सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में कितना समय लेता है
सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 8 मिनट 20 सेकंड का समय लेता हैं। यह समय सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी पर निर्भर करता है, जो औसतन 149.6 मिलियन किलोमीटर होती है। प्रकाश की गति 299,792,458 मीटर प्रति सेकंड होती है, इसलिए सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश को पहुँचने में 8 मिनट 20 सेकंड लगते हैं।
हालांकि, पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा अंडाकार पथ पर करती है, इसलिए सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी हमेशा समान नहीं होती है। जब पृथ्वी सूर्य के सबसे करीब होती है, तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 19 सेकंड लगते हैं। जब पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है, तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 22 सेकंड लगते हैं। इसलिए, सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने में लगने वाला समय लगभग 8 मिनट 20 सेकंड होता है, लेकिन यह समय सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी के आधार पर थोड़ा कम या थोड़ा अधिक हो सकता है।
सूर्य के प्रकाश की चाल कितनी होती है?
सूर्य के प्रकाश की चाल 299,792,458 मीटर प्रति सेकंड होती है, जो लगभग 300,000 किलोमीटर प्रति सेकंड के बराबर होती है। यह ब्रह्मांड में सबसे तेज गति है।
सूर्य के प्रकाश की चाल इतनी तेज़ है कि वह पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 8 मिनट 20 सेकंड का समय लेता है, जबकि पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 149.6 मिलियन किलोमीटर होती है। सूर्य के प्रकाश की चाल का उपयोग कई अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे कि दूरी मापने, समय मापने और दूरबीन के माध्यम से दूर की वस्तुओं को देखने के लिए।
सूरज की पहली किरण कहाँ पड़ती है?
पृथ्वी पर, सूर्य की पहली किरण उस स्थान पर पड़ती है जो पृथ्वी के अक्ष के सबसे करीब होता है। पृथ्वी का अक्ष उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव से होकर गुजरता है, इसलिए सूर्य की पहली किरण उत्तरी ध्रुव या दक्षिणी ध्रुव पर पड़ती है। हालांकि, पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई है, इसलिए सूर्य की पहली किरण हमेशा इन ध्रुवों पर नहीं पड़ती है। पृथ्वी की धुरी का झुकाव लगभग 23.5 डिग्री है, इसलिए सूर्य की पहली किरण हमेशा भूमध्य रेखा से 23.5 डिग्री के भीतर पड़ती है।
भारत में, सूर्य की पहली किरण अरुणाचल प्रदेश के डोंग वैली में पड़ती है। डोंग वैली भारत, चीन और म्यांमार के त्रि-जंक्शन पर स्थित है। यह स्थान भूमध्य रेखा से लगभग 27.5 डिग्री उत्तर में स्थित है, इसलिए यह भारत में सूर्य की पहली किरण का स्थान है। डोंग वैली में सूर्योदय आमतौर पर 3:30 बजे होता है। इस समय, सूर्य की किरणें हिमालय की चोटियों को पार करती हैं और डोंग वैली को रोशन करती हैं। सूर्योदय का दृश्य बहुत ही सुंदर होता है और इसे देखने के लिए कई लोग डोंग वैली आते हैं।
किस देश में रात नहीं होती है?
पृथ्वी की धुरी का झुकाव होने के कारण, उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव पर कुछ महीनों तक सूर्य क्षितिज से नीचे नहीं जाता है। इस घटना को ध्रुवीय दिवस कहा जाता है। इसलिए, उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव पर स्थित देशों में रात नहीं होती है। इन देशों में, सूर्य पूरे दिन क्षितिज पर रहता है। कुछ देशों में जहां ध्रुवीय दिवस होता है, उनमें शामिल हैं:
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- नॉर्वे
- स्वीडन
- फिनलैंड
- ग्रीनलैंड
- रूस
- कनाडा
- अमेरिका
- आइसलैंड
उत्तरी ध्रुव पर, ध्रुवीय दिवस जून के मध्य में शुरू होता है और सितंबर के मध्य में समाप्त होता है। इस समय, सूर्य 24 घंटे क्षितिज पर रहता है। दक्षिणी ध्रुव पर, ध्रुवीय दिवस दिसंबर के मध्य में शुरू होता है और मार्च के मध्य में समाप्त होता है। इस समय, सूर्य 24 घंटे क्षितिज पर रहता है। ध्रुवीय दिवस एक अद्भुत प्राकृतिक घटना है। यह एक ऐसा समय है जब लोग दिन के उजाले में कई घंटों तक बाहर रह सकते हैं और ध्रुवीय रोशनी को देख सकते हैं।
किस देश में 6 महीने की रात होती है?
अंटार्कटिका में 6 महीने की रात होती है। यह दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है, जहां पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई होती है। इस झुकाव के कारण, सर्दियों के महीनों में सूरज क्षितिज के नीचे नहीं जाता है। अंटार्कटिका में, जून से दिसंबर के बीच, सूरज क्षितिज के नीचे रहता है। इस अवधि के दौरान, अंटार्कटिका अंधेरे में डूब जाता है। इस घटना को “ध्रुवीय रात” कहा जाता है।
सबसे पहले सूर्य पर कौन गया था?
सूर्य पर जाने वाला कोई भी इंसान नहीं है। सूर्य की सतह का तापमान लगभग 9941 डिग्री सेल्सियस (17,520 डिग्री फ़ारेनहाइट) है, जो किसी भी ज्ञात सामग्री के पिघलने या उबलने के तापमान से कहीं अधिक है। इसलिए, कोई भी इंसान सूर्य की सतह पर जीवित नहीं रह सकता है।
कुछ अंतरिक्ष यान सूर्य के बहुत करीब गए हैं। 2022 में, NASA का Parker Solar Probe सूर्य के सबसे करीब पहुंच गया था। Solar Orbiter को 10 फरवरी, 2020 को लॉन्च किया गया था, और यह 2022 में सूर्य के सबसे करीब पहुंच गया था। Solar Orbiter एक अंतरिक्ष यान है जो सूर्य का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का एक संयुक्त मिशन है। Solar Orbiter का मुख्य उद्देश्य सूर्य के वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करना है। यह सूर्य की सतह से निकलने वाले कणों और विकिरण का भी अध्ययन करेगा। Solar Orbiter के डेटा से वैज्ञानिकों को सूर्य की उत्पत्ति और विकास के बारे में बेहतर जानकारी समझने में मदद मिलेगी।
सूर्य पर जाने वाले पहले इंसान बनने के लिए कई लोग प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। 2023 में, रूस ने घोषणा की कि वह 2026 तक सूर्य पर एक मिशन भेजने की योजना बना रहा है। इस मिशन का नेतृत्व रूसी अंतरिक्ष एजेंसी Roscosmos कर रही है। अमेरिका भी सूर्य पर जाने के लिए एक मिशन विकसित कर रहा है। इस मिशन का नेतृत्व नासा कर रहा है। नासा का लक्ष्य 2030 के दशक के मध्य तक सूर्य पर एक मिशन भेजना है।
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