Bhoot ki Kahani – ये कहानी मध्यप्रदेश के रीवा और सीधी जिले के बॉर्डर की हैं, इन दोनो जिलो के बीच में एक घाटी पड़ती हैं, इसको मोहनिया घाटी के नाम से जाना जाता हैं। यह एक बहुत ही सुनसान घाटी हैं, इस घाटी से होकर ही रीवा के लोग सीधी जाते हैं तथा सीधी के लोग रीवा आते हैं।
इस घाटी को पार करने में 40 से 60 मिनट लगते हैं। दिन में भी यह घाटी डरावनी लगती हैं, यहां पर घातक मोड़ हैं, जिसके वजह से इस घाटी में आए दिन जानलेवा एक्सीडेंट होते रहते हैं। सरकार अपराध के प्रति कठोर हैं, इस लिए अब यहां पर अपराध ज्यादा नही होते, लेकिन एक समय यहां पर लूट पाट की घटनाएं एक सामान्य बात हुआ करती थी। हालांकि अब भी एक दुक्का अपराध यहां पर घट ही जाते हैं।
रात को इस घाटी से निकलना एक मूर्खता पूर्ण और जान को जोखिम में डालने वाला काम साबित हो सकता हैं। ऐसा ही हमारे बड़े-बुजुर्ग लोग हमे समझाया करते थे और हम लोग इस बात को बड़ा ही ध्यान से पालन करते थे। लेकिन एक बार अगस्त महीने की बात हैं मुझे किसी आवश्यक काम से सीधी जाना पड़ा, रात को 12 बज रहे थे, मैं थोड़ा डरपोक किस्म का व्यक्ति हूं, इसलिए मैं थोड़ा डर रहा था। लेकिन जाना बहुत ही जरूरी था, इसलिए जाना तो पड़ेगा, यह मान कर मैं अपने एक दोस्त को अपनी समस्या बताया और उसे भी साथ चलने के लिए कहा और बड़े बहानों के बाद वह साथ में चलने को तैयार हो गया।
मेरे पास हीरो की एचएफ डीलक्स बाइक थी, उसी में हम दोनो सीधी जाने के लिए रात को 12 बजकर 12 मिनट में घर से निकल पड़े। मैं गाड़ी चला रहा था, और मेरा दोस्त पीछे की सीट में बैठा हुआ था। वह बिना मन के मेरे साथ जा रहा था, क्योंकि उसे भी रात को मोहनिया घाटी पार करने से डर लग रही थी। बहुत पहले की बात हैं, उसके गाँव के कुछ लोग इसी घाटी से होकर रीवा आ रहे थे, लेकिन वो लापता हो गए और उनका कोई अता-पता नहीं लगा। उस गाँव का मानना हैं की इस घाटी मे रात को घूमने वाले भूतो ने उन लोगो को अपने साथ ले गए थे। मेरे दोस्त ने एक बार यह किस्सा मुझे सुनाया था, इस लिए हम दोनों को वह किस्सा बार बार याद आ रहा था और इसलिए हम लोग डरे हुये थे।
मैं और मेरा दोस्त हम दोनों बाइक पर बैठकर सीधी के लिए निकल पड़े, आधे घंटे के बाद वह डरावनी घाटी हमारे सामने थी, अब हमें उस घाटी को पार करना था, दूर दूर तक कोई भी नहीं दिख रहा था, ना ही कोई आती हुई गाड़ी दिख रही थी और ना ही कोई जाती हुई गाड़ी दिख रही थी। एक दम अंधेरा और सन्नटा छाया हुआ था।
