शर्मिला टैगोर का परिचय | sharmila tagore ka Parichay
खूबसूरत चेहरा और अपनी झील सी आंखों से लोगों का दिल जीत लेने वाली 70 और 80 के दशक की बेहतरीन अदाकारा रही शर्मिला टैगोर के बारे मे आज हम लोग चर्चा करेंगे। जब शर्मिला हंसती थी तो उनके गाल में पढ़ने वाले डिंपल सबका मन मोह लेते थे। बॉलीवुड ने शर्मिला को मृगनयनी का टाइटल दिया गया था। शर्मिला का जन्म 8 दिसंबर 1946 को हैदराबाद के हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था। शर्मिला के पिता गीतिंद्रनाथ टैगोर एल्गिन मिल्स के ब्रिटिश इंडिया कंपनी के मालिक के महाप्रबंधक थे। इनकी मां असम की रहने वाली थी। शर्मिला टैगोर का बचपन कोलकाता में बीता। शर्मिला टैगोर नोबेल प्राइज विजेता रविंद्र नाथ टैगोर की परपोत्री है, शर्मिला की नानी रविंद्र नाथ टैगोर के भाई बृजेंद्र नाथ टैगोर की नातिन थी।
शर्मिला टैगोर का फिल्मों मे एंट्री का किस्सा
शर्मिला का मन पढ़ाई लिखाई में बिल्कुल नहीं लगता था। उन्हें बस सजना सवरना अच्छे-अच्छे कपड़े पहनना, घूमना फिरना पसंद था। एक बार जब शर्मिला महज 13 साल की थी तभी अचानक मशहूर फिल्मकार सत्यजीत रे ने शर्मिला को देखा और शर्मिला को बंगाली फिल्म अपूर संसार में ब्रेक दिया। लेकिन शर्मिला का फिल्मों में आना इतना आसान नहीं था। जब डायरेक्टर सत्यजीत रे शर्मिला की मां से मिले और उन्हें अपनी फिल्म में लेने का ऑफर दिया तो शर्मिला की मां खुशी खुशी तैयार हो गई। लेकिन उनके पिता को शर्मिला का एक्टिंग करना बिल्कुल पसंद नहीं था । परंतु शर्मिला की मां को शर्मिला का फिल्मों में कैरियर बनाना ठीक लगा, शर्मिला की मां ने शर्मिला के पिता को बहुत समझाया, उन्होंने कहा कि शर्मिला पढ़ाई लिखाई में तो अच्छी है नहीं और अगर वह फिल्मों में भी अपना कैरियर नहीं बनाएगी तो फिर वह क्या करेगी। शादी के बाद वह केवल घर का चूल्हा चौका संभालने तक ही सीमित रह जाएगी।
मां के बहुत मनाने के बाद आखिरकार शर्मिला के पिता भी राजी हो गए और शर्मिला को एक्टिंग करने के लिए कह दिया। शर्मिला उस समय केवल 13 साल की थी, परंतु शर्मिला का अभिनय इतना दमदार था कि सभी डायरेक्टर प्रोड्यूसर अचंभित रह गए। इतनी कम उम्र की बच्ची ने इतना अच्छा अभिनय किया किसी को अपनी आंखों में भरोसा ही नहीं हो रहा था। शर्मिला की पहली लीड रोल में आई फिल्म कश्मीर की कली थी, जिसका निर्देशन शक्ति सामंत ने किया था। इस फिल्म में शर्मिला के हीरो शम्मी कपूर थे। यह फिल्में दर्शकों को खूब पसंद आई। शर्मिला के द्वारा निभाया गया रोल भी दर्शकों को खूब पसंद आया।
शर्मिला का बिंदास अंदाज
शर्मिला उस दौर की बिंदास अभिनेत्रियों में जानी जाती हैं जब अभिनेत्रियां साड़ी पहनती थी तब शर्मिला ने पहली बार बिकनी पहन कर सबको चौंका दिया था। शर्मिला से पहले किसी अभिनेत्री ने बिकनी नहीं पहनी थी। फिल्म सावन की घटा में शर्मिला ने बहुत छोटे कपड़े पहने थे। 1966 में फिल्म फेयर मैगजीन के लिए बिकनी में फोटोशूट कराकर शर्मिला ने हंगामा मचा दिया था। इतना ही नहीं 1967 में आई फिल्म एन इवनिंग इन पेरिस और आमने-सामने मे शर्मिला ने बिकनी पहनी। फिल्म इंडस्ट्री में शर्मिला का यह बिंदास अंदाज लोगों को काफी पसंद आया और शर्मिला को इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया।
