गधे को वैशाखनंदन क्यों कहते हैं

गधे को वैशाखनंदन क्यों कहते हैं

गधे को हिन्दू शास्त्रों में वैशाखनंदन कह कर पुकारा गया है आज इस लेख के माध्यम से जानेंगे की “गधे को वैशाखनंदन क्यों कहते हैं“?

जब वर्षा ऋतु में बारिश के बाद धरती में हर तरफ हरियाली छा जाती हैं तो सभी जानवर अती प्रसन्न होते हैं। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि हर तरफ ढेर सारी घाँस होती हैं, जिसे देख कर सभी जानवर खुश हो जाते हैं। और मजे से घास खा कर तंदरुस्त भी हो जाते हैं। लेकिन दूसरी तरफ गधा यह सभ देख कर चिंतित हो जाता हैं। और सोचता हैं की इतनी सारी घास उसे खानी पड़ेगी। यह सोच सोच कर वह दुबला हो जाता हैं।

लेकिन जब बैशाख यानि की अप्रैल का महिना आता हैं तो हरे भरे घास के मैदान सुखने लगते हैं। और घास कम हो जाती हैं। यह सब देख कर गधा बहुत खुश होता हैं उसे लगता हैं की उसने सभी घास खा ली हैं। और यही सोच सोच कर वह प्रसन्न रहता तो हैं ही साथ मे प्रसन्नता की वजह से वह पूरे साल की तुलना में बैशाख के महीने मे तंदरुस्त भी हो जाता हैं।

आखिर क्यो गधा इतना तंदरुस्त हो जाता हैं, आइये जानते हैं इसकी वजह? बारिश के बाद गधा कमजोर हो जाता हैं, क्योंकि जब गधा घास चरता हैं तो घास चरते चरते वह पीछे जरूर देखता हैं, जब वह देखता हैं की अभी तो पूरा मैदान हरा-भरा हैं तो उसे महसूस होता हैं की उसने अभी बहुत कम घास खाई हैं। यही सोच सोच कर वह पूरी बरसात के मौसम मे कमजोर और दुबला हो जाता हैं। लेकिन जब बैशाख का महिना आता हैं तब गधा ह चरते-चरते जब पीछे देखता हैं तो वह देखता हैं की अब मैदान में बहुत कम घास बची हुई हैं। तो उसे लगता हैं की यह सारी घास उसी ने खाई हैं। तब उसे लगता हैं की वह बहुत खा रहा हैं, यह सोच सोच कर उसे प्रसन्नत मिलती हैं। और उसके शरीर मे बदलाव आता हैं और वह तंदरुस्त हो जाता हैं।

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क्योंकि गधा भ्रम के चलते खुस रहता हैं और तंदरुस्त रहता हैं वो भी बैशाख के महीने मे इसलिए शास्त्रो मे और मुहावरों मे गधे को बैशाख नन्दन कहा गया हैं।  अगर कोई व्यक्ति कुछ मूर्खता पूर्ण हरकत करता हैं तो उसे भी गधे की उपमा देने के लिए बैशाखनन्दन कह दिया जाता हैं।

गधा का पर्यायवाची शब्द

गधे के निम्न पर्यावची शब्द हैं –

  1. गदर्भ
  2. खर
  3. खोता
  4. चक्रीवा
  5. गंवार
  6. जड़
  7. धूस
  8. राशभ
  9. बेशर
  10. शंखकर्ण

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