इंटरनेट में bhoot ki kahani और chudail ki kahani बहुत खोजी जाती हैं, इसलिए हमने पाठकों की मांग पर आज चुड़ैल की 10 डरावनी कहानियों को लेकर आए हैं, तो आप लोग मजे से जरूर पढ़ें chudail ki kahani और कहानी अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें
Chudail ki Kahani 1 – सड़क किनारे चुड़ैल और उसका लड़का | sadak kinare chudail
एक रात हल्की फुहारे बरस रही थी, मैं और मेरा दोस्त शहर से अपने गांव जा रहे थे. हम यहां एक परिचित के बच्चे के जन्मदिन की पार्टी में आए हुए थे. पार्टी देर रात तक चली इसलिए हमें देर हो गई, और हम अपने दोस्त के घर से रात 12:00 बजे निकले. मेरा गांव शहर से 90 किलोमीटर दूर है जो कि इलाहाबाद के बॉर्डर पर पड़ता है. शहर से गांव जाने में लगभग 3 घंटे लगते हैं. रात के 2:00 बज रहे थे हम लोग लगभग गांव से 22-23 किलोमीटर दूर ही थे. तभी हमारी गाड़ी पंचर हो गई. मौसम ठंड हो चुका था, हम बहुत ज्यादा तो नहीं भींगे थे लेकिन फिर भी कपड़ों में नमी आ गई थी. हम अपनी गाड़ी को धीरे-धीरे ढंगाते हुए आगे बढ़ने लगे. पैदल-पैदल गाड़ी को धकेलते हुए हम आगे बढ़ रहे थे, इस आशा में कि शायद आगे कोई पंचर वाली दुकान हो. पर 20 मिनट गुजर गए लेकिन कोई भी पंचर की दुकान नहीं मिली. तभी आगे दूर से हमने देखा कि कोई महिला खड़ी हुई है और उसके साथ एक छोटा लड़का खड़ा हुआ है. हम डर गए क्योंकि रात को 2:30 बजे कोई महिला अपने बच्चे के साथ इस सुनसान रोड में क्या करेगी. हमें सिर्फ दो ही शंका थी, या तो आगे कोई लुटेरों का गिरोह सक्रिय है या फिर यह कोई भूत प्रेत की माया है. दोनों ही स्थिति में हमारा बहुत नुकसान होता. इसलिए हम डर चुके थे.
अब क्या किया जा सकता है यही हम दोनों के बीच सोच-विचार चल रहा था. हम यह बात कर ही रहे थे, तभी अचानक से मेरा दोस्त चिल्लाया और भडाम से वह जमीन पर गिर गया। मेरे रोंगटे खड़े हो गए, मैंने उससे पूछा क्या हो गया? इस दौरान गाड़ी मेरे हाथों से गिर गई। उसने चिल्लाकर बोला कि किसी ने मुझे लंगडी मारी है। मैंने तुरंत आसपास देखा वहां पर कोई नहीं था. फिर मैंने आगे दूर खड़ी उस महिला की ओर देखा तो अब वह वहां पर नहीं थी. हम लोग डर गए इसी दौरान हम पर कोई कुछ फेंक कर मारने लगा. मैंने ध्यान से देखा तो यह बैर के फल थे. यह सामने झाड़ियों की तरफ से कोई मार रहा था. अचानक झाड़ियों में बहुत तेज से हलचल होने लगी, और फिर हम पर बैर के फल से हमला हुआ. मैं और मेरा दोस्त गाड़ी छोड़कर वहां से दौड़ पड़े, ना हमने आगे देखा ना पीछे देखा, सिर्फ हम भागने लगे, कह सकते हैं आंख मूंद कर भागने लगे.