दर्शक उस समय कुछ नया देखना भी चाहते थे जिसे शर्मिला ने पूरा कर दिया। फिल्म इंडस्ट्री में ग्लैमर लाने वाली अभिनेत्री शर्मिला ही थी। शर्मिला छोटे कपड़े और बिकनी पहनकर सभी को अपना दीवाना बना लिया, परंतु कुछ लोगों को शर्मिला का यह बिंदास अंदाज पसंद नहीं आ रहा था। उन लोगों का मानना था कि इस तरह के कपड़े पहनने से उनके समाज के लड़के और लड़कियां बिगड़ रहे हैं। वह अपनी संस्कृत अपनी परंपरा भूल रहे हैं जिस कारण से लोग सड़कों पर उतर आए और विवाद खड़ा हो गया। यहां तक कि संसद तक में लोगों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया। परंतु शर्मिला को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।
शर्मिला सफलता की उड़ान उड़ती हुई
उनकी एक के बाद एक फिल्में हिट हो रही थी। फिल्म आराधना जिसमें एक्टर राजेश खन्ना शर्मिला के हीरो थे बहुत हिट रही शर्मिला की राजेश खन्ना के साथ आई सभी फिल्में हिट रही। इन दोनों की जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। फिल्म आराधना का एक गाना मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू खूब चला था। उस समय हर किसी के जबान मे सिर्फ यही गाना था। हर गली चौराहो मे ये गाना गुनगुनाते लोग दिख ही जाया करते थे। शर्मिला और राजेश खन्ना पर फिल्माया गया एक और गाना जो लोगों को खूब पसंद आया रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना था, इस गाने के प्रति भी लोगो की दीवानगी देखी जा सकती थी। शर्मिला उन दिनों बड़ी स्टार बन चुकी थी।
शर्मिला का मंसूर आली खान के बीच पनपता प्यार
एक पार्टी में शर्मिला गई थी, उस पार्टी में क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी भी आए हुए थे। मंसूर अली को लोग प्यार से टाइगर नाम से भी पुकारते थे। मंसूर अली ने शर्मिला को देखा तो उन्हें शर्मिला से प्यार हो गया जबकि उन दिनों मंसूर अली सिमी ग्रेवाल को डेट कर रहे थे। लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें शर्मिला भा गई मंसूरअली को फिल्में देखने का कोई शौक नहीं था। ना ही वह फिल्में देखते थे। लेकिन शर्मिला ने तो टाइगर को मैदान के बाहर ही क्लीन बोल्ड कर दिया। मंसूर अली ने सिमी ग्रेवाल से ब्रेकअप कर लिया और शर्मिला के प्यार को पाने के लिए उनके पीछे पड़ गए। मंसूर अली हर दिन शर्मिला को नए तोफे भेजते थे। लेकिन शर्मिला उन तोफे को अपनी बालकनी से फेंक दिया करती थी। यह सिलसिला काफी महीनों तक चला फिर अचानक शर्मिला का दिल पिघल गया और मंसूर अली और शर्मिला एक दूसरे से मिलने लगे। मुलाकात धीरे धीरे प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया। लेकिन मंसूर अली की मां सगाई से पहले शर्मिंदा से मिलना चाहती थी। उस समय पूरे शहर में शर्मिला के छोटू कपड़े के पोस्टर लगे हुए थे। जब शर्मिला को मंसूर अली ने बताया कि उनकी मां उनसे मिलने मुंबई आना चाहती हैं। तो शर्मिला घबरा गई उन्हें लगा अगर उन्होंने यह पोस्टर देख लिए तो उनकी शादी कैंसिल हो जाएगी। शर्मिला ने प्रोड्यूसर से कहा कि शहर में लगे सभी पोस्टर को हटवा दिया जाए। फिर रातों-रात सारे पोस्टर हटा दिए। जब मंसूर अली की मां आई तो मंसूर अली ने शर्मिला को मां के पास अकेला छोड़ कर चले गए मंसूर अली की मां को शर्मिला बहुत पसंद आई और फिर शर्मिला और मंसूर अली 28 दिसंबर 1968 को शादी के बंधन में बंध गए।
