इस लेख को विश्व इतिहास पर रुचि रखने वाले अजीत गौतम जी ने लिखा हैं। अजीत जी एक शिक्षक और एक बुद्धिजीवी हैं, जो देश और विदेश मे घटनाक्रम मे बेबाक होकर अपनी राय रखते हैं। आज उनके कलम से हम साइप्रस नाम के एक छोटे से देश या कहे तो एक छोटे से द्वीप के बारे मे जानेंगे।
साइप्रस का इतिहास
साइप्रस एक द्वीप हैं जो की एक स्वतंत्र देश भी हैं। साइप्रस एनाटोलिया पेनिनसुला के दक्षिण में पूर्वी मेडिटेरियन सागर में स्थित है। यह पश्चिमी एशिया का भूभाग है, लेकिन इसकी संस्कृति दक्षिण पूर्वी यूरोप से मिलती-जुलती है। साइप्रस में मुख्य रूप से ग्रीक जाति और तुर्की जाति के लोग रहते हैं। इनका रहना एवं जीवन चर्या यूरोप के किसी दूसरे देश के ही समान हैं। साइप्रस मिस्र के उत्तर में ग्रीक के पूर्व में तुर्की के दक्षिण में और लीबिया के पश्चिम में स्थित है। यह एक द्वीप के रूप में है जो चारों तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है। साइप्रस की सबसे बड़ी सिटी और राजधानी निकोसिया है। साइप्रस का उत्तर पूर्वी भाग तुर्की के द्वारा जबरदस्ती कब्जा कर लिया गया है। तुर्की के द्वारा साइप्रस का जो उत्तर पूर्वी भाग कब्जा किया गया है वह पूरे साइप्रस का 37% भाग है। बाकी बचे हुए भाग में साइप्रस की गणतंत्र एवं स्वतंत्र सरकार चलती है। साइप्रस के जिस भाग को स्वतंत्र देश माना जाता है वह पूरे साइप्रस का लगभग 63% क्षेत्र है। तथा यह दक्षिण साइप्रस के नाम से विख्यात है। दक्षिण साइप्रस और उत्तरी साइप्रस को बीच से ग्रीन लाइन नाम की बॉर्डर विभाजित करती है इस बॉर्डर पर संयुक्त राष्ट्र के भेजे सैनिकों का नियंत्रण हैं। लगभग 1000 शांति सैनिक यहां पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भेजे गए हैं। यह ग्रीन लाइन लगभग 180 किलोमीटर लंबी है। स्वतंत्र साइप्रस की राजधानी निकोसिया भी इसी ग्रीन लाइन में स्थित है।
अगर साइप्रस के प्राचीन इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर मध्य एशिया तथा पश्चिम की बड़ी रियासतों का समय-समय पर कब जा रहा है। साइप्रस कभी असीरियन का भाग रहा तो कभी मिश्र का नियंत्रण साइप्रस पर था तो कभी पर्शियन लोगों ने भी साइप्रस पर राज किया था। यहां तक की 333 बीसी में सिकंदर महान के द्वारा भी यह साइप्रस नाम का देश नियंत्रित किया गया था। समय के साथ-साथ रोमन साम्राज्य तथा अरबों ने भी इस पर शासन किया था। 1571 से लेकर 1878 तक यहां पर लगभग 300 वर्षो तक ओटोमन साम्राज्य का शासन रहा। इसके बाद 1878 मे ब्रिटेन ने इस द्वीप मे कब्जा कर लिया और यह कब्जा 1960 तक रहा हैं। साइप्रस ने 16 अगस्त 1960 को ब्रिटेन से आजादी पायी लेकिन साइप्रस प्रति वर्ष 1 अक्टूबर को ही अपना स्वतन्त्रता दिवस मानता हैं।
साइप्रस की मुद्रा क्या है
