फुलेरा दूज 2023 कब है | phulera dooj kab ki hai
इस बार फागुन का महीना अंग्रेजी कैलेंडर के फरवरी महीने में पढ़ रहा है। इसलिए फुलेरा दूज (phulera dooj) भी फरवरी 2023 के महीने में 21 फरवरी 2023 को सुबह 7:34 पर प्रारंभ होगा तथा अगले दिन 22 फरवरी 2023 को सुबह 4:47 पर समाप्त हो जाएगा। अगर उदया तिथि की माने तो फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा।
फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त | phulera dooj ka shubh muhurt
फुलेरा दूज 21 फरवरी को मनाया जाएगा तथा इस दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा करते हैं। तो इस पूजा की सबसे उत्तम समय गोधूलि मुहूर्त है जोकि शाम को 6:00 बज के 42 मिनट में प्रारंभ होगी और शाम को ही 7:05 तक ही रहेगी।
फुलेरा दूज क्या हैं? | phulera dooj kya hota hai
फागुन सिर्फ होली बस के लिए ही नहीं जाना जाता है। फागुन में होली के अलावा भी कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इन सभी व्रत और त्योहार के बीच एक त्योहार फुलेरा दूज भी हैं। फुलेरा दूज होली के पहले आता है और हर वर्ष फागुन के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को फुलेरा दूज के रूप में मनाया जाता है। मथुरा में इस दिन का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि मथुरा और इसके आसपास के क्षेत्रों में फुलेरा दूज (phulera dooj) से ही होली की शुरुआत मानी जाती है। फुलेरा दूज के दिन बृज में भगवान कृष्ण के साथ बृजवासी फूलों के साथ होली खेलते हैं।
फुलेरा दूज की मान्यता | phulera dooj ki manyata
ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण जब बाल रूप में गोकुल में अपनी लीला कर रहे थे तब उन्होंने फागुन की शुक्ल पक्ष के द्वितीया के दिन फूलों के साथ राधा रानी और अन्य गोपियों के साथ होली खेली थी। इसके बाद लगातार आजतक मथुरा वासी फागुन की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को फुलेरा दूज के रूप में मनाते हैं और भगवान कृष्ण के साथ फूलों की होली खेलते हैं। फुलेरा दूज का दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी को समर्पित होता है। जो व्यक्ति फुलेरा दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे सभी सुख प्राप्त होते हैं इसके साथ ही जीवन के अंतिम समय में उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
कैसे मनाते हैं फुलेरा दूज | phulera dooj kaise manate hai
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि फुलेरा दूज के दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी जी की पूजा होती है लेकिन पूजा के बाद भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ होली खेलने पर ही पूजा का फल मिलता है। भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ तरह-तरह के फूलों और अबीर गुलाब के साथ पूजा के बाद होली खेली जाती है। भगवान कृष्ण को रंग-बिरंगे कपड़े पहनाए जाते हैं और कमर में भी एक रंगबिरंगा कपड़ा बांधा जाता है। जिसका मतलब है कि भगवान होली खेलने के लिए तैयार हैं।
फुलेरा दूज के दिन क्या कर सकते हैं
फुलेरा दूज को सबसे उत्तम शुभ दिनों में गिना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन हर मुहूर्त रहता है इसका मतलब यह है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। इन सब कार्यों में विवाह, गृह प्रवेश, संपत्ति की खरीदारी, वाहन की खरीदारी या फिर कोई भी शुभ कार्य को करना अच्छा माना गया है।
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