शर्मिला ने बदला धर्म और नाम
लेकिन समस्या तब खड़ी हो गई जब मंसूर अली की मां साजिदा सुल्तान ने शर्मिला के सामने एक शादी की शर्त रख दी, उनका कहना था कि शर्मिला को शादी के बाद धर्म बदलना पड़ेगा अगर शर्मिला ऐसा नहीं करती तो शादी नहीं होगी। लेकिन शर्मिला मंसूर अली को बहुत चाहती थी शर्मिला मंसूर अली को छोड़ना नहीं चाहती थी। जिस वजह से उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया और वह एक हिंदू से मुस्लिम बन गई, शर्मिला का नाम भी बदलकर आयशा सुल्तान रख दिया गया। इन दोनों की जोड़ी बॉलीवुड के लिए एक आदर्श जोड़ी है। क्योंकि इन दोनों का कभी तलाक नहीं हुआ, यह दोनों हमेशा साथ में रहे। शर्मिला ने शादी के बाद भी अपने एक्टिंग को जारी रखा।
शर्मिला का अकेलापन
शर्मिला अपने समय के सभी बड़े अभिनेताओं के साथ में काम किया, शर्मिला टैगोर के तीन बच्चे हैं सैफ अली खान, सबा अली खान और सोहा अली खान। शर्मिला के जीवन में सब कुछ ठीक ही चल रहा था। तभी मंसूर अली खान पटौदी की लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया और शर्मिला अकेली पड़ गई, आज शर्मिला अपने बच्चों के साथ अपनी खुशहाल जिंदगी जी रही है, बस कमी है तो मंसूर अली की शर्मिला एक बड़ी स्टार थी। ऐसा कोई ही होगा जो शर्मिला को ना जानता हो और उनकी फिल्में ना देखी हो।
शर्मिला टैगोर की फिल्मों की सूची
वर्ष | फ़िल्म |
2007 | एकलव्य |
2007 | फूल एन फाइनल |
2005 | विरुद्ध |
2003 | शुभ मुहूर्त |
2000 | धड़कन |
1999 | मन |
1993 | आशिक आवारा |
1988 | हम तो चले परदेस |
1986 | न्यू देहली टाइम्स |
1986 | स्वाति |
1986 | रिकी |
1986 | बेटी |
1985 | बंधन अनजाना |
1984 | डिवोर्स |
1984 | जवानी |
1984 | सनी |
1983 | दूसरी दुल्हन |
1982 | नमकीन |
1982 | देश प्रेमी |
1981 | कलंकिनी कंकाबती |
1979 | गृह प्रवेश |
1978 | बेशरम |
1977 | आनन्द आश्रम |
1977 | त्याग |
1976 | एक से बढ़कर एक |
1975 | मौसम |
1975 | फ़रार |
1975 | अनाड़ी |
1975 | अमानुष |
1975 | एक महल हो सपनों का |
1975 | चुपके चुपके |
1974 | चरित्रहीन |
1974 | शानदार |
1974 | पाप और पुण्य |
1973 | दाग |
1973 | आ गले लग जा |
1973 | अविष्कार |
1972 | मालिक |
1972 | यह गुलिस्ताँ हमारा |
1972 | दास्तान |
1971 | अमर प्रेम |
1971 | छोटी बहू |
1971 | सीमाबद्ध |
1970 | मेरे हमसफर |
1970 | सफर |
1970 | अरण्येर दिनरात्रि |
1970 | सुहाना सफ़र |
1969 | आराधना |
1969 | सत्यकाम |
1969 | प्यासी शाम |
1968 | मेरे हमदम मेरे दोस्त |
1968 | दिल और मोहब्बत |
1967 | आमने सामने |
1966 | अनुपमा |
1966 | सावन की घटा |
1966 | नायक |
1966 | ये रात फिर ना आयेगी |
1965 | वक्त |
1963 | (1963 फ़िल्म) |
1960 | देवी |
1959 | अपुर संसार |
शर्मिला टैगोर को मिले अवार्ड्स
- 1965 मे iffi के द्वारा निर्जन सैकते के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड्स मिले था
- फिल्म आराधना के लिए 1970 मे फिल्मफेयर अवार्ड मिला था।
- 1998 मे लाइफटाइम अचिवेमेंट अवार्ड फिल्मफेयर के द्वारा दिया गया था।
- मौसम फिल्म के लिए 1976 मे बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल फिल्म अवार्ड दिया गया था।
- अबर अरनये के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नेशनल फिल्म अवार्ड 2004 मे दिया गया था।