अगर किसी काल या समय का मानव द्वारा किए गए घटनाओं का कोई लिखित इतिहास न लिखा गया हो तब उस समय या काल को प्रागैतिहासिक काल कहते हैं। उदाहरण के लिए आदिमानव काल के समय लेखन कार्य नहीं हुआ करता था। तब उस समय के इतिहास को प्रागैतिहासिक काल कहा जाता हैं।
जिस समय या काल मे लेखन कला का प्रचालन हो चुका था फिर भी उस काल का कोई लिखित इतिहास मिलने के बाद भी उसे पढ़ा एवं समझा न जा सके तब उस काल के इतिहास को आद्ध ऐतिहासिक काल कहा जाता हैं। उदाहरण के लिए हड़प्पा काल मे लेखन कला का प्रचालन था और उस समय के मिले लेखन साक्ष्यों को नहीं पढ़ा जा सका हैं।
प्रागैतिहासिक काल (पाषाण काल)
प्रागैतिहासिक काल को पाषाण काल काल भी कहा जाता हैं। पाषाण काल को तीन उप काल मे बांटा जा सकता हैं।
- पुरापाषाण काल
- मध्य पाषाण काल
- नय पाषाण काल ।
पुरापाषाण काल
- भारत में इतिहासकारो ने पुरापाषाण कालीन संस्कृति पर लगभग 150 वर्ष का शोध किया हुआ हैं।
- राबर्ट ब्रूस फुट पुरापाषाण काल के औजारो की खोज करने वाले पहले व्यक्ति थे। इनहोने 1863ई. में साउथ इंडिया के तमिलनाडु राज्य मे पल्लावरम नाम के स्थान पर पुरापाषाण कालीन औजारों की खोज की थी।
- मध्य प्रदेश मे भी पूर्व पाषाणयुगीन स्थल खोजे गए हैं, यह स्थान नर्मदा घाटी, चम्बल घाटी, बेतवा घाटी, सोनार घाटी (धोगरा. हेरात, नरसिंहगढ़ एवं मारियादा), सोन घाटी, भीमबैठका की गुफा आदि मे खोजे गए हैं।
- पुरातत्व ज्ञाता जैसे डॉ. एच. डी. सांकलिया सुपेकर, आर. बी. जोशी एवं बी लाल आदि लोगो ने पुरापाषण काल से संबन्धित नर्मदा घाटी का सर्वेक्षण किया था।
- इस सर्वेक्षण मे पुरापाषाण काल की कुल्हाडियाँ मिली थी, या कुल्हाड़ियाँ नर्मदा की घाटी के उत्तर दिशा मे मौजूद देवरी, सुखचाईनाला बुरधाना, केडघाटी, बरखुस, संग्रामपुर के पठार तथा दामोह से खोजी गई थी।
- मध्य प्रदेश के होशंगाबाद और नरसिंहपुर के बीच मे मौजूद नर्मदा घाटी मे जीवाश्म की खोज हुई थी, इस खोज की वजह से नरदा की यह घाटी पुरातत्वविदो के बीच बहुत ही प्रसिद्ध हैं।
- मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के पास देवकक्षार और बरमानघाट नाम के स्थान मे तथा ऊपरी नर्मदा के पास स्थित अमरकंटक के पास हरदा के मध्य और जबलपुर मे स्थित भेडाघाट नाम के स्थान से स्तनधारी जानवरो के जीवाश्म प्राप्त हुए थे।
- इसी क्रम मे सिहोरा डिस्ट्रिक मे हथनोरा नामके गाँव के पास से से मानव की खोपड़ी के सबूत मिले थे। नरसिंहपुर के महादेव पिपरिया में डॉ सुपेकर ने लगभग 860 औजार खोजे थे।
- मालवा के क्षेत्र में भी चम्बल घाटी के पास मंदसौर तथा नाहरगढ़ में ए.पी.खत्री, एस.के. श्रीवास्तव एवं वी.एस. वाकणकर के प्रयास से पुरापाषाण काल मे इस्तेमाल होने वाले औजार खोजे गए थे।
