अनपढ़ राजा हुआ करता था, उसका नाम अकबर था। अकबर को शिकार पे जाने का बड़ा शौक था, वह जब भी अपने राजपाठ से थोड़ी सी फुरसत पाता था। तो बीरबल को लेकर अक्सर शिकार करने को चला जाता था। एक बार अकबर ने एक पेड को देखा, वह पेड़ थोड़ा टेढ़ा था, उस पेड़ को देखकर अकबर बीरबल से कहता हैं की बीरबल तुम इस पेड़ को देखो यह पेड़ टेढा क्यों हैं?
तब बीरबल मुस्कुरा कर बोले, हुजूर यह पेड़ बहुत ही खास हैं, यह जंगल मे मौजूद सभी पेड़ो का साला लगता हैं। तब बादशाह बोले तुम ना बीरबल हमेशा गलत जबाब देतो हों। ऐसा थोड़ी होता हैं।
तब बीरबल ने कहा – हुजूर मैं सच कह रहा हूँ, यह बात तो सारी दुनिया जानती हैं की कुत्ते की दुम और साला ये दोनों हमेशा टेढ़े ही रहते हैं। कभी सीधे नहीं हो सकते।
अकबर को लगा की बीरबल यह क्या बोल रहे हैं, तब अकबर ने कहा अगर ऐसी बात हैं, तो इसका मतलब यह हुआ की जो मेरा साला हैं, वह भी टेढ़ा हैं? बीरबल बिना देरी किए हुए कहा – हाँ बिल्कुल टेढा हैं।
अकबर बोले तब तो सभी सालो को फासी की सजा देनी चाहिए!
अब बीरबल ने फांसी के लिए तीन तख्ते तैयार करवाया ”पहला सोने का था, दूसरा चांदी का था, तीसरा लोहे का था।”
तीन तख्ते देख कर अकबर ने बीरबल से कहा – तीन तख्ते क्यो बनवाया तुम ने?
तब बीरबल ने कहा – हुजूर जो सोने का हैं वह आप के लिए, जो चांदी का हैं वह मेरे लिए, और जो लोहे का हैं वह आपके साले साहब के लिए। अचंभित हो कर अकबर ने कहा मेरे और अपने लिए क्यो बनवाया। बीरबल ने कहाँ – हुजूर सब के लिए एक जैसा न्याय होना चाहिए। हम और आप भी तो किसी के साले हैं तो हम भी टेढ़े हैं। अकबर हंस पडे, अकबर के चेहरे मे हंसी देख अकबर के साले साहब ने चैन की सास ली। और अनपढ़ राजा अकबर ने चतुर बीरबल की बुद्धि का लोहा माना।