गीतांजली की कहानी – लालची समोसे वाला

गीतांजली की कहानी – लालची समोसे वाला

बीरु लॉकडाउन की बजह से मुंबई नहीं जा पाया, वह मुंबई के एक बड़े होटल मे मैनेजर था। लॉकडाउन की वजह से उसकी छुट्टी हो गई और वह अपने गाँव भितरी मे ही रह रहा था, लेकिन घर चलाने के लिए उसे कुछ करना था। इसलिए उसने भीतरी बस स्टैंड मे समोसा और बड़ा पाव की दुकान खोल ली।

धीरे धीरे उसकी दुकान अच्छी चलने लगी, भीतरी गाँव के सरपंच दीपक रोज अपने घर के लिए 100-200 का समोसा ले जाया करते थे।

इसी प्रकार गाँव भर से लोग उसके यहाँ समोसा, बाड़ा-पाव और पोहा खाया करते थे। बीरु मांग के अनुसार समोसा नहीं बना पा रहा था। इसलिए उसने दुकान मे एक नए लड़के को रखा, पर इससे भी उसे मदद नहीं मिली, क्योकि वह समोसा बनाने के लिए पूरी सामाग्री बड़ी ही सफाई के साथ बनाया करता था, जिससे चाहकर भी वह मांग के अनुसार समोसा और बड़ापाव नहीं बना पा रहा था।

एक दिन उसके नौकर राजू ने बीरु से कहा की – “भैया, आलू धोने और छीलने मे बहुत समय लगता हैं, इसके अलावा चटनी बनाने के लिए लहसुन को छीलने मे भी बहुत समय लगता हैं। अगर हम लहसुन और आलू न छिले तो, हमारा बहुत समय बचेगा।“

बीरु ने राजू की बात मे सहमति जाहिर करते हुये, अगले दिन से आलू और लहसुन को छीलने वाले कार्य को करने के लिए माना कर दिया, लेकिन राजू ने एक कदम बढ़ते हुये, अब सब्जियों को धोने मे भी लापरवाही करने लगा।

मैदा ज्यादा होने की वजह से मैदा को गुथने के लिए राजू मैदे के आटे को पैरो से गूथने लगा। अब मांग के अनुसार समोसा और बड़ा-पाव बनाने लगा, बीरु खूब कमाई करने लगा, पर धीरे धीरे गाँव के लोगो की तबियत भी खराब होने लगी,

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उसी समय दीपक सरपंच की बहन रीणु भी लॉकडाउन की बजह से घर मे ही रुकी हुई थी। पूरे गाँव मे किसी न किसी को उल्टी दस्त की शिकायत बनी ही रहती थी, रीणु इंदौर के बड़े हास्पिटल मे डॉक्टर थी। इसलिए गाँव के सभी लोग रीणु के पास आकार अपना इलाज करवाते थे।

रीणु को शंका हुई की जरूर समोसे की वजह से ही गाँव भर के लोग उल्टी-दस्त का शिकार हो रहे हैं। एक शाम रीणु टहलने के लिए निकली, शनिवार का दिन था, ज़्यादातर लोग मंदिरो मे होते हैं, इसलिए बीरु की दुकान शनिवार को शाम के वक्त खाली रहती हैं।

रीणु बीरु की दुकान की ओर चल पड़ी, वहाँ पहुँच कर उसने एक रोशनदान से अंदर झाक कर देखा तो राजू पैरो से मैदे के आटे को गूँथ रहा था, बीरु रविवार के लिए बिना छिली आलू का मसाला तैयार कर रहा था। रीणु ने यह देखकर चुपके से इसका विडियो बना लिया, और व्हाट्स एप की मदद से पूरे गाँव मे फैला दिया। वीडियो को देख कर पूरे गाँव के लोग सन्न रह गए। उन्हे उल्टी-दस्त का कारण पता चल चुका था।

पूरे गाँव ने तय किया की अब वह बाहर का कोई भी खाना नहीं खाएँगे, और बीरु के यहाँ तो बिलकुल भी नहीं। जल्द ही बीरु की दुकान चलना बंद हो गई, बीरु को भी अपने दुकान का वह विडियो देखने को मिला, जिसे रीणु ने रिकार्ड किया था। उसे अपनी गलती का एहसास हो चुका था। पर अब बहुत देर हो चुकी थी, इसलिए बीरु ने भितरी मे दुकान को बंद कर दिया और रीवा मे दुकान खोल कर ईमानदारी से काम करने लगा।

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नोट – यह कहानी एक कल्पना मात्र हैं, भीतरी के किसी भी समोसा वाले से इसका संबंध नहीं हैं। भितरी गाँव की जगह दूसरे गाँव या काल्पनिक गाँव का नाम भी रखा जा सकता था, पर इससे पाठक उस तादाद मे नहीं मिल पाएंगे।