राजेंद्र शुक्ला जी रीवा के विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और पिछले 20 वर्षो से लगातार शुक्ला जी रीवा के विधायक चुने जा रहे हैं। 2003 से लेकर 2018 के चुनाव तक वो चार बार विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं। रीवा से 4 बार विधायक अभी तक कोई नहीं बना हैं, वो एकलौते नेता हैं जो लगातार चार विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बने हुये हैं। राजेंद्र शुक्ला जी के पहले यह रिकार्ड पुष्पराज सिंह जी के पास था। पुष्पराज सिंह जी लगातार 3 बार रीवा के विधायक रह चुके हैं।
पुष्पराज सिंह जी बने लगातार तीन बार विधायक
पुष्पराज सिंह जी पहली बार रीवा के विधायक 1990 में बने थे। कांग्रेस पार्टी के टिकट में पुष्पराज सिंह जी 1990 के विधानसभा चुनाव में अपने किस्मत को आजमाने के लिए मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में पुष्पराज सिंह जी का सामना जनता दल के कद्दावर नेता प्रेमलाल मिश्रा जी से था, जो की रीवा के 2 बार के विधायक रह चुके थे। 1990 के विधान सभा चुनाव में रीवा की जनता ने अपने राजा को वोट दिया। पुष्पराज सिंह जी को 39159 वोट मिले थे, और तत्कालीन विधायक प्रेमलाल मिश्रा जी को 11613 वोट मिले थे। पुष्पराज सिंह जी ने प्रेम लाल मिश्रा को 27546 वोट से हारा दिया था। बीजेपी ने रीवा से 1990 में अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था।
इसके बाद अगला विधानसभा चुनाव 1993 में हुआ इस चुनाव में रीवा के राजा एवं विधायक पुष्पराज सिंह जी के सामने बीजेपी ने अपना उम्मीदवार उतारा था। इनका नाम राजेंद्र पांडे था। इस चुनाव में पुष्पराज सिंह जी को 34210 वोट मिले थे और उनके विरोधी एवं बीजेपी के उम्मीदवार राजेंद्र पांडे जी को 25157 वोट मिले थे। पुष्पराज सिंह जी ने राजेंद्र पांडे जी को 9053 वोट से पराजित कर दिया था। और रीवा से लगातार दूसरी बार विधायक चुन लिए गए थे। रीवा से दो बार विधायक रह चुके प्रेम लाल मिश्रा जी इस बार भी मैदान पर थे, लेकिन उनकी चमक फीकी पड़ चुकी थी। इस बार प्रेम लाल मिश्रा सीपीएम के टिकट से चुनाव के मैदान में उतरे थे लेकिन जनता ने उन्हे सिरे से नकार दिया था। प्रेम लाल मिश्रा जी को इस बार जनता का सिर्फ 2653 वोट ही मिल पाया था।
पुष्पराज सिंह जी बनाम राजेंद्र शुक्ला जी
अब बात करेंगे दो धुरंधरों की पहला जो लगातार जीत रहे थे, जिनका सितारा बुलन्दियो में था, जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ हमारे महाराज पुष्पराज सिंह जी के बारे में तो दूसरा धुरंधर वो थे जो भविष्य में चमकने के लिए तैयार थे और ये हमारे रीवा के विकास पुरुष राजेंद्र शुक्ला जी हैं। पुष्पराज सिंह जी और राजेंद्र शुक्ला जी का आमना-सामना सिर्फ दो बार ही हुआ हैं, पहली बार 1998 में और दूसरी बार 2003 में। दोनों ने साबित कर दिया हैं की दोनों ही एक दूसरे से कम नहीं हैं।
