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2023 में जन्माष्टमी कब है? | 2023 me krishna janmashtami kab Hai

2023 मे जन्माष्टमी कब है? | 2023 me krishna janmashtami kab Hai

सन 2023 में कृष्ण जन्माष्टमी (krishna janmashtami) 06 सितंबर 2023 को मनाया जाएगा, जन्माष्टमी का पुजा का मुहूर्त 06 सितंबर 2023 दिन बुधवर को रात 11:40 से प्रारंभ होता है और 46 मिनट मे 07 सितंबर को देर रात 12:26 मिनट पर समाप्त हो जाएगी.

जबकि अष्टमी 6 सितंबर 2023 को बुधवार के दोपहर को 03:37 मिनट पर प्रारम्भ होगा और 07 सितंबर 2023 को गुरुवार की शाम को 04:14 मिनट मे अष्टमी समाप्त हो जाएगी। 2023 मे जन्माष्टमी की पूजा 06 सितंबर 2023 को होगी, जबकि दहि हाड़ी 07 सितमर 2023 को मनाया जाएगा।

2023 मे जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त कब है | krishna janmashtami Ki pooja ka muhrat

पूजा का शुभ मुहूर्त 06 सितंबर 2023 को बुधवार के रात 11:40 से लेकर रात 12:26 तक यानि की 46 मिनट है.

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा | krishna janmashtami Vrat katha

द्वापर युग का अंतिम समय चल रहा था, यानी आज से कुछ 5000 वर्ष पहले की एक घटना है. मथुरा के राजा उग्रसेन का बड़ा पुत्र कंस अपने चाचा देवक जी की सबसे छोटी पुत्री देवी की को, विवाह के बाद पहुंचाने जा रहा था. देवकी का विवाह यदुवंश के सरदार वासुदेव जी के साथ हुआ था. रास्ते में ही जब कंस रथ को चलाते हुए आगे बढ़ा रहा था तभी आकाशवाणी ने कौनसे से कहा- ” हे मूर्ख जिस देवकी को तू इतने प्रेम से उसके ससुराल पहुंचाने जा रहा है, उसका आठवां पुत्र तेरा मृत्यु का कारण होगा. यह सुनते ही कंस डर गया और तलवार लेकर देवकी को मारने के लिए तैयार हो गया. लेकिन वासुदेव जी ने उसका हाथ रोकते हुए वचन दिया कि देवकी को जो भी संतान होगी, उसे उत्पन्न होते ही वे कंस को दे दिया करेंगे.

वासुदेव जी की बात का विश्वास करके कंस ने देवकी को छोड़ दिया और लौटकर अपने पिता उग्रसेन को, राजगद्दी से हटाकर उन्हें कैद में डाल दिया. और स्वयं मथुरा का राजा बन गया. जब देवकी का पहला पुत्र हुआ तब उस बालक को वासुदेव जी ने कंस के पास ले गए. कंस ने पहले तो उसे लौटा दिया, लेकिन पीछे नारद जी ने कंस को समझाया की देवकी का कोई पुत्र अंत या बीच से गिनने पर आठवां कहा जा सकता है. इससे कंस ने देवकी के पहले पुत्र को वसुदेव जी के हाथ से झपट कर पत्थर पर पटक कर मार दिया. और वासुदेव और देवकी को उसने कारागार में डाल दिया.

देवकी के जो भी पुत्र होता था, उसे कंस मार दिया करता था. इस प्रकार 6 पुत्र उसने मार डाले. देवकी के साथ में गर्भ में अनंत भगवान शेषनाग आए. कंस के भय से वासुदेव जी की सभी रानियां मथुरा छोड़कर जहां कहां चली गई थी। उनमें से रोहिणी जी गोकुल में जाकर बृजराज नंद जी के यहां रहने लगी थी। भगवान की आज्ञा से योग माया ने देवी की के सातवें गर्भ को खींचकर रोहिणी जी के पेट में स्थापित कर दिया। मथुरा में लोगों ने यही समझा कि देवकी का गर्भपात हो गया देवकी के आठवें पुत्र के रूप में भगवान विष्णु प्रकट आने वाले थे। कंस ने इस बार कारागार पर खूब कड़ा पहरा बैठा दिया था।

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भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, दिन बुधवार और रोहिणी नक्षत्र मे ठीक आधी रात को जब पूर्व दिशा में चंद्रमा का उदय होने जा रहा था, कंस के कारागार में वासुदेव और देवकी के सामने भगवान प्रकट हो गए। शंख चक्र गदा पद्म लिए चतुर्भुज रूप से मुकुट, कुंडल आदि आभूषण पहने भगवान प्रकट हुए थे। भगवान के तेज से अंधेरे में डूबी सारी कालकोठरी प्रकाश में हो गई थी। वासुदेव और देवकी ने हाथ जोड़कर भगवान की स्तुति की।

