औद्योगिक क्रांति का अर्थ | audyogik kranti kise kahate hain
18वीं और 19वीं सदी में यूरोपीय उद्योगों को जिन महत्वपूर्ण एवं व्यापक परिवर्तनों से गुजरना पड़ा और उसकी वजह से सामाजिक व्यवस्था में जो बदलाव आया वह ‘औद्योगिक क्रांति’ कहलाया। सबसे पहले औद्योगिक क्रांति का जन्म इंग्लैण्ड में 18वीं सदी में हुआ।
एडवर्ड के अनुसार, “औद्योगिक प्रणाली तथा श्रमिकों के स्तर में होने वाले परिवर्तनों को ही औद्योगिक क्रांति की संज्ञा दी जाती हैं।
फिशर के शब्दों में- “लोहे, कोयले आदि के आधार पर ब्रिटेन ने एक सभ्यता को जन्म दिया जिसका अनुकरण विश्व के सभी देशों ने औद्योगिक क्रांति के रूप में किया।
वास्त्व में औद्योगिक क्रांति कृषि एवं उद्योगों के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन का नाम है जिसके द्वारा वैज्ञानिक ज्ञान, पूँजी के विशाल साधन एवं मशीनों के आवष्किारों के कारण उत्पादन की प्राचीन पद्धति विनिष्ट हो गई थी और उसका स्थान नवीन पद्धति ने जो श्रम के विभाजन कार्य के विशिष्टीकरण एवं बड़ी मात्रा में उत्पत्ति पर आधारित थी ले लिया गया।
औद्योगिक क्रांति के कारण | Audyogik Kranti ke karan
सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति का जन्म क्यों नहीं हुआ। इसके लिये अग्रलिखित कारण गिनाये जाते है।
- प्रारम्भिक प्रयोगात्मक प्रणाली- रोजर बेकन की प्रयोगात्मक प्रणाली औद्योगिक क्रांति का प्रारम्भिक कारण कही जाती है। इसके द्वारा रायल सोसायटी स्थापित हुई, जिसका मुख्य काम केवल वैज्ञानिक भावनाओं का जनसाधारण में प्रसार की भावना उत्पन्न करना था। सर आइजक न्यूटन ने भौतिक विज्ञान में आश्चर्यजनक परिवर्तन किए और फिर दूसरी ओर वैज्ञानिकों ने रसायन शास्त्र, विद्युत शास्त्र, जन्तु शास्त्र और वनस्पति शास्त्र आदि के अध्ययन की नींव डाली जिनके सहारे व्यावसायिक क्रांति को जन्म दिया गया।
- मनुष्य के विचारों में परिवर्तन हुआ- एक तरफ नवीन-नवीन बातों की खोज की गई तो दूसरी तरफ सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक आविष्कारों का उपयोग व्यापार तथा उद्योग-धन्धों में किया गया, जिसके फलस्वरूप व्यावसायिक क्रांति का पौधा फूलने लगा।
- वैज्ञानिक अनुसन्धान एवं आविष्कार- 18वीं शताब्दी में व्यावसायिक क्रांति का मुख्य कारण वैज्ञानिक अनुसंधान एवं आविष्कार भी है। इनके द्वारा मूल क्रांति का जन्म हुआ।
- प्रगतिशील मनुष्य- व्यावसायिक क्रांति का प्रगतिशील मनुष्य भी एक कारण था। जिसके कारण इस क्रांति का जन्म हुआ। साधारण जनता ने वैज्ञानिकों को परिवर्तन लाने को अच्छी दृष्टि से देखा और उनके बतायें हुए मार्ग पर चलना शुरू किया।
- व्यापार की उन्नति- व्यापार की उन्नति भी व्यावसायिक क्रांति का एक कारण बताया है। इस समय व्यापार में वृद्धि हुई और लोगों ने तेजी से इस तरफ ध्यान दिया।
- निर्माण की हुई वस्तुओं की माँग बढ़ी- जो वस्तुएँ बनाई गई उनकी खपत तेजी से हुई। यह बात भी व्यावसायिक क्रांति को जन्म देने में विशेष रूप से सहायक सिद्ध हुई। वस्तुओं का निर्माण तेजी से हुआ और उनकी खपत भी तेजी से हुई। जिसके कारण व्यावसायिक क्रांति का जन्म हुआ।
