मुगल राजा की यह आदत थी की वह कुछ ना कुछ बोलकर बीरबल से बहस करते रहते थे। अकबर को बीरबल से तर्क करना मे मजा आता था, और जब बीरबल अपनी बुद्धिमानी से किसी बात को सिद्ध कर देते तो इस मे बादशाह को बढ़ा गर्व महसूस हो था।
बीरबल को तंबाखू खाने की बहुत बुरी आदत थी। लेकिन राजा अकबर को तम्बाखू खाना बिलकुल भी पसंद नहीं था। इसलिए अकबर बीरबल की इस आदत से बहुत ही चिढ़ते थे।
बीरबल का मज़ाक उड़ाने के लिए एक दिन राजा अकबर ने बीरबल को तंबाखू के खेतो मे सैर कराने के लिए ले गए।
अकबर ने पहले से ही सिपाहियो को आदेश दे दिया था कि तम्बाखू के खेत मे गधा छोड़ दिया जाय। बादशाह और बीरबल जब वहाँ पहुचे और अकबर ने जब देखा कि गधे ने तम्बाखू नहीं खाई। तब अकबर ने कहा – “बीरबल! देखो, तम्बाखू कितनी घटिया होती है कि गधा तक तम्बाखू खाना पसंद नहीं करता है।
तब बीरबल समझ गया कि राजा अकबर उन्हे यहाँ किस उदेश्य से लाये थे।
बीरबल ने कहा – “हां महाराज! सही कह रहे है आप, गधा तम्बाखू नहीं खाता है, तम्बाखू तो इंसान खाता हैं“,
अकबर समझ गया कि बीरबल से तर्क मे वह हमेशा ही हार जाता है । बीरबल को नीचा दिखाने के चक्कर मे अकबर को खुद ही शर्म का सामना करना पढ़ा ।