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फरवरी 2023 मे सप्तमी कब हैं? | february 2023 me saptami kab hai?

फरवरी 2023 मे सप्तमी कब हैं? | february 2023 me saptami kab hai

फरवरी 2023 मे सप्तमी दो दिन पड़ रही हैं, पहली सप्तमी रविवार के दिन, 11 फरवरी 2023 को हैं, इस दिन फागुन का कृष्ण पक्ष हैं। जबकि फरवरी 2023 की दूसरी सप्तमी भी रविवार के दिन 26 फरवरी 2023 को ही पड़ रही हैं। 26 फरवरी 2023 को फागुन की शुक्ल पक्ष की सप्तमी पड़ रही हैं।

इसके अलावा 12 फरवरी को माँ यशोदा जयंती हैं तो 26 फरवरी को वीर सावरकर जी की पुण्य तिथि भी हैं।

11 फरवरी को सप्तमी : 11 फरवरी 2023 की सप्तमी सुबह 09:08 मिनट से प्रारम्भ होगी, तथा 12 फरवरी को सुबह 09:45 मिनट मे समाप्त हो जाएगी।

26 फरवरी को सप्तमी : 26 फरवरी 2023 की सप्तमी रात को 12:21 AM से प्रारम्भ होगी और 27 फरवरी 2023 की रात 12:58 मिनट तक रहेगी। इस सप्तमी को भानु सप्तमी कहते हैं।

सप्तमी क्या हैं?

हिन्दू पंचांग मे एक महीने मे दो पक्ष होते हैं। एक शुक्ल पक्ष होता हैं तो दूसरा कृष्ण पक्ष होता हैं। दोनों पक्षो का 7वां दिन सप्तमी कहलाती हैं। शुक्ल पक्ष मे सप्तमी के दिन सूर्य और चंद्रमा का अंतर 73 डिग्री से 84 डिग्री अंश तक का होता हैं। जबकि कृष्ण पक्ष मे सप्तमी के दिन सूर्य और चन्द्र मे 253 डिग्री से 264 डिग्री अंश तक का अंतर पाया गया हैं। सप्तमी हर महीने दो बार आती हैं, सप्तमी का स्वामी भगवान सूर्य को माना गया हैं। अगर किसी व्यक्ति का जन्म सप्तमी के दिन हुआ हैं तो उसे भगवान सूर्य का प्रतिदिन पूजन करना चाहिए,ऐसा करने से मान सम्मान बढ़ता हैं। सप्तमी तिथि को मित्रापदा भी कहा जाता हैं।

सप्तमी तिथि का महत्व

  • अगर किसी महीने मे सप्तमी शुक्रवार और सोमवार के दिन पड़ती हैं तो यह अच्छा दिन नहीं माना गया हैं, इस सप्तमी के दिन मृत्युदा योग माना जाता हैं। इस दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
  • अगर किसी महीने मे सप्तमी बुधवार को पड़ती हैं तब इसे अच्छा माना गया हैं, बुधवार के दिन अगर सप्तमी पड़ती हैं तो इसे सिद्धा कहा जाता हैं। इस दिन जो भी कार्य करे वो सफल होते हैं।
  • शुक्ल पक्ष मे आने वाली सप्तमी मे भगवान शंकर की पूजा करने के बारे मे शास्त्रो मे बताया गया हैं। लेकिन कृष्ण पक्ष मे आने वाले सप्तमी मे शिव भगवान की पूजा नहीं अकर्णी चाहिए।
  • ज्योतिष शस्त्र के अनुसार सप्तमी तिथि के दिन माँ कालरात्रि की पूजा का दिन माना गया हैं। माँ कालरात्रि की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं।
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सप्तमी तिथि मे जन्मे लोग

जो व्यक्ति सप्तमी तिथि मे जन्म लेते हैं वो लोग अपने कार्य के प्रति सजग रहते हैं तथा अपने कार्य को बड़ी ही ज़िम्मेदारी से करते हैं। इसलिए सप्तमी तिथि मे जन्मे लोगो का कार्य हमेशा सफल होता हैं। सप्तमी के स्वामी सूर्य हैं, इसलिए सप्तमी मे जन्मे लोगो के अंदर नेतृत्व क्षमता होती हैं। लेकिन इन लोगो को लोगो के साथ मेल-मिलाप करना पसंद नहीं होता हैं, लेकिन नई जगह मे इन्हे घूमना फिरना बहुत पसंद हैं। इस तिथि मे जन्मे लोगो के अंदर प्रतिभा होती हैं और मेहनती होने की वजह से ये किसी भी काम से पीछे नहीं हटाते हैं, इसलिए ये धनवान भी होते हैं। सप्तमी तिथि मे जन्मे जातक कलाकार होते हैं लेकिन जीवन साथी से इनकी नहीं बनती हैं।

सप्तमी मे शुभ कार्य

  1. सप्तमी तिथि के दिन यात्रा, संगीत, विद्या और विवाह आदि कार्य को करना शुभ माना गया हैं।
  2. इसके अलावा इस तिथि मे किसी नई जगह जाना, यात्रा करना और नई चीजे खरीदना शुभ माना गया हैं।
  3. सप्तमी के दिन अन्नप्राशन और उपनयन संस्कार करना अति उत्तम माना गया हैं।
  4. इसके साथ ही सप्तमी के किसी भी पक्ष मे तेल और नीले रंग के कपड़े नहीं खरीदने चाहिए और तांबे के पात्र मे भोजन नहीं करना चाहिए।

सप्तमी तिथि के प्रमुख व्रत

शीतला सप्तमी : हिन्दू कैलेंडर के चैत्र महीने मे यानि की मार्च के आस-पास कृष्ण पक्ष के दिन पड़ने वाले सप्तमी को शीतरा सप्तमी कहा जाता हैं। इसदिन लोग माता शीतला का व्रत करते हैं। इस दिन जो लोग माता शीतला का व्रत या पूजा करते हैं, उन लोगो को उस दिन घर मे चूल्हा नहीं जलाना चाहिए। शीतला सप्तमी के दिन बासी भोजन खाया जाता हैं।

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संतान सप्तमी : भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष मे पड़ने वाली सप्तमी को ललिता सप्तमी माना गया हैं। इस तिथि के दिन सभी हिन्दू माताएँ अपने संतान की लंबी उम्र और उनकी सफलता के लिए संतान सप्तमी के दिन व्रत एवं पूजा-पाठ करती हैं। संतान सप्तमी के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर जी की पूजा की जाती हैं।

गंगा सप्तमी : बैसाख महीने की शुक्ल पक्ष मे पड़ने वाली सप्तमी को गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता हैं। माना जाता हैं की की इस दिन गंगा नहाने से बहुत पुण्य मिलता हैं। हिन्दू धर्म शास्त्रो के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन ही भागीरथ जी को मटा गंगा ने वरदान दिया था, की जल्दी ही वो धरती मे अवतरित होंगी।

विष्णु सप्तमी : मार्गशीश यानि की अगहन के महीने  की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को विष्णु सप्तमी के नाम से जाना जाता है, इस सप्तमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान हैं, जो व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करता हैं एवं व्रत करता हैं उसके रुके हुये और अधूरे कार्य पूरे हो जाते हैं।

रथ सप्तमी : माघ महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी या फिर रथ आरोग्य सप्तमी के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति रोगो से मुक्त रहता हैं। पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण भगवान के पुत्र शाम्ब ने इस व्रात को किया था और रोगो से मुक्ति पाई थी।

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