- नवीन कलाओं का निर्माण- इस समय के वैज्ञानिक आविष्कारों ने मनुष्य के विचारों में शक्ति को उत्तेजित करके नई-नई चीजों के अनुसंधान की तरफ तेजी से प्रेरित किया। इन आविष्कारों में संयोग का भी बड़ा हाथ है। यह एक संयोग ही था कि सर आइजक न्यूटन ने पेड़ से गिरते हुए सेव को देखा और गुरूत्वाकर्षण सिद्धान्त को जन्म दिया। उसी प्रकार यह भी संयोग ही था कि एक जुलाहे की पत्नी द्वारा चरखा उलट गया जिससे उसका ऐसा स्वरूप बना कि वह पहिये के द्वारा अनेक तकुओं को घुमा सकता था और इस नवीन आविष्कार के द्वारा कपड़ा बनाने की कला में महत्वपूर्ण क्रांति का जन्म हुआ। इनमें समय के अनुसार परिवर्तन होता गया और नई-नई कला का निर्माण व्यावसायिक क्रांति को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हुआ।
- नवीन कलाओं से कार्यो को बढ़ावा मिला- इस समय यूरोप के देशों द्वारा नये-नये समुद्री मार्गो का पता लगाया गया और नये-नये देशों का पता लगाया गया। इन देशों से यूरोप का व्यापार स्थापित हो गया अब इन देशों में बनी हुई चीजों की माँग तेजी से बढ़ने लगी। यहाँ के लोगों ने अनुभव किया कि जब तक ऐसे कल-कारखानों की स्थापना नहीं होगी वहाँ कम समय मे अधिक वस्तुएँ तैयार नहीं होगी उस समय तक इन नये देशों की माँग पूर्ण नहीं हो सकती थी। आवश्यकता सर्वदा आविष्कार की जननी होती है। अत: नवीन कला का आविष्कार यूरोप मे शुरू जिनके द्वारा शीघ्रता से साम्रगी तैयार होने लगी।
- वैज्ञानिक आविष्कार- इस समय में गैस तथा ताप के सिद्धान्त के निर्माण में भाप से चलने वाले इंजनों में सुधार हुए, वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा लोहा तथा कोयला निर्मित किया जाने लगा और यूरोप में कोयले और लोहे का प्रयोग शुरू हुआ। इंग्लैण्ड में कोयला और लोहा अधिक मात्रा में प्राप्त हुआ, जिसके कारण व्यावसायिक क्रांति को बढ़ावा मिला अब भाप के द्वारा चलने वाले कल बनी हुई वस्तुएँ भी अधिक मात्रा में इस्तेमाल होने लगी। इससे व्यावसायिक क्रांति का एक नवीन युग शुरू हो गया।
- व्यावसायिक क्रांति के क्ष्ेात्र की विशालता- इस कारण भी इसकी उन्नति हुई, क्योंकि इसका क्षेत्र विशाल था। इनमें निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाता है।
- कपड़ा तथा अन्य वस्तुओं को निर्मित करने के लिये भाप द्वारा चलाने वाले इंजनों का निर्माण हुआ।
- कोयले और लोहे का इंजनों में प्रयोग हुआ और लोहे से इंजनों को बनाया तथा कोयले से उनको चलाया।
- घरेलू छोटे-बड़े उद्योग-धन्धों के स्थान पर मशीनें मजदूर अपनी रोजी कमाने के लिये ग्रामों को छोड़कर नगरों में जा बसे।
- मीलों के निर्माण ने पूँजीवाद को जन्म दिया।
- व्यापार के क्षेत्र में प्रतिद्वद्विता एवं प्रतिस्पर्धा की भावनायें पैदा हो गई।
- अधिक चीजों को बनाया गया और उनके भाव सस्ते हो गए, जन साधारण का जीवन स्तर में सुधार हुआ।
- ग्रामों के स्थान पर बड़े-बड़े नगरों का निर्माण हुआ।
- सूत कातने तथा कपड़ा बुनने के साधनों का विकास- व्यावसायिक क्रांति का जन्म इससे भी हुआ। इंग्लैण्ड में नई नवीन मशीनों का आविष्कार हुआ। सूत कातने तथा कपड़े बुनने के क्षेत्रों में नई-नई मशीनों का इस्तेमाल किया गया। सूत तेजी से काता गया और उसको तेजी से बुना भी गया। कपडे के निर्माण में अनेक मशीनों का निर्माण हुआ। सस्ता कपड़े छापने के लिये कालीकट की मशीन का इस्तेमाल किया गया। इससे एक व्यक्ति दो सौ व्यक्तियों के बराबर काम करने लगा। इने मशीनों के आविष्कार ने कपड़े के निर्माण को बहुत ही अधिक बढ़ावा दिया। इंग्लैण्ड में 150 कारखानें हो गए जो भाप के द्वारा चलते थे।