राजेंद्र जी और पुष्पराज सिंह जी का पहला आमना सामना 1998 के विधानसभा चुनाव में हुआ था। इस चुनाव में पुष्पराज सिंह जी कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जनता के सामने थे। बीजेपी ने 1998 के चुनाव में इस बार अपना उम्मीदवार 34 वर्ष के युवा राजेंद्र शुक्ला जी को बनाया था। पुष्पराज सिंह जी ने यह चुनाव जीत लिया और राजेंद्र शुक्ला जी की हार हुई लेकिन इस चुनाव ने भविष्य तय कर दिया था। आज जब चुनावी पंडित पन्ने पलटा कर इस चुनाव के परिणामो को देखते होंगे तो उन्हे समझ आ रहा होगा की जनता ने तो 1998 में ही अपनी मन की बात कह दी थी। इस चुनाव में पुष्पराज सिंह जी को 38194 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के उम्मीदवार राजेंद्र शुक्ला जी को 36800 वोट मिले थे। यानि की पुष्पराज सिंह जी मात्र 1394 वोट से ही यह चुनाव जीत पाये थे। राजेंद्र जी की यह हार नहीं थी बल्कि सूरज उगने के पहले की वो अंधियारी थी जो जल्दी ही हटने वाला था।
2003 का चुनाव जिसकी बेसब्री से रीवा की जनता और खुद राजेंद्र शुक्ला जी इंतेजार कर रहे थे। आखिर वह चुनाव आ चुका था। बीजेपी ने इस बार फिर राजेंद्र शुक्ला जी पर अपना विश्वास दिखाया और उन्हे फिर से रीवा विधानसभा क्षेत्र का बीजेपी उम्मीदवार बनाया। यह इतिहास का वह चुनाव होने वाला था, जो शायद ही अब रीवा के लोग देखे। इस चुनाव में फिर से महाराज पुष्पराज सिंह जी कांग्रेस के उम्मीदवार थे तो उनके सामने राजेंद्र शुक्ला जी थे वही युवा नेता जिसे पिछले चुनाव में मात्र 1394 वोट से ही पुष्पराज सिंह जी हरा पाये थे। आखिर कार चुनाव हुये और परिणाम आए। इस परिणाम के रिजल्ट कहि न कहि सभी को पता था लेकिन आशा से भी बढ़कर यह चुनाव के परिणाम थे। राजेंद्र जी ने पुष्पराज सिंह जी को विधायकी के चुनाव में हरा तो दिया ही था और यह लगभग जगजाहीर था की इस बार यह युवा नेता राजेंद्र जरूर जीतेगा। लेकिन हैरत तो तब हुई जब पता चला की राजेंद्र शुक्ला जी ने महाराज पुष्पराज सिंह जी को 56816 वोटो से पराजित किया हैं। जी हाँ रीवा की जनता ने राजेंद्र शुक्ला जी को 78612 वोट दिये थे, जबकि पुष्पराज सिंह जी को 21796 वोट ही मिले थे। इस चुनाव में पुष्पराज सिंह जी तीसरे पायदान पर रहे। दूसरे पायदान पर बीएसपी के उम्मीदवार लेखन सिंह पटेल थे, जिनहे 22404 वोट मिले थे। तब से आज तक राजेंद्र शुक्ला जी अपराजित हैं।
राजेंद्र शर्मा बनाम राजेंद्र शुक्ला
2023 का चुनाव सर पर हैं, इस बार राजेंद्र जी अपनी पाँचवी जीत के इरादे से चुनाव के मैदान मे उतरेंगे। तो वही उनके विपक्ष मे कांग्रेस ने राजेंद्र शर्मा जी को अपना उम्मीदवार बनाया हैं। राजेंद्र शर्मा पहली बार राजेंद्र शुक्ला जी के विपक्ष में चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। आपको बताते चले की इन दोनों का आमना-सामना 2008 मे भी हो चुका हैं। 2008 के विधानसभा चुनाव में वोट की संख्या के अनुसार राजेंद्र शर्मा 3 पायदान पर थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में रीवा की जनता ने राजेंद्र शुक्ला जी को 43140 वोट दिये थे। दूसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी के नेता अब्दुल मुजीब खान को 17030 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार श्री राजेंद्र शर्मा जी को 14126 वोट मिले थे। राजेंद्र शुक्ला जी ने यह चुनाव 26110 वोटो के अंतर से जीत लिया था।
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