इस दौरान कई बार मैं और मेरे दोस्त बुरी तरीके से गिरे, ऐसा लग रहा था जैसे कोई हमें लंगडी मार रहा हो. हर बार हम उठते और भागते और हर बार कोई हमें लंगड़ी मार के गिरा देता. ऐसा ही दौर आधे घंटे तक लगातार चलता रहा. लगभग 3:45 बजे हमारे साथ हो रही यह अजीब घटना बंद हो गई, अब आसपास चिड़ियों की चहचहाहट भी गुजरने लगी थी. मैं और मेरा दोस्त पसीने में लथपथ थे. सांस फूल रही थी, कुछ भी ना दिख रहा था. हम हार मान चुके थे और वही पर दम छोड़कर लेट गए थे. और तैयार थे हर उस स्थिति के लिए जो हमारे साथ होनी हो, तभी एक बच्चे की हंसने की आवाज आई ऐसा लगा जैसे वह कहीं दूर भागा जा रहा हो. हम वही आंख मूँदे लेट गए, जब हमारी आंख खुली, तो हमारे इर्द-गिर्द कुछ गांव के लोग खड़े थे. हमने उन्हें अपना पूरा दुखड़ा सुनाया. तो उन्होंने बताया यहां एक चुड़ैल (chudail) रहती है। उसके साथ उसका एक लड़का भी रहता है. और 2:30 से लेकर 3:45 के दरमियान जो भी यहां से गुजरता है तो वह चुड़ैल उसे परेशान करती है. अगर कोई व्यक्ति अपने साथ हनुमान जी की मूर्ति या लॉकेट लेकर चलता है तब उसे वह परेशान नहीं कर पाती है. मैं हिंदू नहीं हूं लेकिन फिर उस घटना के बाद से मैं जब भी रात को यात्रा करता तो अपने साथ हनुमान जी का एक लॉकेट जरूर रखता।
Chudail ki Kahani 2- बरगद वाली चुड़ैल | bargad wali chudail
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यह कहानी एक पुलिस लाइन की है, उस पुलिस लाइन में पुलिस के रहने के लिए कई क्वार्टर बने थे, जहां से क्वार्टर खत्म होता है, वहां पर एक बरगद का पेड़ था, मैं नया-नया ट्रेनिंग कंप्लीट करके पुलिस लाइन में रहने आया था। मैं अकेला आया था, घर परिवार वाले सभी गांव में थे। मैंने सोचा पहले यहां का रंग ढंग देख लिया जाए, उसके बाद घर वालों को बुलाया जाए, यहां रहने के लिए। मुझे उसी बरगद के पास वाला क्वार्टर रहने के लिए मिला। मैं यहां रहने लगा, मेरी ड्यूटी रात को 10:00 से 2:00 तक थी। मैं रात अपनी ड्यूटी पूरी कर वापिस आकर क्वार्टर के मुख्य दरवाजे का ताला खोल रहा था। तभी मुझे पायल की छनछन आने की आवाज आई। मैंने आवाज को नजरअंदाज किया। इसके बाद बड़ी ही तेजी से एक बार फिर आवाज आई, इस बार यह आवाज मेरे बहुत ही निकट से आ रही थी। मैंने तुरंत यहां वहां देखा पर मुझे कोई नहीं दिखा। जब भी मेरी 10:00 बजे से रात 2:00 बजे तक ड्यूटी रहती और मैं ड्यूटी से वापस आकर कमरे का दरवाजा खोलता। तब तब मुझे पायल की छन छन की आवाज आती। एक बार अमावस की रात थी, और हल्की हल्की बूंदाबांदी हो रही थी। लाइट गोल हो गई, इसलिए मैंने खिड़की को खोल दिया। मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए मैं बिस्तर में लेटे हुए खिड़की की तरफ देख रहा था। बीच-बीच में बिजली कड़कती थी, जिसकी वजह से बाहर प्रकाश होता था और मुझे बाहर की चीजें दिखाई देती और लुप्त हो जाती।