हम हिम्मत बांध कर उस मोहनिया घाटी को पार करने के लिए आगे बढ़े, अब हम उस पहाड़ी नुमा घाटी पर थे, रास्ते बहुत ही संकरे थे, एक तरफ ऊंचे ऊंचे पहाड़ और उन में लगे हुए घने पेड़ थे, तो दूसरी तरफ खाई थी। इस तरीके से हम मोहनिया घाटी को पार करने लगे। मोहनिया घाटी में कई मोड़ हैं जो की बहुत ही डरावनी है और खतरनाक भी है। तभी मैंने अपने बाइक के मिरर से देखा कि पीछे से एक बाइक आ रही है तो हमें एक संतोष हुआ की चलो हम यहां पर अकेले नहीं हैं। थोड़ी ही देर मे वो बाइक हमारे बगल से होकर गुजरी। उसमे एक 40 वर्ष की उम्र के आसपास एक आदमी बैठा हुआ हैं, उसके साथ एक महिला भी बैठी हुई थी। उसका पल्लू हवा में उड़ रहा था, मुझे लगा की कंही उसका पल्लू गाड़ी में फंस ना जाए और वह दोनों किसी दुर्घटना का शिकार हो जाए। इसलिए मैंने गाड़ी की रफ्तार बढ़ाई और उनकी बराबरी में आकर पीछे बैठी हुई महिला से कहा – “बहन जी आपका पल्लू हवा मे उड़ रहा है, कहीं गाड़ी में ना फंस जाए, तो आप उसे संभाल लीजिए।”
ऐसा बोलकर मैं आगे बढ़ गया। मेरा दोस्त मुझे डांट रहा था कि इतनी रात को क्या जरूरत थी, समाज सेवा करने की, पता नहीं कौन अनजान लोग हैं, क्यों रात को अनजान और डरावनी जगह पर अजनबीयों से बात कर रहे हो।
मैं उसकी बातों को सुनते हुए गाड़ी चला रहा था और आसपास के डरावने पेड़ों को और सुनसान पहाड़ को महसूस करके अंदर ही अंदर डर रहा था। तभी पीछे से फिर वही बाइक वाला रफ्तार के साथ अपनी गाड़ी को चलाते हुए मेरी बराबरी में आया। इस बार उसके पीछे कोई महिला नहीं बैठी हुई थी। उस बाइक वाले के चेहरे में एक डर का भाव देखा जा सकता था और इधर मैं और मेरा दोस्त दोनों ही डर गए कि उस बाइक वाले के साथ वह महिला क्यों नहीं बैठी हुई है, जो थोड़ी देर पहले उसके साथ थी। हमारे मान मे अजीब अजीब से ख्याल आने लगे और प्रश्न उठाने लगा की उस महिला के साथ क्या हुआ।
हमने तुरंत उस बाइक वाले से पूछा कि तुम्हारे साथ जो महिला थी वह कहां है? उस बाइक वाले ने भी हैरानी के साथ बोला कि मैं तो अकेले ही जा रहा था, मेरे साथ तो कोई भी नहीं था। उसने जैसे ही ऐसे बोला हम दोनों दोस्त और डर गए। मैं अपने दोस्त को देखने लगा और मेरा दोस्त मुझे देखने लगा। हम दोनों ने अपनी गाड़ी रोक ली और मैंने उस अनजान मोटरसाइकिल वाले से जोर देकर पूछा – “तुम सही बोल रहे हो कि झूठ बोल रहे हो?”
उसने अपनी भारत मां की कसम खाते हुए कहा कि – “मैं अकेले ही सीधी की ओर जा रहा था, जब आपने पल्लू ठीक करने की बात कही तो मैं चौक गया और इसलिए मैं आपसे पुष्टि करने के लिए आपके पास आया हूं कि आपने मेरे साथ किसे देखा है?”
