Mastram ki kahani मे आज हम मस्तराम और उसके भाषण के बारे मे पढ़ेंगे। यह mastram ki kahani बहुत ही मजेदार हैं।
मस्तराम पूरे शहर मे लोगो को ठगने के लिए मशहूर था। तभी शहर के कुछ पढे लिखे लोगो की एक सभा ने मस्तराम की परीक्षा लेने के लिए सोचा। और इस लिए उन्होने मस्तराम को भाषण देने के लिए एक सभा मे बुलाया गया। मस्तराम भाषण देने के लिए बहुत उत्साहित था, इसलिए वह सही समय पर बुलाये गए स्थान पर पहुँच गया और स्टेज पर चढ़ गया। तभी मस्तराम को बोलने के लिए किसी ने माइक पकड़ा दिया।
मस्तराम ने स्टेज के सामने बैठे लोगो से पूछा की “क्या आप जानते हैं मैं क्या बताने वाला हूँ ?”
भाषण सुनने आए हुये लोगो ने एक आवाज मे चिल्ला कर बोला – “नहीं ”
यह सुन मस्तराम नाराज हो गया और गुस्से मे बोला – ”जिन लोगों को ये भी नहीं पता कि मैं आज यहाँ क्या बोलने आया हूँ ऐसे लोगो के सामने मुझे बोलने की कोई इच्छा नहीं होती हैं, इस लिए माइब अब कुछ भी बोले बिना यहाँ से चला जाऊंगा। “
और ऐसा कह कर मस्तराम वहाँ से चला गया।
ये सुन कर वहाँ पर मौजूद लोगो को थोड़ा अजीब लगा फिर उन्हे थोड़ी शर्मिंदगी भी महसूस हुई। सभा ने फिर से मस्तराम को अगले दिन भाषण देने के लिए निमंत्रण दिया।
इस बार भी मस्तराम स्टेज पर आकार वही प्रश्न सभा के लोगो से दोहराया – “ क्या आप जानते हैं मैं क्या भाषण देने वाला हूँ ?”
इस बार भीड़ पहले से ही तैयार थी। मस्तराम के सवाल का जबाव सबने एक साथ चिल्लाते हुये दिया – “हाँ ”
“शाबाश, बहुत खूब अब जब आप सभी लोगो को यह पता हैं की मैं क्या बोलने वाला हूँ। तो भला मैं वही बात दुबारा बोल कर आप लोगो का समय क्यो बर्बाद करू।” और ऐसा बोल कर मस्तराम स्टेज से उतार कर अपने घर चला गया।
यह सब देख और सुन कर सभा मे आए हुये लोगो को गुस्सा आ गया। इस बार वो लोग मस्तराम से बदला लेना चाहते थे। इस लिए उन्होने योजना बनाई और फिर से मस्तराम को भाषण देने के लिए बुलाया।
मस्तराम फिर से भाषण देने के लिए सभा मे आए और स्टेज मे चढ़ कर फिर से वही प्रश्न पूछा जो उन्होने अपने पिछले दो बार स्टेज मे बुलाए जाने पर पूछा था। – “क्या आप जानते हैं की मैं आज यहाँ पर क्या बोलने वाला हूँ?”
इस बार सभा के लोग योजना के मुताबिक जबाव दिया। आधे लोगों ने “हाँ ” और आधे लोगों ने “ना ” में उत्तर दिया। उन्हे लगा की अब तो मस्तराम फंस जाएगा। और उसे आज भाषण देने ही पड़ेगा।
लेकिन मस्तराम बड़ा हुंशियर निकला और उसने आधे लोगो की हाँ और आधे लोगो की ना सुन कर बोला की – “जो आधे लोग जानते हैं कि मैं आज क्या बोलने वाला हूँ वो बाकी के आधे लोगों को बता दें की मैं क्या बोलने वाला हूँ।”
और ऐसा बोल कर मस्तराम वहाँ से निकाल गया। सभा के लोग फिर से ठग गए। और उन्हे विश्वास हो गया की मस्तराम किसी को भी ठग सकता हैं।
Mastram Ki Kahaniऔर उनकी सूची
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- Mastram ki kahani – मस्तराम और उसका प्रवचन
- लव स्टोरी – प्यार की कहानी
- अहंकारी पेड़ और तुच्छ झाड़ियाँ
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