अचानक एक बार फिर बिजली कड़की और इस बार मुझे खिड़की के बाहर एक विकृत रूप वाली एक औरत दिखी। मैं घबरा गया, मैं डर गया, मैंने तुरंत अपने पड़ोसी को फोन लगाया, मेरे बगल में भी एक पुलिस वाला रह रहा था और वह भी अकेला था। मैंने उसे बुला लिया और उसे सारी बात बताई। उसने पूरी बात सुनकर पहले तो खिड़की बंद की, फिर उसने मुझे बताया कि कभी भी रात को यह खिड़की ना खोलें, उसने फिर बताया कि खिड़की में हनुमान जी बंधे हुए हैं और इस खिड़की को कभी नहीं खोलना है। मैंने इसका कारण पूछा तो उसने बताया, अंग्रेजों के जमाने में कोई महिला इस बरगद में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, जब से यह क्वाटर बना हैं, इस क्वार्टर में रहने वाले को, वह आहे बगाहे परेशान करती थी। फिर यहां पर पूजा कराई गई, इसके बाद से उसका असर कम हो गया। लेकिन जो भी अनजान यहां रहने आता है, और धोखे से भी जो खिड़की खोल देता है तो उसे वह चुड़ैल दिखती है, अगर वह सही समय पर सतर्क नहीं हुआ, तो उसे बहुत खामियाजा भुगतना होता है। उसने यह भी बताया यहां एक पुलिस वाला अकेला रहता था, वह बहुत पढ़ा लिखा था इसलिए उसे चुड़ैल की बात पर विश्वास नहीं हुआ। और चुड़ैल को रोकने के लिए जो भी व्यवस्था की गई थी, उसने उन सभी व्यवस्थाओं को उखाड़ कर फेंक दिया। परिणाम स्वरूप कुछ दिनों बाद वह पागल हो गया।
मैं पूरी कहानी सुनने के बाद और डर गया और अगले दिन ही मैंने क्वार्टर बदलने का आवेदन दे दिया, जब तक मुझे नया क्वार्टर नहीं मिल गया मैं पुलिस लाइन के कुछ दूर पर एक निजी कॉलोनी में किराए से कमरे लेकर आने लगा। उस दिन के बाद वह चुड़ैल मुझे नहीं दिखी।
बोलिए हनुमान जी की जय
कहानी 3- खून पीने वाली चुड़ैल की कहानी | Khoon Pine wali Chudail ki Kahani
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मैं एक पटवारी हूं, मेरी पोस्टिंग ऐसे गांव में हुई थी, जोकि आज के समय अनुसार बहुत ही पिछड़ा था, रात को आज भी लाइट की कटौती होती थी, सड़कें पत्थर की गिट्टी से बने हुए थे, डामर वाली रोड के नाम पर मुख्य सड़क थी, गांव के अंदर की सभी सड़कें पत्थर की गिट्टी से बने हुए थे। मुझे गांव के बीच में ही सरकारी स्कूल में एक कमरा मिला था, मैं यही रहने लगा। धीरे धीरे मुझे उस गांव की एक विचित्र समस्या का पता चला। समस्या यह थी कि उन गांव में जितने भी गांव वाले हैं, उनके जानवर बहुत ही कमजोर हो रहे थे, पूछने पर पता चला की उनके जानवरों के पेट में 2 दांत के निशान बने रहते हैं।
दबी जबान में सब कह रहे थे, कोई रात को पिशाच आता है और वह इनके जानवरों का खून पी जाता है। मैं पढ़ा लिखा था, इसलिए मुझे इस बात पर यकीन नहीं हुआ। पर दो-तीन महीना रहने के बाद मैं समझ गया, गांव वाले तो अपने जानवरों को बहुत बढ़िया खाना उपलब्ध करा रहे हैं, फिर भी उनके जानवरों के स्वास्थ्य में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है। गांव में आए दिन चौपाल लगते थे और उनका मुख्य उद्देश्य जानवरों के दिन प्रतिदिन कमजोर हो रहे स्वास्थ्य पर ही रहता था। वह लगातार इसका समाधान खोजना चाहते थे।
