नैवेद्य का अर्थ, नैवेद्य क्या होता है, नैवेद्य का अर्थ क्या है, नैवेद्य क्या होता है, नैवेद्य चढ़ाए जाने के नियम क्या है, किस भगवान को क्या नैवेद्य चढ़ाये, धूप दीप नैवेद्य मंत्र, धूप के समय का मंत्र, दीप जलाते समय का मंत्र, नैवेद्य चढ़ाते समय का मंत्र,

नैवेद्य क्या होता है? नैवेद्य चढ़ाए जाने के नियम क्या है?

नैवेद्य क्या होता है?

नैवेद्य एक हिंदी शब्द है, जिसका अर्थ होता है “भगवान को अर्पित किया जाने वाला आहार” या “भगवान को चढ़ाया जाने वाला आहार”। धार्मिक अनुष्ठानों या पूजा-अर्चना में अक्सर अन्न भगवान को अर्पित किये जाते हैं और उन्हें नैवेद्य कहा जाता है। यह नैवेद्य भगवान के प्रसाद के रूप में श्रद्धा भाव से भक्तों को वापस दिया जाता है।

यह धार्मिक अनुष्ठान हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, और अन्य भारतीय धर्मों में सामान्य रूप से देखा जा सकता है। नैवेद्य में अक्सर प्रसाद के रूप में फल, खीर, मिठाई, चावल, दूध, पानी, दुपहरी, बताशे, भोगी, पुष्प, तेल, दीपक आदि चीजें शामिल होती हैं।

नैवेद्य चढ़ाए जाने के नियम क्या है?

  1. जब भी भगवान को नैवेद्य चढ़ाये तो इस बात का ध्यान रखे की पीतल की थाली या केले के पत्ते पर ही नैवेद्य परोसा जाए।
  2. भगवान को जब भी नैवेद्य परोसे तो नैवेद्य में नमक के स्थान पर मिष्ठान्न को नैवेद्य मे शामिल करे।
  3. भगवान के सामने नैवेद्य को परोसने के पहले यह सुनिश्चित कर ले की प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता जरूर रखा हुआ हो।
  4. भगवान को नैवेद्य चढ़ाने के बाद तुरंत ही भगवान के सामने से नैवेद्य की थाली नहीं हटानी चाहिए।
  5. पूजा के समय जब भी भगवान को नैवेद्य चढ़ाये तो नैवेद्य को भगवान के दक्षिण भाग में रखना चाहिए। कुछ धार्मिक ग्रंथों में बताया गया हैं की पका हुआ नैवेद्य भगवान के बाईं तरफ रखा जाता हैं जबकि कच्चा (फल) नैवेद्य भगवान के दाहिनी तरफ रखना चाहिए।
  6. भगवान को भोग चढ़ाने के लिए भोग और जल को पहले अग्नि के सामने रखते हैं। फिर देवताओं का आह्वान किया जाता हैं। इसके बाद तैयार किए गए सभी भोग को एक एक करके थोड़ा-थोड़ा हिस्सा अग्नि मे मंत्रो के द्वारा समर्पित किया जाता हैं। अंत में देवताओं को आचमन कराया जाता हैं और इसके लिए भी मंत्रोच्चार  कर के पुन: जल छिड़का जाता हैं और हाथ जोड़कर प्रणाम किया जाता हैं।
  7. भोग के अंत में भोग का कुछ हिस्सा लेकर गाय, कुत्ते और कौए को दिया जाना चाहिए।
  8. जब भी भगवान के लिए भोग बनाए तो यह ध्यान रखे की भोग मे कभी भी नमक, मिर्च और तेल,प्याज,लहसुन का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
  9. रोज की पूजा मे अगर आप नैवेद्य चढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए नैवेद्यम के विकल्प के रूप में दूध, मिश्री, नारियल, गुड़, खीर, भोजन, मिठाई ताजे फल सूखे मेवे का उपयोग किया जा सकता है।
  10. भगवान को भोजन (नैवेद्यम) अर्पित करने के बाद – हम मंत्र का जाप करते हैं “देव देव नमस्तुब्यम, प्रसादम कुरु केशव, अवलोकन दानेन बोयं पलच्युतः” यानी “कृपया इस नैवेद्यम को हम सभी के लिए प्रसाद के रूप में पेश करें।”
See also  तर्जनी उंगली पर तिल होना | Tarjani Ungali par Til Hona

