पीतल का परिचय
Pital ke Bartan ke Fayade – पीतल को बनाने के लिए ताबा और जस्ता का इस्तेमाल किया जाता है। पीतल शब्द पीत से बनाया गया है, इसका मतलब होता है पीला और धार्मिक दृष्टि से पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय रंग माना गया है। हिंदू धर्म में पीले रंग का इस्तेमाल पूजा पाठ में काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है। भगवान विष्णु को वस्त्र और आसन के लिए पीले रंग के कपड़े का ही इस्तेमाल किया जाता है और पूजा पाठ के लिए पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल प्राथमिक रूप से होता है। वेदों में पीतल को भगवान धन्वंतरि का सबसे प्रिय धातु बताया गया है। महाभारत में पीतल से संबंधित एक कथा है, जिसके अनुसार सूर्य देव ने द्रौपदी को पीतल का लोटा (अक्षय पात्र) दिया था। जिसकी सबसे खास बात यह थी की इस पात्र के मदद से द्रौपदी जितने लोगों को चाहे उतने लोगों को भोजन करा सकती थी। इस अक्षय पात्र में कभी भी खाना नहीं घटता था।
पीतल के बर्तन के लाभ (Pital ke Bartan)
- सेहत की दृष्टि से अगर देखा जाए तो पीतल के बर्तनों में बने हुए भोजन को स्वादिष्ट और संतोष देने वाला बताया गया है तथा पीतल के पात्र में बने भोजन को तेज और ऊर्जा देने वाला भोजन बताया गया है। पीतल के बर्तन में खाना दूसरे बर्तन की तुलना में जल्दी बनता है क्योंकि पीतल का बर्तन दूसरे धातु के बर्तन की तुलना में जल्दी गर्म होता है।
- पीतल की बनी हुई थाली, कटोरे, गिलास, पीतल का लोटा (pital ka lota) आदि बर्तनों का इस्तेमाल करने से शरीर में उर्जा का प्रसार बढ़ता है और विकारों में कमी आती है।
- जिस घर में पीतल के बने बर्तन, पीतल के बने देवताओं की मूर्तियां, सिंहासन, घंटे और अनेक प्रकार के वाद्य यंत्र होते हैं, ऐसे घरों में गरीबी का नामोनिशान नहीं रहता है।
- ज्योतिष शास्त्र की अगर मानें पीतल का रंग बृहस्पति देव को सम्मोहित करता है तथा पीतल पर देव गुरु बृहस्पति का अधिपत्य होता है। जिन लोगों का बृहस्पति ग्रह शांत नहीं है उन लोगों को बृहस्पति ग्रह को शांत करने के लिए पीतल का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
- भगवान भोलेनाथ को जब दूध चढ़ाया जाए तो पीतल का लोटा (pital ka lota) ही इस्तेमाल करना चाहिए इससे भगवान उस अभिषेक को स्वीकारते हैं।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीतल के पात्र में बने हुए ही चावल और दाल को खाना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टि से एलुमिनियम में बने हुए खाने से परहेज करना चाहिए। जिस व्यक्ति की तबीयत बार-बार खराब होती है ऐसे व्यक्ति को पीतल के पात्र में बने भोजन ही ग्रहण करने चाहिए।
- जो लोग पितृदोष से ग्रसित हैं और उनके पूर्वजों का सही तरीके से पारायण नहीं कर पाते हैं वह लोग पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को पीतल के पात्र में जल भरकर पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें उनके पितृदोष निश्चित रूप से दूर होंगे।
- कई प्रकार के ग्रह शांति के लिए पीतल के बर्तन को दान दिया जाता है।
- पीतल के बने वाद्य यंत्रों को घर में जरूर रखना चाहिए तथा मौका मिलने में उन्हें इस्तेमाल भी करना चाहिए। पीतल के बने झांझ को आप मंगलवार और शनिवार के दिन राम भजन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
- पीतल के बने घड़ी-घंट और घंटियां घर में जरूर रखनी चाहिए और रोजाना संध्या के समय उन्हें जोर-जोर से मधुर आवाज में निश्चित रूप से बजाना चाहिए। पानी की टोटियाँ पीतल की जरूर इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वैज्ञानिक दृष्टि से पीतल से निकले हुए अव्यय पानी में घुलकर पानी की गुणवत्ता को बढ़ा देते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हितकारी सिद्ध होते हैं।
पीतल के फायदे (Pital ke bartan ke fayade)
- पीतल के बर्तन मे खाना खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं।
- पीतल मे पकाया हुआ खाना लंबे समय तक खराब नहीं होता हैं।
- पीतल के बर्तन मे खाना खाने से बुद्धि का विकास होता हैं तथा ।
- पीतल के बर्तन मे खाना खाने से पाचन क्षमता ठीक होती हैं।
FAQ पीतल से संबन्धित प्रश्न और उत्तर
पीतल को अँग्रेजी मे क्या कहते हैं?
पीतल को अँग्रेजी मे BRASS कहा जाता हैं। पीतल को बनाने के लिए कॉपर और जिंक को मिलाया जाता हैं।
पीतल का रेट (Pital ka rate) क्या हैं?
पीतल का रेट भारत मे हर जगह थोड़े बहुत अंतर के साथ अलग अलग होता हैं, फिर भी अगर मोटा-माटी इसके कीमत की बात करे तो पीतल का रेट भारत मे 400 से 500 रूपय प्रति किलो ग्राम होता हैं।
क्या पीतल के गिलास में दूध पी सकते हैं?
पीतल के बने श्रिंगी नामके यंत्र से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता हैं, और कई बार इसी शृंगी से दूध का अभिषेक किया जाता हैं, तो निश्चित रूप से पीतल का इस्तेमाल दूध के लिए कर सकते हैं। लेकिन तांबे के बर्तन मे दूध को भूल कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह बहुत हानिकारक और दुर्भाग्य को बुलाने वाला काम हैं।