माता देवीकी ने प्रार्थना करते हुए भगवान से कहा कि आप बालक बन जाए, इसलिए भगवान ने साधारण मनुष्य के नवजात शिशु का रूप धारण कर लिया। वासुदेव जी को भगवान ने आज्ञा दे दी थी कि ” मुझे गोकुल में नंद जी के घर पहुंचा दो और वहां यशोदा जी को जो आज ही कन्या हुई है, वह मेरी योग माया है, उसे यहां ले आओ” भगवान की आज्ञा के अनुसार वासुदेव जी जब बालक बने हुए भगवान को सूप में उठाकर चलने को तैयार हुए तब उनके हाथ पैरों की हथकड़ी अपने आप ही खुल गई। कालाजार के दरवाजों में लगे ताले, जंजीरे सभी अपने आप खुल गए। पहरेदार राक्षसों को योग माया ने और निंद्रा में सुला दिया। बादल छाए थे, तभी बहुत जोरों से बिजली कड़की और भारी वर्षा होने लगी। शेषनाग भगवान अपने फनो को फैलाकर भगवान पर फनो का छाता लगाकर वासुदेव जी के पीछे पीछे चलने लगे यमुना जी मे बाढ़ आई हुई थी, ऊंची ऊंची लहरें उठ रही थी। लेकिन वासुदेव जी भगवान को लिए जब यमुना जी में जाने लगे, तब यमुना जल अपने आप घट गया। वासुदेव जी को यमुना जी ने मार्ग दे दिया।

गोकुल में भी योग माया के प्रभाव से सब लोग सो रहे थे, श्री यशोदा जी को कन्या हुई थी, लेकिन कन्या होते ही वह भी सो गई थी। उन्हें पता ही नहीं था कि मेरी संतान पुत्र है या पुत्री। वासुदेव जी गोकुल पहुंचे वे सीधे नंद भवन पहुंच गए, वहां भीतर जाकर उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को यशोदा जी के पलंग पर उनके पास सुला दिया और यशोदा जी की कन्या को उठाकर वह चुपचाप मथुरा की ओर लौट पड़े।

वासुदेव जी कन्या को लेकर मथुरा कारागार में पहुंचे, उनके पहुंचते ही कारागार का फाटक बंद हो गया, हथकड़ी हाथ पैरों में पड़ गई, पहरेदार जाग गए और कन्या जोर जोर से रोने लगी। समाचार पाकर कौन से दौड़ा दौड़ा कारागार में आया, उसने उस कन्या को देवकी से छीन कर पत्थर पर पटकना चाहा, किंतु उसके हाथों से छूटकर कन्या आकाश में चली गई। और अष्टभुजा देवी का रूप धारण करके कौनसी से यह कहकर अदृश्य हो गई कि ” तेरा वध करने वाला कहीं उत्पन्न हो गया है”।

यह सुनकर कंस को बड़ा दुख हुआ, राक्षस मंत्रियों की सलाह से आसपास उत्पन्न हुए नवजात बालकों को मारने के लिए उसने राक्षसों की नियुक्ति की। कौनसे द्वारा नियुक्त पूतना राक्षसी एक दिन घूमती हुई गोकुल पहुंची। श्री कृष्ण जन्म का उत्सव बड़ी धूमधाम से गोकुल में हो चुका था। जिस दिन पूतना वहां पहुंची उस दिन छठी का उत्सव करके श्री नंद जी दूसरे गोपों के साथ कंस को वार्षिक कर देने बैलगाड़ी लादकर मथुरा चल दिए थे। पूतना सुंदर रूप बनाकर नंद भवन में चली गई। अपने स्तनो मे उसने हलाहल विश लगा रखा था पालने मे सोये श्री कृष्ण को गोद मे उठाकर वह अपने स्तन का दूध पिलाने लगी। भगवान उसका दुष्टभाव जानकर दूध के साथ उसका प्राण भी पीने लगे। पूतना छटपटाने लगी। अपना रक्षासी रूप धरण करके वह भागी और दूर जाकर मारकर गिर पड़ी। उस समय भी श्री कृष्ण उसकी छाती पर ही चिपके हुये थे। राक्षसी के पीछे दौड़ती गोपियो ने जाकर कृष्ण को उठाया और घर ले आई।

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जब कृष्ण सत्ताईस दिन के हुये, उनका जन्म नक्षत्र आया। उसी दिन अपने-आप उन्होने करवट ली थी। जन्म-नक्षत्र एवं करवट लेने का उत्सव हो रहा था। भीड़ भाड़ से अलग एक बैलगाड़ी के नीचे माता यशोदा ने श्री कृष्ण के पालने को रख दिया, और यशोदा जी ने श्री कृष्ण को सुला दिया, लेकिन कुछ देर बाद इनकी नींद खुल गई, माता का दूध पीने के लिए पैर उछाल उछाल कर रोने लगे। इनके कोमल पैर का धक्का लगते ही, वह बैलगाड़ी उलट गया, उस पर रखे दूध, दही, माखन, घी आदि के बर्तन फुटपाथ गए। गोप एवं गोपियां बैलगाड़ी पलटने का शब्द सुनकर दौड़ पड़े और उन्होंने श्याम को वहां से उठा लिया।

भगवान कृष्ण से जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर | Some FAQ related with God Krishna

प्रश्न 1- कृष्ण भगवान कौन है

उत्तर- भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने गए हैं, इन्हें कान्हा, श्याम, रणछोड़, केशव, द्वारकाधीश जैसे कई नामों से जाना जाता है। कृष्ण का जन्म द्वापर युग में मौजूद राक्षस और दुष्ट राजाओं से जनता को मुक्त कराने के लिए हुआ था।

प्रश्न 2- कृष्ण को जन्म देने वाले माता पिता का क्या नाम है?