किस भगवान को क्या नैवेद्य चढ़ाये

हिंदू धर्म में भगवानों के अलग-अलग रूप और अवतार होते हैं और उन्हें अलग-अलग प्रसाद चढ़ाया जाता है। यह प्रसाद भक्तों की आस्था और प्रेम का प्रतीक होता है और विभिन्न देवी-देवताओं को विभिन्न प्रकार के भोजन, मिठाई और फल चढ़ाने के विधान हैं, इस भाग मे हां जानेंगे की किस भगवान को कौनसा प्रसाद चढ़ाया आता हैं। कुछ प्रमुख भगवान और उनके प्रसाद के उदाहरण नीचे दिये हुये हैं:

  1. श्री गणेश: भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, पिस्ता बर्फी, बैल का फल, आम, सीब, केले, अनार, मिश्रित मिठाइया, दूध से बने पकवान एवं मिष्ठान बहुत पसंद हैं।
  2. देवी दुर्गा: माता दुर्गा को प्रसाद में हलवा, पूरी, चना, मलपुआ जैसे मिष्ठान और फल, फूल जैसे नैवेद्य पसंद हैं।
  3. श्री राम: भगवान राम को खाने में फल, खीर, दूध, मिश्रित मिठाई, और भगवान के प्रिय वनवासी खाद्य पदार्थ जैसे साबुदाना, फलहारी खाने प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।
  4. श्री कृष्ण: मक्खन, मिश्रित चावल, भगवान कृष्ण को फल (केले, आम, सीब, अनार आदि) के रूप में भी प्रसाद चढ़ाया जा सकता है, बेसन के लड्डू, सूजी के हलवे आदि।
  5. शिव: भगवान शिव को प्रसाद के रूप मे दूध, खीर, बेल का फल, धतूरे का फल, भांग आदि प्रिय हैं।
  6. देवी सरस्वती: खीर, सफेद वस्त्र, फूल
  7. देवी लक्ष्मी: पूरी, हलवा, मिठाई, फल
  8. सूर्य देव: गुड़, चाशनी वाले पुए, खिले हुए फल

धूप दीप नैवेद्य मंत्र

धूप, दीप, और नैवेद्य (प्रसाद) भगवान की पूजा और आराधना में उपयोग किए जाने वाले तीन प्रमुख उपचार हैं। इन्हें भक्ति और श्रद्धा भाव से उन्हें आर्पित किया जाता है।

See also  दिन के हिसाब से किस रंग के कपड़े पहनने चाहिए, आइये जानते हैं

धूप के समय का मंत्र :

धूप, या धूप बत्ती, विशेष अरोग्य प्रदायक द्रव्य है जो पूजा और आरती के दौरान उपयोग किया जाता है। धूप के इस रूप से प्रत्येक भक्त प्रेम और भक्ति को दिखाता है। धूप जलाते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जा सकता है: “गणेशाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो धूम्र प्रचोदयात्॥”

दीप जलाते समय का मंत्र:

दीप प्रकाश को प्रतिनिधित्व करता है और अभिवादन के रूप में आत्मीयता भाव दर्शाता है। दीप जलाते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जा सकता है: “सुर्याय नमः।”

नैवेद्य चढ़ाते समय का मंत्र:

नैवेद्य, या प्रसाद, भगवान को अर्पित किया जाने वाला आहार है। यह भोग, मिठाई, फल, और अन्य आहार वस्तुएं हो सकती हैं। भक्ति और प्रेम के साथ बनाए गए नैवेद्य को भगवान के सामने रखते समय उन्हें ध्यान में रखकर अर्पित किया जाता है। नैवेद्य अर्पण करते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जा सकता है: “ओम् नमः भगवते वासुदेवाय।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *