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INDIA GK Question : PSC एवं IAS से संबन्धित कक्षा 10वीं के सामान्य ज्ञान प्रश-उत्तर

भारत के आधुनिक इतिहास एवं स्वतंत्र के आंदोलनो से भरे इतिहास से संबन्धित india gk question जो की PSC और IAS की तैयारी करने वालों के लिए लाभकारी, सभी प्रश्न क्लास 10वी से संबन्धित हैं। इसलिए यह आर्टिक्ल क्लास 10वीं के बच्चो के लिए भी लाभकारी सिद्ध होंगे।

Table of Contents

गिरमिटिया मजदूर से क्या तात्पर्य है?

भारत को जब अंग्रेजो के द्वारा गुलाम बना लिया गया था। तब अंग्रेज भारत के प्राकृतिक संसाधन के अलावा मानवीय क्षमताओं का भी अधिक से अधिक दोहन कर रहा था। इसी क्रम पर वह भारतीय मजदूरों को काम कराने के लिए फ़िजी, गुयाना, वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका जैसे स्थानों पर ले जा रहे थे। इन्हीं भारतीय मजदूरों को ही गिरमिटिया मजदूर(girmitiya majdoor) कहां जाने लगा। भारतीय मजदूरों को कॉन्ट्रैक्ट यानी अनुबंध के तहत विदेश ले जाया जाता था। समय के साथ इसी अनुबंध को गिरमिट कहा जाने लगा और जो मजदूर इस अनुबंध के तहत आते थे। उन्हें गिरमिटिया मजदूर कहा जाता था।

“नेहरु रिपोर्ट” कब प्रस्तुत की गई थी? इस रिपोर्ट की दो विशेषताएं लिखिए।

लखनऊ सर्वदलीय सम्मेलन में “नेहरू रिपोर्ट” को 10 अगस्त 1928 को प्रस्तुत किया गया था। इस रिपोर्ट का नाम नेहरू रिपोर्ट इसलिए था क्योंकि इस रिपोर्ट को बनाने वाली समिति के अध्यक्ष मोतीलाल नेहरू थे। तत्कालीन समय पर ज्यादातर समितियां जो बनाई जाती थी उनके द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का नाम हमेशा समिति के अध्यक्ष के नाम पर ही होता था। इस रिपोर्ट की दो सबसे प्रमुख बात यह थी की इस रिपोर्ट में भारत को जितना जल्दी हो सके अंग्रेजी शासन से स्वतंत्र कराए जाने की बात कही गई थी और दूसरा जो प्रमुख बात इस रिपोर्ट की थी, वह यह थी कि कार्यकारिणी विधानमंडल के प्रति उत्तरदाई हो।

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द्वैध शासन व्यवस्था का क्या अर्थ है?

जब किसी देश में या फिर किसी क्षेत्र में दो सरकार या फिर दो शक्तियों के द्वारा शासन किया जाता है, तो इस प्रकार की शासन प्रणाली को द्वैध शासन कहते हैं। उदाहरण के लिए बंगाल में द्वैध शासन था। क्योंकि उस दौरान बंगाल के नवाब बंगाल पर शासन करते थे। इसके अलावा अंग्रेजो के द्वारा भी बंगाल में शासन किया जा रहा था। यानी अगर किसी देश या राज्य में दो सरकार क्रियान्वित हो रही हैं, तब वहां की शासन व्यवस्था को द्वैध शासन व्यवस्था कहेंगे।

उदारवाद से आप क्या समझते हैं?

उदारवाद एक राजनीतिक एवं वैचारिक व्यवस्था है, जिसमें सबको स्वतंत्रता प्राप्त होती है। उदारवाद के कई गुणों में 1 गुण है, अहिंसा का पालन करना। उदारवाद हिंसा का धुर विरोधी है। उदारवाद फिर से अवसर उपलब्ध कराने का पक्षधर है।

संथाल विद्रोह भारत के किस क्षेत्र में हुआ? इसके नेता कौन थे?

