एक अत्यंत विद्वान व सदाचारी व्यक्ति था। परंतु उसका पुत्र विपरीत स्वभाव का था। गलत मित्रों की संगत होने से उसका पुत्र बिगड़ गया था। पिता ने पुत्र को कुसंगत से दूर होने को कहा, पर अनेक बार समझाने का भी कोई लाभ ना हुआ। एक दिन पिता ने पुत्र को समझाने के लिए एक उपाय सोचा। उन्होंने पुत्र को बुलाया और उसे एक हाथ में कोयला और दूसरे हाथ में चंदन लाने के लिए कहा।
पुत्र अपने पिता की बात मानकर, वह दोनों हाथ मे पिता द्वारा मगई गई वस्तु को लेकर आया पिता ने उन दोनों वस्तुओं को यथास्थान रखकर आने को कहा।
पुत्र उन दोनों वस्तुओं को यथास्थान पर रख कर आया तो पिता ने पुत्र से उसके दोनों हाथों को देखने को कहा, पुत्र ने अपने दोनों हाथो को देखा कि उसके एक हाथ में कालिख लगी है तो दूसरे से सुगंध आ रहा है। पिता ने पुत्र को समझाते हुए कहा – “बेटा सज्जनों का संग चंदन के जैसे होता है। उसका साथ छोड़ देने पर भी अच्छे विचारों की सुगंध बनी रहती है और दुर्जनो का साथ कोयले की तरह होता हैं। उनका साथ छूटने पर भी उनके आचरण की कालिमा हमारे जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं। इसलिए हमें जीवन में सदैव चंदन जैसे संस्कारी व्यक्तियों का साथ स्वीकारना चाहिए और दुर्जनो से दूर रहना चाहिए।”
पुत्र को पिता की यह बात समझ आ गई और उसने कुसंगति को छोड़ दिया। और अच्छे विचारो वाले लोगो के साथ रहने लगा। मंदिर जाता और साधू संतो से ज्ञान धर्म की बात सुनता।
Keyword for this Hindi Story is हिन्दी कहानी हिन्दी स्टोरी, hindi story, hindi kahani, koyala aur chandan, pita putra ki kahani, putra ki kahani, sangat ka asar
[…] Hindi Story – पिता, पुत्र और संगत का असर (Hindi Kahani Pit… […]
[…] Hindi Story – पिता, पुत्र और संगत का असर (Hindi Kahani Pit… […]