- भाप द्वारा संचालित इंजनों का आविष्कार- इससे भी व्यावसायिक क्रांति का जन्म हुआ। मशीनों को लोहे से बनाया गया और कोयले से भाप बनाकर उनकों चलाया गया। जेम्सवाट ने भाप द्वारा संचालित इंजनों को आविष्कार किया। धीरे-धीरे इस क्षेत्र में सुधार किये गये और बाद में रेलगाड़ी भी इसी से सहारे चलाई गई फिर मुद्रणालियों का जन्म हुआ।
- कोयले तथा लोहे का प्रयोग- कोयले तथा लोहे के प्रयोग से भी कारखानों को बनाने तथा चलाने में बड़ा लाभ पहुँचा, इंग्लैण्ड में इन दोनों वस्तुओं की अधिक खाने थी। अत: इंग्लैण्ड व्यावसायिक क्रांति में यूरोप के अन्य देशों के मुकाबले में अधिक सफल रहा। लोहे की भट्टियों में कोयले का इस्तेमाल होने लगा। इस प्रकार अट्ठारहवीं शताब्दी के अन्त तक लोहे और कोयले का प्रयोग यूरोप के निवासी अच्छी तरह से करने लगे।
- यातायात के साधनों में सुधार- कला-कौशल के लिये यातायात के साधनों में भी सुधार किये गये। क्योंकि इनके बिना कला-कौशल का विकास नहीं हो सकता। कच्चा माल कारखानों में यातायात के अच्छे साधनों द्वारा जल्दी पहुँचने लगा। सड़के अच्छे ढंग से बनी। जलमार्ग भी अच्छे ढंगों से बनाये गये। नहरों का जाल बिछ गया। नदियों तथा नहरों से भी सामान उधर से इधर लाया ले जाने लगा। रेलों का निर्माण किया गया जिसके कारण व्यावसायिक क्रांति में वृद्धि हुई।
क्रांति का अन्य देशों में प्रसार
यद्यपि औद्योगिक क्रांति का आरम्भ इंग्लैण्ड से हुआ, परन्तु यह क्रांति इंग्लैण्ड तक ही सीमित न रहकर उसका प्रसार यूरोप के अन्य देशों में भी हुआ। नेपोलियन की पराजय के पश्चात यूरापीय महाद्वीप के क्रांति की प्रगति प्रारम्भ हो गई।
अमेरिका में पूँजीपति वर्ग ने बड़े-बड़े फार्म तथा कारखाने खोल लिये तथा श्रमिकों के कार्य करने के लिये अफ्रीका से गुलाम लाये गये। स्वतंत्रता के पश्चात अमेरिका में तीव्र औद्योगिक उन्नति हुई। नवीन आविष्कारों, वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति के कारण अमेरिका उन्नति की चरम सीमा पर पहुँच गया। कृषि के उपकरणों से लेकर उद्योगों के लिये इस्पात बिजली के उपकरण तथा भारी मशीनों का निर्माण होने लगा।
फ्रांस में औद्योगिक उन्नति मुख्यत: 1830 से 1845 के मध्य हुई। नेपोलियन के पतन के पश्चात फ्रांस में पुन: राजतंत्रात्मक शासन की स्थापना हुई। फ्रांस के राजा लुई फिलिप ने उद्योगपतियों और उद्योगों को प्रोत्साहन किया तथा मजदूरों के आन्दोलनों को दबाया। परिणामस्वरूप देश के उद्योगों में वृद्धि हुई। रेलों का विस्तार हुआ तथा विदेशों से मशीनों का आयाता किया गया। उद्योगों को बढानें के लिये सड़कों एवं अन्य यातायात के साधनों का भी विकास किया गया।
जर्मनी में औद्योगिक विकास कुछ देरी से हुआ। यद्यपि रूस के जार एलेक्जाडर II ने कृषक दासता मुक्ति नियम पारित कर कृषकों की दशा सुधारने का प्रयास किया तथा एलेक्जांडर III ने देश में उद्योगों को प्रोत्साहन दिया, विदेशों में लोगों के ट्रेनिंग दिलवाई तथा बाहर से मशीने मँगवाई किन्तु इन सब प्रयत्नों के पश्चात भी रूस में विशेष औद्योगिक उन्नति न हो सकी। रूस में औद्योगिक उन्नति 1917 की क्रांति के पश्चात ही हो सकी। कृषि दासों की मुक्ति से श्रम समस्या भी हल हो गयी। शीघ्र ही रूस औद्योगिक दृषि से अत्यधिक उन्नत हो गया।