उत्तर- कृष्ण को जन्म देने वाले माता-पिता देवीकी और वसुदेव जी हैं जबकि कृष्ण भगवान को पालने वाले उनके पालक माता-पिता यशोधा जी और नंद बाबा जी हैं।

प्रश्न 3- कृष्ण के भाई का क्या नाम है?

उत्तर- कृष्ण भगवान के भाई का नाम बलदाऊ है, कई लोग उन्हें बलराम के नाम से भी जानते हैं, बलदाऊ देवकी के सतवे में पुत्र हैं, लेकिन इनका जन्म रोहणी के गर्भ से हुआ था। इसलिए इन्हें संकर्षण भगवान भी कहते हैं।

प्रश्न 4- भगवान कृष्ण और कंस में क्या संबंध था?

उत्तर – कंस कृष्ण भगवान की माता देवी की का चचेरा भाई था, इसलिए कंस भगवान कृष्ण का मामा था, और भगवान कृष्ण कंस के भांजे थे।

प्रश्न 5- भगवान कृष्ण की बुआ का नाम क्या था?

उत्तर- भगवान कृष्ण की बुआ का नाम कुंती और श्रुतकीर्ति था, कुंती का विवाह हस्तिनापुर के राजा पांडू से हुआ था। जबकि श्रुतकीर्ति का विवाह केकाई के राजा से हुआ था, इनकी संतान का नाम शिशुपाल था, जिसकी 100 गलती कृष्ण ने माफ की थी, बाद मे कृष्ण ने शिशुपाल का वध कर दिया था।

प्रश्न 6- भगवान कृष्ण ने पूतना को कब मारा था

उत्तर- भगवान कृष्ण ने पूतना को अपने जन्म के छठ में दिन मारा था, यानी जब कृष्ण भगवान की उम्र मात्र 6 दिन थी तब भगवान कृष्ण ने पूतना को मारा था

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प्रश्न 7- भगवान कृष्ण को रणछोड़ का नाम किसने दिया था?

उत्तर- जरासंध भगवान कृष्ण पर 17 बार हमले किए और 17 बार श्री कृष्ण ने जरासंध को हरा दिया। 18 वीं बार जब जरासंध कृष्ण भगवान पर हमला करने आया, तो अपने साथ यवन का राजा कालयवन भी उनके साथ आया था, कालयवन के विरुद्ध कृष्ण भगवान युद्ध छोड़कर एक गुफा में जाकर छुप गए थे, इसी युद्ध के समय कृष्ण भगवान का नाम रणछोड़ पड़ा।

प्रश्न 8- कृष्ण भगवान कालयवन के विरुद्ध युद्ध भूमि क्यों छोड़कर भागे थे?

उत्तर- कालयवन को मुचकुंद नाम के एक राजा के द्वारा ही मारा जा सकता था, इसलिए कृष्ण भगवान कालयवन को मुचकुंद तक पहुंचाने के लिए रण से भाग दिए थे, कालयवन कृष्ण भगवान का पीछा करते-करते मुचकुंद तक पहुंच गया, जहां मुचकुंद ने कालयवन कर वध कर दिया।

प्रश्न 9- जरासंध भगवान कृष्ण पर लगातार हमले क्यों कर रहा था?

उत्तर- कृष्ण ने कंस का वध किया था, और जरासंध कांसे का ससुर था, इसलिए कंस का बदला लेने के लिए जरासंध लगातार भगवान कृष्ण पर हमले कर रहा था?

प्रश्न 10- जरासंध का वध अगर भगवान ने नहीं किया तो किसने किया था?

उत्तर- जरासंध नाम के मगध के बलशाली राजा का वध कुंती के तीसरे दूसरे पुत्र भीम ने किया था, भीम ने जरासंध को द्वंदयुद्ध के लिए उकसाया, और द्वंद युद्धयुद्ध में जरासंध के दो टुकड़े करके उसका वध कर दिया।

प्रश्न 11- कंस के पिता का नाम क्या है?

उत्तर- कंस के पिता का नाम उग्रसेन है, और उग्रसेन मथुरा के राजा थे। कंस ने उन्हें बंदी बनाकर उनसे राज्य पाठ छीन लिया था। और खुद राजा बन बैठा था।

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