गांव बहुत सुदूर स्थान पर था, उन्होंने अपने धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कई प्रयास किए। पर उससे भी उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। मुझे लगा कि मैं यहां रह रहा हूं, मुझे इनकी समस्या का समाधान करना चाहिए। इसलिए मैंने तय किया कि सबसे पहले मै इनकी गलतफहमी को दूर करूंगा। इसलिए एक रात में गांव पर चुपके से पहरा दे रहा था, और गांव के बीच में ही बने एक ऊंचे स्थान पर छिप गया। और रात को होने वाली हर हलचल पर नजर रखने लगा। तभी मैंने देखा एक अजीब सी सफेद आकृति दूर पहाड़ी से उड़ते हुए आ रही है, और परसोती डेरा के गौशाला में जाकर गायों का खून चूसने लगा, और थोड़ी देर बाद ही उड़ते हुए, बिरजू हरबेला कि गौशाला में घुस गया। यह देख मैं बहुत डर गया, यह तो एक कोई अदृश्य शक्ति थी, जो रात को आकर सच में जानवरों का खून पी रही थी। अचानक मेरे पीछे दातों के कट कटाने की आवाज आई, मुझे ताज्जुब हुआ कि मैं तो यहां पर अकेला हूं फिर कौन मेरे पीछे दांत का कटा रहा है। और जैसे ही मैं पलटा मेरे रोंगटे खड़े हो गए, एक बहुत विकृत चेहरे वाली एक महिला थी एकदम ठीक मेरे पीछे खड़ी हुई थी, और बड़े भयानक उसके दांत बाहर निकले हुए थे। जिसे वह कटकटा रही थी, उसके आँख खून से भरे हुए थे, उसकी पलकें गायब थी। उसके हाथों में बड़े बड़े नाखून थे। उसके हाथ देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे उसके पूरे शरीर में फोड़े फुंसियों का उसने चादर ओढ़ रखी हो। मैं घबरा गया और बेहोश हो गया। सुबह मुझे मेरे पड़ोस में रहने वाले सज्जन परेरा ने जगाया। मैंने उन्हें रात की पूरी बात बता दी। पूरे गांव ने कहा हमें तो पहले ही से विश्वास है की यह चुड़ैल थी, लेकिन हमें यह नहीं समझ में आ रहा कि हम इस चुड़ैल से अपना पीछा कैसे छुड़ाएं। तब मैंने अपने गांव से पंडित को बुलाने के लिए कहा, और अगले दिन वह पंडित आ गये, हमने बहुत बड़ा हवन यज्ञ कराया, गांव के चारों तरफ की सीमाओं में हनुमान जी के नाम वाले झंडों को गाड़ा गया। गांव के बीचो बीच एक मंदिर की नींव डाली गई। गांव में हर शाम हनुमान चालीसा का पाठ होने लगा, और देखते ही देखते कुछ दिन बाद उस चुड़ैल के प्रकोप से गांव वाले बच गए। अब गांव में हर जानवर धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगे। अब चुड़ैल केवल उन्हीं जानवरों पर हमला करती थी जो जानवर गांव की सीमा से बाहर घास चरने जाया करते थे।
हेलो जय श्री राम
Chudail ki Kahani 4- चौराहे वाली चुड़ैल
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एक बार की बात है, मैं एक नए शहर में रहने जा रहा था, मैं बैंक में नौकरी करता हूं। और मेरा ट्रांसफर अब इस नए घर पर हो गया था। बैंक की जो कॉलोनी है, वहां पर अभी कोई कमरा खाली नहीं था। जिसकी वजह से मुझे बैंक के पास ही एक कमरा किराए से लेकर रहना पड़ा था। यह शहर मेरे लिए एकदम नया था। मैं अभी इसके बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानता था। एक शाम बैंक मैनेजर ने मुझे अपने घर निमंत्रित किया, तो मैं रात के खाने के लिए उनके यहां चला गया। ब्रांच के और भी कर्मचारी निमंत्रण में शामिल थे। मैनेजर साहब के यहां हम लोग, ताश के खेल खेलने लगे। जिसकी वजह से काफी रात हो गई। मैं मैनेजर साहब के घर से रात को 1:00 बजे निकला, अपने घर