जब भी दरबार में अकबर और बीरबल एक साथ अकेले बैठे होते थे तो उस वक्त किसी न किसी बात पर बहस छिड़ ही जाया करती थी। एक रोज की बात है बादशाह अकबर खाना खा रहे थे। आज बैंगन की सब्जी बनी थी जो कि अकबर को बहुत ही स्वादिस्ट लगी उन्होने सब्जी की खूब तारीफ की ।
बीरबल भी बादशाह के साथ भोजन कर रहे थे। उन्हे भी सब्जी अच्छी लगी जिससे वह भी अकबर के हां में हां मिला रहे थे। इतना ही नहीं, वह तो और भी ज्यादा शब्दो मे सब्जी की तारीफ कर रहे थे ।
बादशाह अकबर ने मन मे सोचा कि बीरबल कि एक छोटी सी परीक्षा ले ली जाय। आखिर वह कहा तक सफल होते है और अपनी बात को कहां तक सिद्ध कर पाते हैं। इस विचार से बादशाह बीरबल के सामने अचानक बैगन की कमी गिनाने लगे। बैगन खाने से जोड़ो मे तकलीफ होती है, इसे खाने से लोग बात के मरीज हो जाते है और भी बहुत सारी कमी गिनाने लगे।
अब इधर जो की बीरबल बैगन की तारीफ कर रहे थे वो भी अकबर की हां में हां मिलाने लगे कहने लगे हा सरकार बैंगन खाने से शारीर मे बहुत सी बीमारिया हो जाती हैं शरीर रोगी हो जाता है इस लिए बैगन ज्यादा नहीं खाना चाहिए इत्यादि।
बीरबल की यह सारी बाते सुनकर अकबर कुछ समय के लिय बीरबल की तरफ देखते रहे फिर कहने लगे बीरबल तुम बहुत ही पलटू इंसान हो। अभी तो तुमने बैगन की तारीफ की और अब उसकी बुराई कर रहे हो – “बीरबल! जब हमको सब्जी अच्छी लगी तो हमने उसकी तारीफ की तब तुमने भी इसकी खूब बड़ाई की। अब तुम इसकी कमियाँ गिना रहे हो क्योकि मैंने इस मे कमी निकाल दी इस लिए। बीरबल क्यों?”
बीरबल ने नरम लहजे में कहा- “बादशाह सलामत! मैं तो आपका नौकर हूं, बैंगन का नौकर नहीं“