एक गाँव मे एक व्यक्ति रहता था उसका नाम पंकज था। वह बेचारा सीधा साधा आदमी था, उसे बहुत ज्यादा दुनियादारी से मतलब नहीं था। वह अपने घर मे गाँव के छोटे छोटे बच्चो को पढ़ाया करता था। एक बार उसका एक मित्र उसके पास आया, और उससे कुछ पैसे उधार मांगे। पंकज के पास पैसे नहीं थे, फिर भी उसने बड़ी मुश्किल से कुछ पैसो का प्रबंध किया और अपने उस दोस्त को दे दिया। दोस्त पैसे लेकर वहाँ से चला गया। कई दिन बीत जाने के बाद एक चौराहे मे पंकज रुक कर कुछ समान ले रहा था, तभी उसे अपना वह मित्र दिखा जिसने उससे कई दिनो पहले 5000 रूपय उधार लिए थे।
पंकज आर्थिक रूप से बहुत मजबूत नहीं था, उसने अपने मेहनत से कमाए हुये पैसो को जोड़ जोड़ कर जो पैसे जमा किए थे, वो पैसे दोस्त की मदद के लिए उसे दे दिया था। 3 महीने बीत चुके थे, उसे पैसो की आवश्यकता थी। इस लिए वह उस दोस्त के पास गया और उससे अपने पैसे मांगे। पर दोस्त ने साफ साफ माना कर दिया, और कहा की उसने कभी भी उससे पैसे नहीं मांगे थे।
पंकज ने उसे बहुत समझाया पर हर बार वह दोस्त पैसे की बात से मुकर गया। पंकज उदास मन से अपने घर आ गया। गाँव के कई लोगो ने पंकज से कहा की – “तुम्हें पुलिस मे शिकायत करनी चाहिए।”
लेकिन पंकज ने उन्हे बताया की उसके पास कोई सबूत नहीं हैं की उसने अपने दोस्त को कोई पैसे दिये हैं।
पंकज ने पैसो की आशा को छोड़ कर अपने काम मे ही मन लगा ठीक समझा। इधर पंकज के दोस्त को विश्वास हो गया की अब पंकज कभी भी अपने पैसे लेने नहीं आयेगा। इस लिए उसने अब वह उन 5000 रूपय को लेकर सोनार के पास गया, अपने श्रीमती को आभूषण खरीदने के लिए। लेकिन सोनार को व्यापार मे हानी हुई थी, जिसके चलते उसने नकली आभूषण पंकज के दोस्त को दे दिये। आभूषण कुछ सस्ते समझ मे आए, इसलिए पंकज का दोस्त मन ही मन बहुत खुश हुआ और जल्दीबाजी के चक्कर मे रसीद लेना भूल गया।
जब उस दोस्त ने अपने पत्नी को वह आभूषण दिये, तो पत्नी एक नजर मे जान गई की आभूषण नकली हैं। दोस्त सोनार के पास गया, और आभूषण नकली होने की बात कही तो, सोनार ने उसे पहचाने से ही माना कर दिया, और कहा की हमने तो कभी आपको आभूषण बेचे ही नहीं हैं, अगर आपने हमारे यहाँ से यह आभूषण खरीदे हैं तो हमारी रशीद दिखा दीजिये। दोस्त के पास रशीद नहीं थी, इसलिए वह मन मारकर उन नकली आभूषण के साथ वापस आ गया, और उसे महसूस हुआ की उसने अपने दोस्त पंकज को ठगा था और आज किस्मत ने उसे सोनार के माध्यम से ठग लिया हैं।
सोनार उन 5000 रूपय को एक कपड़े मे बांध कर अपने घर मे जा रहा था, तभी एक चील उस कपड़े की पोटली को लेकर उड़ गया, चील आसमान मे उड़ते हुये अपने बसेरे की ओर जा रहा था, तभी उसे एक छत पर कुछ रोटियाँ दिखी सो वह चील उस छत पर आकार बैठ गया और वहाँ रखी रोटियाँ लेकर उड़ गया।
अचानक से बादल घिर आए थे और पानी गिरने जैसा मौसम हो गया था, पंकज छत मे आया कपड़े लेने के लिए, उसे अपने छत मे चील के द्वारा छोड़ी गई वह पोटली मिल गई, उसने उस पोटली को खोला तो उसमे 5000 रूपय रखे हुये थे। पंकज ने भगवान को धन्यवाद दिया। और उसे कर्मफल पर और विश्वास बढ़ गया। इधर सोनार और पंकज का दोस्त को भी समझ मे आ गया की पाप, चुगली, धोखा और झूठ से कमाई गई संपत्ति कभी भी साथ नहीं रहती हैं। वह जिस रफ्तार से आती हैं उसी रफ्तार से आपके हांथों से निकल जाती हैं। कभी कभी वह दोगुना या फिर तीनगुना भी लेकर जाती हैं। इसलिए ईमानदारी से कमाई गई संपत्ति ही फलती और फूलती हैं।
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