अकबर, बीरबल को अपना सबसे करीबी सलाहकार मानते थे, राज्य के हर मुद्दे पर उनसे सलाह लेते थे। अकबर अनपढ़ था, वह सिर्फ हमले और कत्ल करना जानता था। राज्य का कार्यभार संभालने के लिए वह बीरबल से सलाह लेता था। जिसके कारण राज्य के बाकी मंत्री बीरबल से चिढ़ते थे। एक मंत्री बादशाह का करीबी मंत्री बनना चाहता था, उसे वही पद चाहिए था जो की बीरबल का था। लेकिन वह यह भी जानता था, की बीरबल के होते हुए बादशाह उसे कभी भी अपना करीबी सलाहकार नियुक्त नहीं करेगा। बीरबल को कैसे पद से हटाया जाय, ऐसा वह सोचने लगा और बीरबल को हटाने की एक योजना बनाई।
दरबार में एक बार अकबर बीरबल की तारीफ पे तारीफ किए जा रहे थे। उस मंत्री से बीरबल की इतनी तारीफ बरदास्त नहीं हो रही थी। वह गुस्से से लाल पीला हुए जा रहा था। उससे अब रहा नहीं गया वह बीच मे बोल उठा – हुजूर अगर बीरबल ने मेरे तीन प्रश्नों के उत्तर दे देगे तभी मैं मानूगा की बीरबल बुद्धिमान है। और अगर नहीं देते हैं, तो मैं यही समझूगा की यह हुजूर का चाटुकार हैं। अकबर तो जानता था, की बीरबल हर परिस्थिती से निकल जाता हैं। अपने दिमाग का सही से प्रयोग कर के, वह इसके सवालो के जवाव जरूर दे देगा। अकबर ने उसकी बात मान ली।
मंत्री ने बीरबल से तीन सवाल किए –
सवाल 1- आसमान पें तारे कितने हैं?
सवाल 2- पृथ्वी का केन्द्र बिन्दु कहाँ है?
सवाल 3- इस संसार में कितनी स्त्रियाँ और कितने पुरूष हैं?
अकबर ने फौरन बीरबल से इन सवालों के जवाब देने के लिये कहा। और शर्त रखी कि यदि वह इनका उत्तर नहीं जानता है तो मुख्य सलाहकार का पद छोडने के लिये तैयार रहे।
बीरबल ने कहा, “तो सुनिये महाराज”
पहला सवाल के जवाब के लिए बीरबल ने एक भेड मँगवायी। और कहा जितने बाल इस भेड के शरीर पर हैं, आकाश में उतने ही तारे हैं। मेरे दोस्त, गिनकर तस्सली कर लो, बीरबल ने मंत्री की तरफ मुस्कुराते हुए कहा।
दूसरा सवाल के जवाब के लिए बीरबल ने ज़मीन पर कुछ लकीरें खिंची और कुछ हिसाब लगाया। फिर एक लोहे की छड मँगवायी गयी और उसे एक जगह गाड दिया और बीरबल ने महाराज से कहा, “महाराज बिल्कुल इसी जगह धरती का केन्द्र है, चाहे तो आप स्वयं जाँच लें”। अकबर बोला ठीक है अब तीसरे सवाल के बारे में कहो।
अब महाराज तीसरे सवाल का जवाब बडा मुश्किल है। क्योंकि इस दुनीया में कुछ लोग ऐसे हैं जो ना तो स्त्री की श्रेणी में आते हैं और ना ही पुरूषों की श्रेणी, उनमें से कुछ लोग तो हमारे दरबार में भी उपस्थित हैं जैसे कि ये मंत्री जी। महाराज यदि आप इनको मौत के घाट उतरवा दें तो मैं स्त्री-पुरूष की सही-सही संख्या बता सकता हूँ।
अब मंत्री जी सवालों का जवाब छोडकर थर-थर काँपने लगे और अकबर से बोले,”महाराज बस-बस मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया। मैं बीरबल की बुद्धिमानी को मान गया हूँ”।
अनपढ़ राजा अकबर हमेशा की तरह बीरबल की तरफ पीठ करके हँसने लगे और इसी बीच वह मंत्री दरबार से खिसक लिया।