भारत में यूरोप के कई देश व्यापार के उद्देश्य से लगातार भारत में आ रहे थे, इनके आने का क्रम निम्न प्रकार से है, सबसे पहले पुर्तगाली, फिर डच, इसके बाद इंग्लैंड, फिर डेनमार्क और अंतिम में फ्रांसीसी भारत आए थे।
पुर्तगाली कंपनियाँ भारत मे कब आए?
- वास्कोडिगामा यूरोप का पहला व्यापारी था, जिसने यूरोप से भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज की थी।
- वास्कोडिगामा 1498 में कालीकट के समुद्र तट पर एक गुजराती व्यापारी के साथ आया था। वास्कोडिगामा भारत को खोजते खोजते अफ्रीकी देश पहुंच गया था, जहां पर उसे एक गुजराती मिला, जिसकी सहायता से वह कालीकट पहुंचा था। अब्दुल मनीक नाम का गुजराती उसका पथ प्रदर्शक था।
- पुर्तगाली के समुद्री साम्राज्य को मुस्तादो द इंडिया के नाम से जाना जाता था।
- पुर्तगालियों के द्वारा भारत में पहला गवर्नर फ्रांसिस्को द अल्मिड़ा को बनाया गया था। फ्रांसिस्को-दा-अल्मिड़ा 1505 से लेकर 1509 तक गवर्नर रहा।
- इसके बाद सन 1509 में अल्बूकर्क को भारतीय क्षेत्र का गवर्नर नियुक्त किया गया। उसने 1510 में बीजापुर के युसूफ आदिलशाह को हराकर गोवा पर अपना अधिकार कर लिया।
- पुर्तगाली वॉइसराय नान्हु-डी-कुन्हा ने 1530 में कोचीन की जगह गोवा को अपनी राजधानी बना लिया।
- पुर्तगाल के प्रसिद्ध संत फ्रांसिस्को जेवियर भारत आया उसके साथ भारत का पुर्तगाली गवर्नर अल्फांसो डिसूजा भी आया था।
- पुर्तगालियों ने हुगली मे व्यापारिक जहाजो को लूटने के लिए वहाँ पर कब्जा कर लिया था, इसलिए 1632 में शाहजहां ने पुर्तगालियों पर आक्रमण करके उन्हे हुगली से खदेड़ कर बाहर कर दिया।
- इंग्लैंड और पुर्तगाल के बीच वैवाहिक संबंध होने की वजह से 1622 में पुर्तगालियों ने अंग्रेजों को उपहार के रूप में बुम्बई दे दिया था।
- पुर्तगालियों ने अपनी नौसेना शक्ति के आधार पर भारत में घोड़े के आयात का एक अधिकार प्राप्त कर लिया। इसके अलावा पुर्तगालियों ने भारत में तंबाकू की खेती तथा प्रिंटिंग प्रेस आरंभ कर दिया।
- भारत की आजादी के बाद भी पुर्तगाली 1961 तक भारत में ही रहे, इसके बाद भारतीय सैनिकों के दबाव में आकर उन्होंने 1961 में गोवा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- पुर्तगालियों ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी केरल के कोचीन में खोली थी। पुर्तगालियों ने भारत में गोथिक वस्तु कला की शुरुआत की थी।
डच कंपनियाँ भारत मे कब आए?
- भारत में पुर्तगालियों के बाद डच भारत में व्यापार करने के लिए आए। 1596 में भारत में आने वाला पहला डच नागरिक कार्नेलियस डेहस्तमान था।
- सन 1602 में डच ने यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ नीदरलैंड की स्थापना की थी। 1605 में डच कंपनी ने मसूलीपट्टनम में अपनी पहली फैक्ट्री की स्थापना की थी।
- इसके बाद डच कंपनी में पुलीकट(1610), चिनसुरा (1653), कोचीन(1663), पटना और सूरत(1616), नागपट्टनम(1658) बालासोर(1658) और कासिम बाजार में डचो ने अपनी फैक्ट्रियों को स्थापित किया।
- सन 1639 में डचो ने गोवा पर आक्रमण कर दिया। इसके बाद 1641 में मलक्का पर नियंत्रण करने के बाद 1698 श्रीलंका में अधिकार कर लिया।
- डचों ने पुलीकट में सोने से बने सिक्के पगोड़ा का प्रचलन बढ़ाया।
- सन 1759 में बेदरा की लड़ाई हुई, इस युद्ध में अंग्रेजो के हाथो डच कंपनियों की हार हुई और भारतीय क्षेत्र में डच कंपनी का नियंत्रण समाप्त हो गया। भारत में डच कंपनी मसालो के व्यापार के बजाय वस्त्र उद्योग पर ज्यादा ध्यान दिया। डच का उद्देश्य भारत मे व्यापार पर एकाधिकार करना था, न की यहाँ पर साम्राज्य की स्थापना करना।
अंग्रेज कंपनियाँ भारत मे कब आए?
