शाम का समय हो रहा था। अकबर अपने नौ रत्नो के साथ दुनियादारी की बात कर रहे थे । अचानक बात पति-पत्नी के रिश्ते मे पहुँच गई इस बात पर बीरबल ने कहा – “हुजूर हर पति अपने पत्नी से डरता हैं। और उसकी कही हर बात को मानता हैं। अगर सहीं शब्दो मे कहा जाए तो पति जोरू का गुलाम होता हैं।”
अकबर ने कहा – तुम गलत कह रहे हो यह सच नहीं हैं।
तब बीरबल ने कहा – मैं सत्य कह रहा हूँ मैं इस बात को साबित भी कर सकता हूँ।
“ठीक हैं साबित करो” अकबर ने चुनौती देने की मुद्रा मे कहा।
“जी बिल्कुल , हुजूर मेरी एक विनती हैं, पहले आप नगर मे यह जानकरी दिलवा दीजिए की अगर यह बात सिद्ध हो जाती की कोई पति अपने पत्नी से डरता हैं तो उसे मुर्गा दरबार में बीरबल के पास में जमा करना होगा।”
जैसा बीरबल ने कहा ठीक वैसा ही अकबर ने करने का आदेश दे दिया।
धीरे -धीरे बीरबल के पास बहुत से मुर्गे एकट्ठे हो गए। तब एक दिन बीरबल ने अकबर से बोला जहापना हमारे पास तो इतने सारे मुर्गे हो गए हैं की हम मुर्गे की दुकान खोल सकते हैं। अगर आप चाहे तो इस आदेश को रद्द कर सकते हैं।
लेकिन अकबर को तो बीरबल को परेशान करने में बहुत आन्नद आता था। अकबर ने कहा नहीं मैं अपना आदेश रद्द नहीं करुगा, बीरबल को बहुत गुस्सा आया, वह मुंह बना कर लौट आए। अब दूसरे दिन बीरबल के दिमाग की घंटी बजी, उन्हे एक तरकीब सूझी और वह दरबार मे पहुचे, जहापना गुप्चर बता रहे थे। की हमारे जो पड़ोसी राजा हैं उनकी बेटी बहुत ही ज्यादा सुंदर हैं। अगर आपकी मर्जी हो तो आपके निकाह की बात करू ,बीरबल ने अकबर से कहा ?”
“अकबर ने बीरबल की यह बात सुन कर खड़े हो गए, यह क्या कह रहो बीरबल तुम मुझे मरवाना चाहते हों, पहले से मेरे इतनी बेगमे हैं। किसी भी बेगम के कान तक यह बात पहुच गई तो समझो मेरा तो काम तमाम हो गया।
बीरबल ने कहा तब तो आप को भी मुर्गे देने पड़ेगे ।”
यह बात सुनकर अकबर समझ गए, की वह बीरबल के चाल मे फंस गए। और तुरंत अपना आदेश रद्द कर दिया ।