यह सुनकर मैं और मेरे दोस्त ने भी कसम खाते हुए उस बाइक वाले से कहा कि – “हमने तुम्हारी गाड़ी में पीछे एक महिला को बैठे हुये देखा था।”
अब हम तीनों डरे हुए थे, तभी हम ने एक जोर की हंसी सुनी और हंसी वाली दिशा में हमने देखा तो पाया कि वहां पर एक विशाल पीपल का पेड़ था। उस विशाल पीपल के पेड़ में एक मानवीय आकृति बैठी हुई थी, जिसकी जोर जोर से हंसने की आवाज यहां तक आ रही थी। हम तीनों डर गए और जल्दी से अपनी गाड़ी को स्टार्ट करके अंधाधुंध रफ्तार में चलाने लगे।
जब भी दूसरा मोटरसाइकिल वाला हमारे बराबर पर आता तब तब उसकी बाइक पर हमें वह महिला बैठी हुई दिखाई देती और हम डर के मारे अपनी गाड़ी को और तेज करके उससे आएंगे निकालते। वह गाड़ी वाला भी स्थिति को भाप गया था और इसलिए वह भी अपनी गाड़ी की रफ्तार बढ़ाकर हर बार हमारे आस पास ही रहने की कोशिश कर रहा था। लगभग आधे घंटे के जद्दोजहद के बाद हम मोहनिया घाटी के दूसरी तरफ पहुँच चुके थे।
मोहनीय घाटी के दूसरी तरफ एक बहुत ही लोकप्रिय हनुमान मंदिर है, वहां पहुंचते ही उस भूतनी का छाया अब हमसे दूर हो चुकी थी। जो गाड़ी हमारी भारी चल रही थी, अब वह फिर से ठीक चलने लगी, हम सब मंदिर में सुबह होने तक रुके और 5:00 बजने के बाद ही हम लोग वहां से आगे की यात्रा के लिए निकले। उस दिन के बाद से अब कभी भी मैं देर रात को सीधी मोहनिया घाटी से होकर नहीं जाता हूं।
मोहनिया घाटी की दूसरी तरफ मौजूद यह मंदिर बहुत ही पुराना हनुमान मंदिर है। उस मंदिर पर जब हम ठहरे हुए थे तो वहां के एक बुजुर्ग पुजारी ने बताया कि मोहनिया घाटी में एक भूतनी रहती है जोकि प्राणघातक तो नहीं है लेकिन रात को पहाड़ी से गुजरने वाले यात्रियों को थोड़ा परेशान करती है। उन्होंने एक किस्सा भी बताया कि एक बार कोई व्यक्ति मोहनिया घाटी से सीधी की ओर से रीवा जा रहा था तो वह भूतनी उस गाड़ी को अपनी माया से बिगाड़ दिया करती थी जिसके बाद वह गाड़ीवाला को पूरी घाटी को पार करने में 3 घंटे लग गए। यह किस्सा सुनने के बाद अब मैं तो सीधी जाने के लिए दिन का समय ही चुनता हूं और अगर रात के 10:00 बजे के बाद जाना हो तो मैं पूरा प्रयास करता हूं कि मैं वहां से होकर नहीं जाऊंगा।
लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जब हमें मजबूरन जाना पड़ता है जैसा कि मुझे एक बार फिर जाना पड़ा था तो मैं अपनी गाड़ी में हनुमान जी की एक फोटो ले लेता हूं और पहाड़ी पार करते हुए हनुमान चालीसा मन मे पढ़ता रहता हूं तो मुझे किसी भी प्रकार से दोबारा से उस भूतनी को देखने का बुरा अवसर नहीं मिला।
अब तो वहाँ मोदी सरकार ने एक टनल बनवा दिया हैं, जिसकी वजह से मोहनीयां घाटी का रास्ता नहीं चुनना पड़ता हैं। मोहनीयां घाटी मे बने टनल से मात्र 4 मिनट मे पूरी घाटी पार हो जाती हैं, इसके अलावा वहाँ पर सुरक्षा के पुखता इंतेजाम किए गए हैं। हाल ही में मैं रात को 11 बजे सीधी गया था, 4 मिनट मे टनल के माध्यम से मैं मोहनीयां घाटी पर गया और मुझे कोई आत्मा नहीं मिली।
नोट- ऊपर की कहानी लोगो के द्वारा सुनी सुनाई एक कहानी हैं, यह कहानी कितनी सच हैं कितनी झूठ हैं, इसकी पुष्टि meribaate.in नहीं करता हैं।
बोलो जय हनुमान जी की
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