एशिया में सर्वप्रथम औद्योगिक उन्नति करने वाला देश जापान रहा। कार, रेडियों, ट्रॉजिस्टर, कैमरे, घडि़याँ और खिलौने बनाने में जापान आज विश्व में अग्रणी देशो में है। जापान ने बड़े उद्योगों के स्थान पर छोटे उद्योगों को अधिक प्रोत्साहन दिया, जिससे बेरोजगारी की समस्या न फैल सके।
औद्योगिक क्रांति के प्रभाव और परिणामों
औद्योगिक क्रांति के प्रभाव/परिणाम (इंग्लैण्ड के सन्दर्भ में) औद्योगिक क्रांति के प्रभाव इंग्लैण्ड के आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्रों पर विशेष रूप से पड़े।
- आर्थिक प्रभाव- इंग्लैण्ड की औद्योगिक क्रांति ने इंग्लैण्ड की आर्थिक व्यवस्था में प्रभावशाली परिवर्तन किये। अब तक इंग्लैण्ड एक कृषि प्रधान देश था, इस क्रांति ने उसे औद्योगिक देश बना दिया। नये-नये आविष्कारों के कारण कारखानों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई। कुटी उद्योग-धन्धें समाप्त हो गये। पूँजीवाद का जन्म हुआ। पूँजी की मॉंग बढ़ने लगी। जिससे अनके बैंकों का जन्म हुआ। इंग्लैण्ड में फैक्ट्री के सिवाय कुछ नहीं रहा। नगरों में मजबूर गॉंव से काम करने को आये। इस प्रकार नवीन कारखानों और मिलों की स्थापना हुई।
- श्रमिकों की संख्या में वृद्धि- देश की जनसंख्या में वृद्धि हुई। यह इसका परिणाम था जो कि ब्रिटेन के जनजीवन में आया इंग्लैण्ड की जनसंख्या भी बढ़ी, क्योंकि मिल कारखानों में हजारों मजदूर आये। मजदूरों की दशा खराब थी। इसलिये समाजवाद का जन्म हुआ। मजदूरों की दशा सुधारने के लिये संघ बने।
- सामाजिक प्रभाव- क्रांति ने समाज को दो भागों में बॉंट दिया। एक पूँजीवादी, दसरे मजदूर। समाज में रहन-सहन में परिवर्तन दिखे। जीवन की आवश्यकताएँ बढने लगी। रोगों की रोकथाम हुई। लोग साबुन से नहाने लगे सूती कपडों का धोना आसान था।
- राजनैतिक प्रभाव- औद्योगिक क्रांति ने राज्य में पूँजीपतियों के प्रभाव को बढ़ाया उनको धन का लालच देकर वोट लिये। पार्लियामेन्ट में पूँजीपतियों की संख्या बढ़ गई। कामन सभा का प्रभाव बढ़ा। उद्योग-धन्धों के विकास से बहुत-सा सामान तैयार होने लगा। इसे खपाने के लिये नये-नये बजारों की तलाश हुई।
- धन की वृद्धि- औद्योगिक क्रांति के कारण इंग्लैण्ड के बजारों में धन की वृद्धि हुई।
- वस्तुओं का सस्ता होना- कारखानों में सस्ता माल तैयार होने लगा। जिससे वस्तुओं की कीमत सस्ती हो गई।
- देहाती जीवन में परिवर्तन- गाँव के लोग नगरों में आने लगे। अब वे नगरों में बसने लगे। समृद्धि के साथ निर्धनता को देखा गया। देहाती जीवन में परिवर्तन हुआ।
- विश्व व्यापार का विकास- कच्चा माल विदेशों से लाया जाने लगा। तैयार माल विदेशों में भेजा जाने लगा। औद्योगिक क्रांति अन्य देशों में फैलने लगा।
- राष्ट्रीयता का विकास- औद्योगिक क्रांति के कारण इंग्लैण्ड के लोगों में राष्ट्रीयता का विकास हुआ।
- सांस्कृतिक प्रभाव- औद्योगीकरण में अनेक कवियों, लेखकों आदि को भी प्रेरणा दी। औद्योगिकरण से लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में परिवर्तन आया था, उसे साहित्यकारों ने अपनी कृतियों में प्रतिबिम्बित किया। गोल्ड स्मिथ की कृतियाँ “दि डेजर्टेड विजेज” तथा “विलेज स्कूल मास्टर” विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।