साइप्रस के राष्ट्रिय बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ साइप्रस हैं। साइप्रस यूरोपियन संघ का सदस्य हैं। रिपब्लिक ऑफ साइप्रस की मुद्रा यूरो (EURO) हैं। साइप्रस दुनिया मे बड़े देशो की सूची मे 80 नंबर के पायदान मे आता हैं।
साइप्रस की जनसंख्या | साइप्रस मुस्लिम आबादी
साइप्रस मे ग्रीक मूल के क्रिश्चन बहुसंख्यक हैं। 2001 की जनगणना के अनुसार 94% ओर्थोड़ोक्स क्रिश्चन की आबादी हैं, 1.5% रोमन केथोलिक की आबादी हैं और मात्र 0.6 प्रतिशत लोग यहाँ पर तुर्की मूल के लोग रहते हैं। यानि की साइप्रस मे मुस्लिम आबादी 0.6% मात्र हैं। 2021 की जनगणना के अनुसार साइप्रस मे कुल आबादी 1244188 हैं। साइप्रस की जनसंख्या घनत्व 123 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर हैं।
साइप्रस टर्की मुद्दा | साइप्रस तुर्की विवाद
साइप्रस 1960 मे अँग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था, और वह अपने उज्ज्वल भविष्य की तैयारी कर रहा था की 1974 मे साइप्रस मे रहने वाले ग्रीक ईसाइयो और तुर्की मूल के मुसलमानो के बीच दंगा हो गया। इस दंगे की आड़ लेकर तुर्की ने साइप्रस मे हमला कर दिया और साइप्रस के 1/3 हिस्सा कब्जा कर लिया। यह हिस्सा पूरे साइप्रस के क्षेत्रफल का 37 % भाग हैं। तुर्की ने अभी तक इस अवैध कब्जे को अपने पास रखा हुआ हैं, जिसकी वजह से साइप्रस और तुर्की के बीच विवाद का मुद्दा बना हुआ हैं। वर्तमान मे साइप्रस दो भाग मे हैं एक उत्तरी साइप्रस हैं जिस पर तुर्की का अवैध कब्जा हैं, जबकि दूसरा भाग दक्षिणी साइप्रस हैं जो की स्वतंत्र हैं और एक गणराज्य देश हैं। पहले बांग्लादेश और पाकिस्तान ने तुर्की का साथ देते हुये तुर्की के साइप्रस पर अवैध कब्जे को मान्यता दी थी, लेकिन अमेरिका की दर की वजह से बांग्लादेश और पाकिस्तान ने अपना समर्थन वापस ले लिया था।
साइप्रस और भारत
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति मे भारत के लिए साइप्रस एक महत्वपूर्ण देश हैं। इस लिए हाल के दिनो मे भारत ने साइप्रस से कई तरह के समझौते किए हैं। टर्की कश्मीर के मुद्दे मे लगातार पाकिस्तान का साथ दे रहा हैं। इस लिए टर्की को नियंत्रण करने के लिए भारत ने साइप्रस के साथ अपने रिश्ते को और मजबूत करने मे लगी हुई हैं। क्योंकि टर्की ने साइप्रस के लगभग 37% भूमि को जबरन और अवैध रूप से कब्जा किया हुआ हैं, इस लिए कश्मीर के मुद्दे का बदला लेते हुये भारत भी साइप्रस के उस हिस्से की आजाद की बात कर रहा हैं जो हिस्सा टर्की ने गुलाम बना कर रखा हुआ हैं। इसके अलावा भारत टर्की को घेरने के लिए मिस्र से भी अपने रिश्तो को नई ऊंचाई मे ले जाना चाहता हैं। उदाहरण के लिए भारत ने 26 जनवरी 2023 की गणतंत्रता दिवस की परेड मे मिस्र के राष्ट्र अध्यक्ष को भारत का मुख्य अतिथि के रूप मे निमंत्रित किया था। भारत सामरिक, राजनीतिक और व्यापारिक मुद्दो के अनुसार साइप्रस और मिस्र भी भारत केई भूमिका को अहम मानते हैं।
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