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शिव को जल देने का मंत्र | shiv ko jal dene ka mantra

शिव को जल देने का मंत्र

जब भी घर या मंदिर में भगवान शिव को जल चढ़ाये तो निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए- “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्”।

इस मंत्र का पालन करते हुये भगवान शिव को जल चढ़ाने से कुछ समय में ही भाग्य में सकारात्मक परिवर्तन आएगा तथा जीवन में नई शुशिया और उमंगों का आगमन होगा। अगर किसी व्यक्ति का जीवन परेशानियों से भरा हैं। हर छोटे छोटे कामो में भी उसे कई बाधाओ का सामना करना पड़ता हैं तब उस व्यक्ति को ज्योतिषशास्त्र में बताए गए निम्न उपायों को आजमाना चाहिए।

  1. हर रात सोने के पहले किसी बर्तन में पानी भरे, फिर उस पानी को सिर के पास रखे और अगली सुबह ब्रम्हा मुहूर्त मे उठकर उस पानी को घर से बाहर फेंक दे। ऐसा करने से घर की सारी परेशानियाँ और बाधाएँ दूर हो जाएंगी। पानी को घर से बाहर फेंकते समय भगवान शिव से सफलता का आशीर्वाद मन ही मन मांगना चाहिए।
  2. प्रातः स्नान करके रोजाना शिवलिंग में दूध चढ़ाने से घर की बाधाएँ और परेशानियाँ दूर हो जाती हैं।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे

  1. नियमित शिवलिंग में जल चढ़ाने से किसी भी ग्रह के दोषो से मुक्ति मिलती हैं। हर तरह के ग्रह दोष से मुक्ति मिल जाती हैं।
  2. शिवलिंग में रोजाना जल चढ़ाने से विकास मार्गो मेकोई बाधा नहीं आती हैं।
  3. शिवलिंग में जल चढ़ाने से समाज मे मान-सम्मान मे बृद्धि होती हैं।
  4. शिवलिंग में जल चढ़ाने से मन के पाप दूर होते हैं और मन को शांति मिलती हैं।
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विद्महे का अर्थ

विद्महे संस्कृत का एक शब्द हैं, विद्महे का अर्थ “जानते है या मानते है” होता हैं। यह शब्द वैदिक मंत्रो मे बहुतायत इस्तेमाल होता हैं।

इसी प्रकार संस्कृत का एक और शब्द हैं जो मंत्रो मे अक्सर उपयोग किया जाता हैं। यह शब्द धीमहि है, यह दो शब्दो से मिलकर बना हुआ हैं, धी+महि, धी का अर्थ होता हैं बुद्धि और महि का अर्थ होता है ध्यान। इस प्रकार धीमहि का अर्थ बुद्धि या मन से ध्यान करना होता हैं।

जबकि प्रचोदायत का अर्थ होता है बुद्धि को प्रेरित करे या प्रेरणा दे। प्रचोदायत भी संस्कृत का शब्द हैं औए मंत्रो मे बहुत इस्तेमाल किया जाता हैं।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवायधीमहि तन्नो का अर्थ

यह शिव गायत्री मंत्र हैं, इस मंत्र का अर्थ है -“मेरा ध्यान महापुरुष महादेव आप में लगे, मुझे आप उच्च ज्ञान प्रदान करे, हे भगवान मेरे मन को प्रकाशित करे, हम आपकी शरण में हैं।”

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