- सतना और रीवा जिले मे जी.आर. शर्मा के द्वारा किए गए 100 से अधिक सर्वेक्षण मे पुरा पाषाण काल के जगहो की खोज की गई थी।
- भीमबैठका और रीवा से भी पुरा पाषाण काल के औज़ार मिले थे, इनमे प्रमुख औज़ार छूरी और छेनी हैं। भीम बैठका मे पुरा पाषाण काल के लोगो के निवास स्थान के कालोनी की श्रंखला मिली हैं।
मध्य पाषाण काल
- पुरातत्व ज्ञाता सी.एल. कलाईल को मध्य पाषाण काल की खोज का श्रेय दिया जाता हैं। इन्होने 1867ई मे विंध्या के क्षेत्र से ऐसे औजारो की खोज की थी जिनका संबंध मध्य पाषाण काल के लोगो से था।
- मध्य प्रदेश मे मध्य पाषाण काल के लोगो से जुड़े साक्ष्य जबलपुर के पास बड़ा शिमला नामकी पहाड़ी से प्राप्त हुये थे, इस स्थान से विभिन प्रकार के अस्त्र प्राप्त हुये थे। इस खोज से यह भी पता चला हैं की इस काल के संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण जगह जबलपुर थी।
- होशंगाबाद जिले के पास स्थित आदमगढ़ शैलश्रय मे पुरातत्व ज्ञाता आर.बी. जोशी के द्वारा 1964 मे लगभग 25 हजार लघु पाषाण उपकरणो को खोजा गया था।
- इसके अलावा होशंगाबाद के आदमगढ़ से पालतू जानवरो की हड्डियाँ भी बड़ी संख्या मे मिली हैं।
नया पाषाण काल
- इस युग मे मिले औज़ार आमतौर पर सेल्ट, कुल्हाड़ी, बसूला आदि थे। यह औज़ार पालिश किए हुये रूप मे मध्य प्रदेश के जबलपुर के मुनई, कुंडम,बुरचेंका मे मिले थे।
- जबलपुर के अलावा इस तरह के औज़ार मध्य प्रदेश के दमोह के हटा, होशंगाबाद, छतरपुर के जतकारा और सागर के एरण तथा गढ़ीमोरीला मे भी पाये गए हैं।
- नव पाषाण काल के लोग इन औज़ार का इस्तेमाल खेती, पशुपालन, कपड़ो के निर्माण, घरो के निर्माण, हथियार बनाने के लिए और आग को जलाने के लिए किया करते थे।
- नव पाषाण काल मे ही पहिये के इस्तेमाल की जानकरी मिलती हैं, पुरातत्वविद का मानना हैं की इस काल मे पहली बार पहिये की खोज की गई थी।
FAQ प्रागैतिहासिक काल
प्रश्न – प्रागैतिहासिक काल को कितने कलांतरों मे बांटा जा सकता हैं?
उत्तर- पाषाण काल को प्रागैतिहासिक काल भी कहा जाता हैं, इसे 3 उप काल मे बांटा जा सकता हैं। पुरापाषाणकाल, मध्यपाषाणकाल और नवपाषण काल यह प्रागैतिहासिक काल के उप काल हैं।
प्रश्न- पुरापाषण काल की संस्कृति पर शोध लगभग कितना वर्ष पुराना हैं?
उत्तर – पूरापाषाण काल पर शोध कार्य 150 वर्ष से भी ज्यादा पुराना हैं
प्रश्न – पुरपाषण काल के साक्ष्य के रूप मे हथनोरा मे किस प्रकार के अवशेष मिले थे?
उत्तर – हथनोरा गाँव मे मानव की खोपड़ी मिली थी।
प्रश्न – भारतीय पुरातत्व का जनक किसे कहा जाता हैं?
उत्तर – अलेक्ज़ेंडर कनिघम को
प्रश्न – पुरापाषाण काल से संबन्धित मध्यप्रदेश के किस स्थान मे पालतू जानवरो के अवशेष मिले थे?
उत्तर – आदमगढ़ से पालतू जानवरो के अवशेष प्राप्त हुये थे।
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