एक व्यापारी था, जो अपने किसी कार्य की वजह से एक गांव पहुंचा, उसे हथौड़े की आवश्यकता थी। इसलिए वह उस गांव के लोहार के पास गया और उसे हथोड़ा बनाने के लिए कहा। लोहार ने व्यापारी के कहे अनुसार हथोड़ा बनाया, व्यापारी ने जब हथोड़ा देखा तो उसे वह हथोड़ा बहुत अच्छा लगा। हथोड़ा लेकर वह अपने नगर आ गया और नगर में उस लोहार की कार्यकुशलता की प्रशंसा करने लगा। लोहार की प्रशंसा व्यापारी के मुख से सुनकर नगर के अनेक लोग लोहार के पास अपने लिए हथोड़ा बनवाने जाने लगे।
देखते ही देखते लोहार की कुशलता की चर्चा हर जगह होने लगी। कुछ दिनों बाद शहर के एक बहुत बड़े व्यापारी जो दूर-दूर तक व्यापार करने जाया करते थे। वह जब नगर में लौटा तो उसने भी लोहार के बारे में खूब प्रशंसा सुनी। वह लोहार के पास गया और लोहार से बोला – “मैंने तुम्हारी खूब प्रशंसा सुनी है। मैं तुम्हें दूसरों के मुकाबले 4 गुना कीमत दूंगा। लेकिन शर्त यह होगी कि भविष्य में तुम सारे हथौड़े सिर्फ मेरे लिए ही बनाओगे। और किसी दूसरे के लिए अब से तुम हथौड़े नहीं बनाओगे।”
सौदागर की शर्त को सुनकर लोहार ने बोला – “मुझे अपने कार्य का जितना भी दाम मिलता है मैं उस से बहुत संतुष्ट हूं। मैं अपनी परिश्रम का मूल्य स्वयं ही निर्धारित करता हूं और आगे भी करना चाहता हूं। मैं कुछ चंद रुपयों और लाभ के लिए ऐसा कोई कार्य नहीं करूंगा, जिससे किसी दूसरे का शोषण हो।”
व्यापारी ने पूछा की इसमे कैसे किसी गरीब का शोषण होगा?
लोहार ने आगे बोला – “आप मुझे जितने भी पैसे देंगे, उससे दोगुना पैसे आप गरीब खरीदारों से वसूलोगे। इसलिए मैं अपने लालच का बोझ गरीब और दुखी पर पढ़ने नहीं दूंगा। मेरी यही इच्छा है कि मेरे कौशल का लाभ समाज के उन लोगों तक भी पहुंचे जो गरीब है। इसलिए मैं आपका यह प्रस्ताव शिकार नहीं कर सकता।”
सौदागर लोहार की यह बाते सुनकर अपमानित हुआ और उसे अपने लालच से भरे बुद्धि पर शर्मिंदगी महसूस हुई।
कहानी से शिक्षा (Moral of Hindi Story)- सच्चाई और ईमानदारी महान शक्तियां हैं, यदि किसी व्यक्ति में कुशलता के अतिरिक्त यह दोनों गुण मौजूद हैं तो उसे किसी प्रकार का प्रलोभन उसे अपने सिद्धांतों से डिगा नहीं सकता। आज के समय में लालच और बेमानी के कारण लोग कपड़ों की तरह अपने सिद्धांतों को और विचारधारा को बदलते हैं।
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