जाने के लिए। मैनेजर साहब के घर से मेरा घर लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर था। इसलिए मैं पैदल अपने कमरे की ओर निकल पड़ा, बाकी बैंक मैनेजर के साथी बैंक कॉलोनी में रहते थे, इसलिए वह सब अपने घर चले गए, सड़क एकदम सुनसान थी। गर्मी काम आएगा चल रहा था। हल्की हल्की हवा बह रही थी, जिसकी वजह से मुझे काफी अच्छा लग रहा था। अचानक मुझे महसूस हुआ जैसे कोई मेरे पीछे पीछे चल रहा है, मैंने पलट कर देखा तो वहां पर कोई नहीं था। मैं लंबे लंबे कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़ने लगा, लेकिन फिर भी ऐसी आहट आ रही थी जैसे कोई मेरे पीछे चल रहा है, मैं फिर पलट कर देखा। वहां पर कोई नहीं था। मुझे लगा यह मेरा भ्रम है, और यह सोच कर मैं वापिस घर की ओर चलने लगा। अब आहट के साथ-साथ किसी के गुर्राने की आवाज भी आने लगी। मुझे लगा कोई कुत्ता है, मैंने फिर इधर उधर देखा लेकिन आस पास कोई नहीं था। अब मुझे डर लगने लगा था, दिमाग अजीब अजीब सी ख्याल सोचने लगा था, ठंडी हवा बह रही थी, लेकिन फिर भी मैं पसीने से तरबतर हो चुका था।
जल्दी कदम बढ़ाने लगा, तभी मेरी नजर पास में लगे एक पीपल के पेड़ पर गई, मुझे लगा जैसे वहां पर कोई, खड़ा है जो मुझे घूर रहा है। मुझे बहुत डर लगने लगा, तभी मेरे बगल से एक आदमी निकला, और बढ़ाते हुए बोला रात को यूं क्यों भटक रहे हो, जाओ जल्दी घर जाओ। और यह बोलकर वह आगे निकल गया। मैंने जब गौर से उसके पैर की ओर देखा, तो उसके पैर उल्टे थे। मैं डर गया, मेरी चीखे निकल गई। तभी अचानक मेरी कान के पास आवाज आई, भाग जा यहां से नहीं तो तेरा खून पी जाऊंगी। मैंने तुरंत पलट कर देखा पीछे, कोई नहीं था वहां पर, ध्यान से देखा मैंने पर कोई नहीं था वहां पर। मेरे पैरों में अब हिम्मत ही नहीं बची, फिर भी मैं भागता हुआ अपने रूम की ओर जाने लगा। अब मेरा रूम देखने लगा था, वह सामने ही कुछ दूर पर था, पर मैंने क्या देखा, मेरे कमरे के गेट के सामने कोई खड़ा हुआ है, और वह मेरी तरफ ही देख रहा है। मेरी हालत खराब हो चुकी थी, अब आखिर मैं कहां जाऊं। तभी बहुत तेजी से हवा चली, मेरी आंखों में धूल पड़ गया और धूल से बचने के लिए मैंने आंख बंद कर लिया, जैसे ही हवा का वह तेज झोंका गुजर गया तो मैंने आंखें खोली, और कमरे की ओर देखा अब वहां पर कोई नहीं था, मैं तेज तेज से हनुमान चालीसा गाने लगा, और जल्दी ताला खोल कर अपने कमरे में घुस गया। और पूरी रात में हनुमान चालीसा पढ़ता रहा। अगली सुबह मैंने पूरी बात अपने मकान मालिक को बताई, तो उसने बताया की चौराहे में लगे आम के पेड़ में एक चुड़ैल रहती है, और पीपल में एक प्रेत रहता है। प्रेत बहुत ही अच्छा है इसलिए वह कोई अप्रिय घटना नहीं होने देता। वरना कल रात चुड़ैल तुम्हारा बहुत नुकसान करती है। हम लोग जब भी रात को जाते हैं, हनुमान चालीसा पढ़ते हुए जाते हैं, साथ में हनुमान जी का एक लॉकेट अपने साथ रखते हैं। अब मैं रात को आना जाना बंद कर दिया, और अगर किसी जरूरी काम से मुझे बाहर जाना होता तो मैं भी हनुमान जी का लॉकेट अपने साथ लेकर निकलता था साथ में हनुमान चालीसा पढ़ता था