हाथी और बंदर की कहानी
मोहनिया नाम के जंगल में बहुत सारे जानवर रहा करते थे। इस जंगल में रामू हाथी और राजू बंदर भी रहा करते थे, इन दोनों के बीच बड़ी ही गहरी मित्रता थी। इनकी दोस्ती को लेकर पूरे जंगल में मिसाल दी जाया करती थी। रामू हाथी पूरे जंगल में सबसे ताकतवर जानवर था तो वहीं पर राजू बंदर जंगल का सबसे बुद्धिमान जानवर था। इसलिए जंगल का राजा गब्बर शेर भी दोनों की बहुत इज्जत करता था तथा जंगल में अगर किसी प्रकार का कोई विवाद हो जाता तो गब्बर शेर, रामू हाथी और राजू बंदर से सलाह लेकर ही विवाद का निपटारा किया करता था। रामू हाथी और राजू बंदर के साथ जंगल के राजा का इस तरह का बर्ताव देखकर, जंगल के दूसरे जानवर रामू हाथी और राजू बंदर से मन ही मन बहुत चिढ़ते थे।
राजू बंदर के परिवार के दूसरे बंदर राजू के खिलाफ कई बार षड्यंत्र कर चुके थे, वहीं दूसरी तरफ रामू हाथी के परिवार के दूसरे हाथी भी रामू और राजू की दोस्ती को तोड़ने का बहुत प्रयास कर चुके थे लेकिन फिर भी दोनों की दोस्ती नहीं टूटी।
रामू हाथी और राजू बंदर हमेशा साथ ही रहा करते थे। जंगल के दूसरे जानवर रामू हाथी और राजू बंदर के सामने आने पर उनका आदर करते थे, हालाकी मन ही मन जंगल के दूसरे जानवर रामू हाथी और राजू बंदर से जलते थे। इसी जंगल में पप्पू सियार भी रहता था। जंगल के सभी सियार पप्पू सियार को अपना नेता मानते थे। इसलिए पप्पू सियार अपने आपको जंगल के राजा से कम नहीं मानता था। वह जंगल के राजा गब्बर शेर को हटाकर जंगल में अपना शासन लाना चाहता था लेकिन उसके इस सपने के बीच कई बार रामू हाथी और राजू बंदर आ जाते थे। जिसकी वजह से कभी भी पप्पू सियार का सपना पूरा नहीं हो पाया। इसलिए पप्पू सियार का लक्ष्य रामू हाथी और राजू बंदर की दोस्ती को तोड़ना था। पप्पू सियार ने पूरे जंगल में खुफिया तौर पर यह खबर फैला दी कि जो भी जानवर रामू और राजू की दोस्ती को तोड़ देगा उसे पप्पू सियार जंगल का महामंत्री बनाएगा। लेकिन कोई भी जानवर रामू हाथी और राजू बंदर की दोस्ती को तोड़ने में सफल नहीं हो पा रहे थे।
जंगल में आए दिन कोई ना कोई षड्यंत्र जरूर होता रहता था लेकिन रामू हाथी और राजू बंदर की दोस्ती में कभी भी कोई दरार नहीं आई। जब जंगल में यह सब हो रहा था तभी एक नया जानवर उस जंगल में रहने के लिए आया। यह जानवर एक छोटी सी गिलहरी थी। गिलहरी का छोटा आकार देखकर जंगल के दूसरे जानवर उस गिलहरी से दोस्ती नहीं करना चाहते थे। लेकिन रामू हाथी और राजू बंदर ने गिलहरी को अपना दोस्त बना लिया, गिलहरी भी हाथी और बंदर के साथ दिन भर रहा करती थी, जिसकी वजह से गिलहरी को हाथी और बंदर की सब अच्छी और बुरी बाते पता चल गई। धीरे-धीरे समय बीतने लगा और गिलहरी को पप्पू सियार के द्वारा घोषित इनाम के बारे में पता चला। इस घोषणा में रामू हाथी और राजू बंदर की दोस्ती को तोड़ने की बात कही गई थी और जो व्यक्ति इस दोस्ती को तोड़ेगा उसे जंगल का महामंत्री बनाया जाएगा, इस घोषणा को सुनकर गिलहरी के मन में लालच आ गया।
गिलहरी रामू हाथी और राजू बंदर के साथ काफी समय तक साथ रही थी, इसलिए वह रामू हाथी और राजू बंदर दोनों के ताकत और कमियों को अच्छे से जानती थी इसलिए उसने रामू हाथी को राजू बंदर के खिलाफ भड़काया और राजू बंदर को रामू हाथी के खिलाफ भड़काया।