सन 1599 में जॉन मिल्डेनहाल नाम का एक ब्रिटिश यात्री जमीनी मार्ग से भारत आया था। इसके बाद 1600 में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई। 1600 में पहली बार कोई अंग्रेज कैप्टन भारत आया। उस कैप्टन का नाम हॉकिंस जेम्स था। वह जहांगीर के दरबार में राजदूत बनकर आया था। 1615 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने टॉमस रो को जहांगीर के दरबार में व्यापारिक केंद्र को स्थापित करने के लिए स्वीकृति लेने के लिए भेजा था।
शुरुआत में भारत आई ईस्ट इंडिया कंपनी में लगभग 217 साझीदार थे और पहला गवर्नर टॉमस स्मिथ था। 1611 में दक्षिण-पश्चिम समुद्र तट पर स्थित मसूलीपट्टनम में अंग्रेजों ने पहला व्यापारिक कोठी की स्थापना की थी। अंग्रेजों ने अपनी पहली फैक्ट्री गुजरात के सूरत में 1608 में स्थापित की थी। 1651 में शाहशुजा ने अंग्रेजो को व्यापार करने के लिए बंगाल में विशेष अधिकार दे दिए थे। 1717 में फारुखसियर ने बंगाल में अंग्रेजो को व्यापार करने के लिए कर मुक्त कर दिया था। यानी कि बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार करेगी और उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसी दौरान अंग्रेजों ने वहां पर फोर्ट विलियम का निर्माण किया था।
1757 में बंगाल में अंग्रेजों का राजनीतिक रूप से वर्चस्व स्थापित हुआ। क्योंकि अंग्रेजों ने 1757 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को प्लासी के युद्ध में पराजित कर दिया था। यहीं से अंग्रेजों की शक्ति स्थापित हुई। 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ और 1765 में इलाहाबाद की संधि हुई, जिसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का दिल्ली में प्रभुत्व स्थापित हो गया। 1857 के विद्रोह के बाद 1858 में भारत से ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया गया और इंग्लैंड के राजा का शासन सीधे भारत में लागू कर दिया गया।
डैनिश कंपनियाँ भारत कब आए थे?
- डेनमार्क की व्यापारिक कंपनी का गठन 1616 में हुआ था। इस कंपनी ने तमिलनाडु के त्रेंकोंबार तथा बंगाल के सेरामपुर में अपनी फैक्ट्रियों को स्थापित किया था।
- डेनिस कंपनी में निकोबार द्वीप मैं अपना अधिकार जमा लिया और 1868 में अंग्रेजों को बेच दिया और यहीं से डेनिस कंपनी का नियंत्रण भारत से समाप्त हो गया।
फ्रांसीसी कंपनियाँ भारत कब आए?
- फ्रांस की ईस्ट इंडिया कंपनी 1664 में भारत आई थी, इस समय फ्रांस का राजा लुई चौदहमे थे।
- सन 1674 में फ्रांसिस मार्टिन ने पांडिचेरी नाम के स्थान की स्थापना की थी। 1731 में फ्रांस ने डुप्ले को भारत का गवर्नर बनाकर भेजा था।
- फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी लंबे समय तक भारत में अपने नियंत्रण को बनाए रखने के लिए अंग्रेजों से संघर्ष करती रही।
- प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-48 अंग्रेजों और ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध से प्रभावित था। आक्सा-ला-शैपेल नाम के संधि के लागू होते ही भारत में भी युद्ध समाप्त हो गया।
- इसके बाद दूसरा कर्नाटक युद्ध 1749-1754 हुआ, इस युद्ध में फ्रांस की तरफ से भारत के गवर्नर डुप्ले की हार हुई और पांडिचेरी संधि के साथ ही युद्ध विराम हुआ।
- कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 से 1763 के बीच हुआ, पेरिस की संधि होने के बाद या युद्ध समाप्त हो गया।
- सन 1760 में सर आयरकूट के नेतृत्व में अंग्रेजों ने वांडीवाश के युद्ध में फ्रांसीसी सैनिकों को हरा दिया। 1761 में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांसीसीओ से छीन लिया।
- लेकिन 1763 में पांडिचेरी तथा कुछ अन्य प्रदेश फिर से फ़्रांसीसीओ को वापस लौटा दिए, परंतु फ्रांसीसियों को किलेबंदी का अधिकार नहीं दिया गया।