा , “बीरबल तुम्हारे तो धर्म-कर्म की लोग बड़ी चर्चा करते हैं फिर भी कल तुमने एक भूखे को बिना भोजन कराए बिना ही वापस कर दिया, क्यों?”
“हुजूर! यह बात गलत हैं,मैं कौन होता हूँ किसी भूखे को भोजन देने वाला सब कुछ तो ऊपर वाला करता हैं। वह आदमी जो मेरे पीछे पड़ा था,वह कोई गरीब नही था। वह नाटक कर रहा था, वह भी आप के कहने पर मुझे मूर्ख बना रहा था।”
अकबर ने फिर कहा, “बीरबल! तुम कैसे जाने कि वह भिखारी नहीं है, भिखारी होने का नाटक कर रहा हैं?”
“उसके पैरों और पैरों की चप्पल देखकर। यह बात सत्य है कि वह भिखारी का भेष अच्छा बनाया था, लेकिन जो उसने चप्पल पहन रखी थी,वह कीमती थी।”
बीरबल आगे कहते हैं , “हुजूर मैं मान लेता हूँ कि जो चप्पल थी वह उसे भीख में भी मिल सकती थी, लेकिन जो उसके मुलायम पैर थे वह तो भीख में नहीं मिल सकते,जिस वजह से ककरीले रास्ते मे नहीं चल पा रहे थे।”
इतना कहकर बीरबल ने बताया कि किस प्रकार उसने उस मनुष्य की परीक्षा लेकर जान लिया कि उसे नंगे पैर चलने की भी आदत नहीं, वह दरिद्र नहीं बल्कि किसी अच्छे कुल का खाता कमाता पुरूष है।”
बादशाह बोले, “क्यों न हो, वह मेरा खास सैनिक है।” फिर बहुत प्रसन्न होकर बोले, “सचमुच बीरबल! मैं तुमसे बहुत खुश हुआ! तुम्हें धोखा देना इतना आसान काम नहीं है।”
बादशाह के साथ साजिश में शामिल हुए सभी दरबारियों के चेहरे नीचे हो गए।