बादशाह अकबर को घोड़ो और घुड़सवारी का बहुत ज्यादा शौक था। अगर उन्हे कोई घोड़ा अच्छा लग जाता था तो अकबर घोड़े को हर कीमत मे खरीद लेता था। चाहे वह घोडा उस लायक हो या ना हो। अकबर तुरंत घोड़े के मालिक को वह रकम दे कर घोड़ा ले लिया करता था। अकबर के इस शौक के बारे मे हर देश के व्यापारी को मालूम था। जिस कारण व्यापारी अच्छे से अच्छे घोड़ो को अकबर के पास लाया करते थे। जो घोड़े अकबर को बहुत पसंद आते थे। उन्हे बादशाह अकबर अपने सवारी के लिए ले लेता था। परंतु जो घोड़े उन्हे ज्यादा अच्छे नहीं लगते थे, अकबर उन्हे भी सेना के लिए खरीद लिया करते थे।
व्यापारी अकबर से बहुत खुश रहते थे। क्योकि जो मुनाफा अकबर के राज्य मे व्यापार करके होता था। दूसरे किसी राज्य में नहीं होता था।
ज्यादा तर जो व्यापारी अकबर के राज्य मे आते थे, हर व्यापारी एक दूसरे को कही ना कही से जानते थे। पर एक रोज दरबार में ऐसा व्यापारी आया कि कोई भी उसे नहीं पहचानता था। उस व्यापारी ने बहुत ही सुंदर दो घोड़े बादशाह को दिखाया। घोड़े वाकई में बहुत सुंदर थे। अकबर ने घोड़े कि तारीफ कि तो उस व्यापारी ने अकबर से कहा। हुजूर अगर आप कहे तो हम इस तरह के सौ घोड़े आप को लाकर दे सकते है। परंतु मुझे उन घोडो कि आधी कीमत आप को अभी देनी पड़ेगी।
अकबर ने उस व्यापारी कि शर्त मान ली क्योकि उसे घोड़े बहुत ज्यादा पसंद थे।
अकबर ने अपने खजाने के कर्मचारी को बुलाया और कहा कि यह व्यापारी अपने घोड़े कि जो भी कीमत लगाई हो उसका आधा पैसा तुम इसे देदो। जी हुजूर कह कर खजांची व्यापारी को अपने साथ चलने को कहा। इधर दरबार मे उपस्थित किसी भी दरबारी को यह बात पसंद नहीं आई। क्योकि व्यापारी अनजान था। आज से पहले किसी ने भी इस व्यापारी को नहीं देखा था। लेकिन बादशाह के डर के कारण सब चुप रहे।
सभी कि इक्छा थी कि, अगर बीरबल कुछ चाहे तो कह सकते हैं, बादशाह उनकी बात पे गौर करते हैं।
अकबर का यह सौदा बीरबल को पसंद नहीं आया। उससे रहा नहीं गया तब उसने कहा, “जहापना ! मुझे आपसे कुछ कहना हैं, इजाजत चाहता हूँ। अकबर ने कहा बोलो बीरबल क्या कहना चाहते हो तुम। बीरबल ने कहा – आप ने मेरे ऊपर एक ज़िम्मेदारी शौपी थी,शहर में मौजूद सभी मूर्खो कि सूची बनाने कि। परंतु मुझे इस बात का बहुत ज्यादा दुख हैं कि सूची मे आप का नाम सबसे आगे हैं।”
बादशाह अकबर को बीरबल कि बात से बहुत ज्यादा गुस्सा आया वह गुस्से से कापने लगे। अकबर को व्यापारियो के सामने बीरबल के द्वारा खुद को मूर्ख कहे जाने पर अपनी बेज्जती महसूस हुई।
अकबर ने भारी आवाज में चिल्ला कर बोला , “तुम्हारी इतनी जुर्रत कि तुम मुझे मूर्ख कहा ?”
“माफी चाहता हूँ हुजूर।” बीरबल ने अकबर से कहा – अगर मेरी बात से आप को दुख पहूँचा हैं तो मेरा सर धड़ से अलग कर दीजिए। परंतु जो मूर्खो कि सूची आपने मुझसे तैयार करने को कहा हैं और उसमे मैं आप का नाम नहीं लिखता तो सूची पूरी तरह से पूरी नही होगी।”
सभी दरबारी सन्न रह गए। पूरे दरबार में इस तरह से शांती छा गई कि अगर एक बहुत छोटी सी सुई भी गिरे तो उसकी भी आवाज सुनाई दे।
अकबर ने अपने हाथ उठाए हुए , तलवार को लेकर बीरबल कि तरफ चल दिए। वहाँ पर उपस्थित सभी डर गए। सभी को लग रहा था कि बादशाह आज बीरबल कि जान ले ही लेंगे। क्योकि कोई भी आज तक इतनी बड़ी बात अकबर के बारे मे नहीं कही थी।
परंतु बादशाह ने बीरबल के कांधे पर हाथ रखा । फिर कहा तुम किस कारण से इतनी बड़ी बात मेरे लिए कही। बीरबल तो पहले ही समझ गया था, जब अकबर ने उसके कंधे में हाथ रखा था।
उसने कहा, “आपने घोड़ों के व्यापारी को बिना जाने समझे पैसे दे रहे हैं, जिसे हम जानते ही नहीं है। अनजान व्यक्ती को पैसे दे रहे हैं, लेकिन हुजूर वे व्यापारी आप को धोखा भी दे सकता है। इस कारण से मैंने आप का नाम मूर्खों की सूची में सबसे आगे लिखा। यह भी तो हो सकता हैं कि पैसे लेने के बाद वह आप को घोड़ा ना दे, कभी वापस ना आए। किसी और जगह चला जाए तब आप क्या करेगे। अगर आप किसी भी व्यक्ति से कोई भी सौदा कर रहे है, तो सबसे जरूरी होता हैं उसके बारे में जानना। दो घोड़े देकर वह आप से बाकी घोड़ो का पैसा लेले फिर कभी वापस ही ना आए।यही कारण से मैंने आप को मूर्खो कि सूची में आप का नाम लिखा।”
“तब अकबर ने एक सिपाही को आदेश दिया कि जाओ और पैसे कि लेन देन रोक दो।”
बीरबल ने कहा , “हुजूर, अब सूची से आप का नाम हट जाएगा।”
बादशाह अकबर थोड़ी देर तक बीरबल को निहारते रहे, फिर दरबारियों कि तरफ देख कर ज़ोर से हसने लगे। डरे हुए सभी दरबारियों के जान में जान आई।बादशाह को अपनी गलती का अहसास हो गया था। हंसी में दरबारियों ने भी साथ दिया और बीरबल की चतुराई की एक स्वर से प्रशंसा की।