गिलहरी ने राजू बंदर को झूठी बात बताई की -“रामू हाथी ने एक बार मेरे से कहा था की राजू बंदर कि इस जंगल में कोई हैसियत नहीं है, लेकिन मेरी ताकत के कारण इस जंगल के दूसरे जानवर उसकी इज्जत करते हैं।” यह सुनकर राजू बंदर आग बबूला हो गया। तो वहीं पर गिलहरी ने हाथी को भड़काया की राजू बंदर कह रहा था की – “अगर मैं रामू हाथी के साथ ना होता तो रामू हाथी कब का भूखा मर गया होता क्योंकि मैं ही रामू हाथी को केले लेकर आता हूं और ऊंचे पेड़ों में लगे हुए फलों को मैं ही तोड़ कर उसे खिलाता हूं।” या सुनकर रामू हाथी भी गुस्से से लाल हो गया।
गिलहरी की ऐसी मन को चोट पहुंचाने वाली बातों को सुनकर रामू हाथी और राजू बंदर दोनों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा और देखते ही देखते रामू हाथी और राजू बंदर के बीच में दोस्ती टूट गई और दोनों एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते थे। आखिरकार पप्पू सियार यही चाहता था की रामू हाथी और राजू बंदर दोनों की दोस्ती टूट जाए। फिर उसने गब्बर शेर के पास जाकर उसे भड़काया की रामू हाथी जल्दी ही तुम्हें सिंहासन से हटाकर खुद वहां पर बैठने वाला है और जंगल मे रामू हाथी राज करना चाहता हैं। जब गब्बर शेर ने यह खबर सुनी तो उसने रामू हाथी को जंगल से बाहर निकल जाने का आदेश दिया। और षड्यंत्र करके रामू हाथी को शिकारी के माध्यम से पकड़ा दिया और उसे दूर चिड़ियाघर भेज देने की व्यवस्था कर दी। अब पप्पू सियार को रोकने वाला दूर-दूर तक कोई नहीं था इसलिए एक दिन पप्पू सियार ने अपने सभी सियार दोस्तों की सेना तैयार की और गब्बर शेर के ठिकाने पर आक्रमण करके गब्बर शेर को मारकर खुद जंगल का नया राजा बन गया। और राजा बनते ही पप्पू सियार ने रामू बंदर को भी पकड़ कर उसे मृत्युदंड दे दिया। गिलहरी को भी अपने प्राण पर संकट महसूस हुआ इसलिए वह भी खुद जंगल छोडकर चली गई। क्योंकि उसे पता चल गया था की पप्पू सियार उसे मंत्री नहीं बनाएगा, क्योंकि जब गिलहरी अपने दोस्तो की सगी नहीं हो पायी तो पप्पू शियार की क्या सगी होती।
इस तरह से इस कहानी में बाहर से आए एक छोटी सी गिलहरी ने दो दोस्तों के बीच में शंका उत्पन्न करके उनकी दोस्ती को तोड़ दिया और दूसरों की बात को सुनकर निर्णय करने वाला राजा अपने पद से हाथ धो बैठा और धूर्त लोग इसका फायदा उठा कर सत्ता हासिल करने में सफल हो गए।
इसलिए इस कहानी से यह पता चलता है कि किसी तीसरे व्यक्ति के सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। वरना दोस्ती के साथ-साथ धनसंपदा से भी हाथ धोना पड़ता है। बुद्धिमान लोगो ने कहा हैं की कई बार आखों से देखा भी गलत होता हैं। इसलिए बिना जाँचे पारखे किसी निर्णय मे नहीं पहुँचना चाहिए।
दोस्तो कहानी को लिखा हैं – अजीत गौतम जी ने
FAQ: हाथी और बंदर की कहानी
Q1 : मोहनीयां जंगल के राजा का क्या नाम था?
उत्तर – मोहनियाँ जंगल के राजा का नाम गब्बर शेर था। वह अपने सभी निर्णय हाथी और बंदर की सलाह से ही लिया करता था।
Q2 : रामू हाथी और राजू बंदर की दोस्ती मे फूट किसने डाली?
उत्तर – जंगल के बाहर से आई गिलहरी ने रामू हाथी और राजू बंदर के बीच दोस्ती मे फूट डलवाया था।
Q3 : पप्पू शियार किस प्रकार का जानवर था?
उत्तर – पप्पू शियार एक धूर्त और पद का लालची जानवर था, क्योंकि उसने सत्ता के लिए कई जानवरो की हत्या करवा दी थी।
Q4 : रामू हाथी और राजू बंदर के बीच दोस्ती क्यो टूटी?
उत्तर- क्योंकि रामू हाथी और राजू बंदर ने कसीस तीसरे की बात पर आँख मूँद कर विश्वास किया था, और गिलहरी के झूठे चुगली पर विश्वास करके दोनों एक दूसरे से नाराज हो गए थे।
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