ग्रीनलैंड नामके देश मे एक राजा था। वह अपनी जनता को किसी तरह से खुश रखना चाहता था, जिससे जनता उसके खिलाफ विद्रोह न करे। मूर्ख राजा विदेश से आया था। यहाँ के पूर्व राजा ने उसे गोद ले लिया था। और अपने मरने के बाद उसे राजा बनाया जाए ऐसी घोषणा कर दी थी।
अब यह विदेशी, जबसे राजा बना इसको जनता का विद्रोह का डर सताया रहता था। क्योंकि वह किसी योग्य नहीं था। झूठ बोलना, लोगो को बेवकूफ बनाना, उलटे-सुलटे भाषण देना उसकी आदत थी। जब देखे वह दुश्मन देश के राजा की जी हुज़ूरी करता रहता था। देश के सबसे पवित्र धर्म के खिलाफ सजीशे करता था।
इसलिए उसने सोचा की कैसे अधिकारियों और मंत्रियो को खुश रखा जाए जिससे वो विद्रोह न करे, इस लिए उस राजा ने अपने मंत्रियो और अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की छूट दे दी। जिससे वो मजे से पैसे कमाए और विद्रोह की बाते इनके दिमाग मे ना आए।
फिर आम जनता के बारे मे सोचने लगा की ऐसा क्या किया जाए की जनता विद्रोह ना करे, तो उसने जनता को सबकुछ फ्री कर दिया। सिफ़ारिशों मे नौकरिया दी जाने लगी। जरूरत से ज्यादा नौकरी दी जाने लगी। अयोग्य को नौकरी मिलने लगी। नौकरी पाने वाले अयोग्य हमेशा राजा की बड़ाई करते। राजा के गुण गाते।
फिर राजा को लगा की जो राष्ट्रवादी हैं वो विद्रोह करेंगे। तो उसने स्कूल खोले जहां बच्चो को ऐसी शिक्षा दी जाने लगी जिसमे राष्ट्रवादी को नीची सोच और पिछड़ी सोच वाला बताया जाने लगा। पुराने योद्धा के खिलाफ गलत कहानियो का प्रचार किया गया। अगर भूले से कोई राष्ट्रवादी सोच का निकल जाता तो उसे अंधभक्त बोलते, गाय का मूत्र पीने वाला बोलते।
अंत मे राजा ने सोचा की अब सिर्फ धर्म बचा हैं जो लोगो को राजा के खिलाफ विद्रोह के लिए प्रेरित कर सकता था, तो उसने सभी गुरुकुल बंद करवा दिये। लोगो को जातियो मे तोड़ा गया, उनके बीच मतभेद पैदा किए गए। राजा ने अपने राज्य मे सबके बीच पर मतभेद पैदा करके उसे लगा की अब कोई विद्रोह नहीं करेगा और वह और उसका परिवार कई वर्षो तक शासन करता रहेगा।
लेकिन देश की हालत खराब हो गई क्योंकि राजकोष मे पैसे आना बंद हो गए क्योंकि राजा ने कर(टेक्स) लगाना बंद कर दिया था। सभी लोगो को मुफ्त मे खाना और महीने के गुजरे के लिए भत्ता दिया गया जिससे राजकोष से पैसे खत्म हो गए।
धीरे धीरे सेना को वेतन देने के लिए पैसे ही नहीं बचे। आखिरकार पड़ोसी देश ने हमला करके मूर्ख राजा के देश को गुलाम बना लिया।