संथाल वुडरोह एक सशस्त्र विद्रोह था। इस विद्रोह का केंद्र भागलपुर से लेकर राजमहल की पहाड़ियो तक था। संथाल आदिवासियो ने एकत्र होकर अंग्रेजों की दुराचारी और शोषण पूर्ण शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। संथाल विद्रोह का नेतृत्व दो सगे भाइयो ने किया था। इनका नाम सिद्धू और कांहू था।

असहयोग आंदोलन के सकारात्मक कार्यक्रम क्या थे?

असहयोग आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजों के खिलाफ दबाव बनाना था। और इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया गया जैसे पंचायतों की स्थापना करना राष्ट्रीय स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना करना छुआछूत की प्रथा को पूर्णता समाप्त करने का प्रयास इसी आंदोलन के दौरान किया गया महात्मा गांधी का लोकप्रिय चरखा का प्रचार भी इसी आंदोलन के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक था तथा अहिंसा को बल देना अहिंसा के माध्यम से आजादी को प्राप्त करना।

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काकोरी केस में किन-किन क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी गई थी?

काकोरी देश में भारत के चार क्रांतिकारी बेटों को फांसी की सजा सुनाई गई थी इनके नाम राजेंद्र लाहिडी रोशन सिंह राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान थे

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब और किसने की थी? कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 18 सो 55 में की गई थी और इसके संस्थापक ए ओ ह्यूम थे कांग्रेस की जब प्रथम अधिवेशन को बुलाया गया तो इसके अध्यक्ष डब्ल्यू सी बनर्जी इनका पूरा नाम व्योमेश चंद्र बनर्जी थे।

दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी सत्याग्रह में क्यों शामिल हुए?

महात्मा गांधी जब दक्षिण अफ्रीका में वकालत कर रहे थे तब उन्होंने देखा कि वहां पर रहे रहे हजारों मजदूरों वहां के मूल अश्वेत निवासी के अधिकारों का हनन करने के लिए नस्ल विधि कानून लाया गया है तब महात्मा गांधी ने इस नस्ल भेजी कानून के खिलाफ सत्याग्रह में शामिल हो गए। 6 नवंबर 1913 को मजदूरों ने न्यू कैसल से लेकर ट्रांसवाल महात्मा गांधी के नेतृत्व में जुलूस निकाला था।

भारत में लोगों द्वारा रोलेट एक्ट का किस प्रकार विरोध किया गया? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए

रौलट एक्ट के आने के बाद भारतीय लोगों ने इसके विरोध के लिए कई अलग अलग तरीको से विरोध किया था। रौलट एक्ट के विरोध में भारतीयों के द्वारा भारत के अलग-अलग शहरों में रैली और जुलूस ओं का आयोजन किया गया इसके अलावा रेलवे के जितने भी कारखाने थे वहां पर काम करने वाले लोग हड़ताल में चले गए तथा भारत के कई शहरों में दुकान के मालिकों ने एवं दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों ने दुकान को बंद करके अपना विरोध जताया था।

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बागानी मजदूरों ने असहयोग आंदोलन में क्यों भाग लिया? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों से बागानी मजदूर काशी ज्यादा प्रभावित हो रहे थे जिसकी वजह से उन्होंने अपने विरोध को जिताने के लिए असहयोग आंदोलन में भाग लिया इसके अलावा 18 सो 59 के इनलैंड इमीग्रेशन एक्ट के कारण बागानों में काम करने वाले मजदूरों पर बिना इजाजत के बागानों से बाहर जाने पर रोक लगा दी थी। तथा बागान में काम करने वाले मजदूरों का वेतन बहुत कम था लेकिन वेतन की तुलना में उनसे अधिक काम लिया जा रहा था। बागान मजदूरों की स्थिति दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही थी और उन्हें बंधुआ मजदूरों की तरह रखकर काम लिया जा रहा था तथा भारतीय मजदूरों को अंग्रेज गिरमिटिया मजदूर बनाकर विदेश भी भेज रही थी इन्हीं सब कारणों की वजह से बादाम के काम करने वाले मजदूरों ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया था।

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