जलवायु क्या हैं?
किसी जगह मे अगर कोई मौसम लंबे समय तक एक जैसा बना रहता हैं तो उस मौसम को उस स्थान की जलवायु कहते हैं। भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसुनी जलवायु हैं।
मौसम क्या हैं?
किसी जगह मे थोड़े समय के लिए जो वायुमंडल स्थिति होती हैं उसे मौसम कहते हैं। उदाहरण के लिए अगर आज वायुमंडल मे ज्यादा तपन हैं, तो ये कहेंगे की आज मौसम गरम हैं। सरल शब्दो मे मौसम कर मतलब वायुमंडल की स्थिति से संबन्धित हैं। अगर ठंड लग रही हैं तो मौसम ठंड हैं, अगर पानी वर्ष रहा हैं तो बारिश वाला मौसम हैं। भारत मे मौसम से संबन्धित सेवाए 1875 मे प्रारम्भ किया गया था। मौसम सेवा से संबन्धित इसका मुख्यालय शिमला मे था। प्रथम विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद मुख्यालय को शिमला से बदलकर पुणे कर दिया गया था। भारत मे मौसम से संबन्धित सभी प्रकार के मान चित्र पुणे से ही प्रकाशित किए जाते हैं।
भारत के ऋतुओ का समय
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले मुख्य तीन कारण हैं।
1- उत्तर मे हिमालय का पर्वत : हिमालय का पर्वत भारत के जलवायु को काफी ज्यादा प्रभावित करता हैं। हिमालय की वजह से एशिया से आने वाली ठंडी हवाए भारत के मैदानी क्षेत्र मे नहीं आ पाती हैं।
2- दक्षिण मे हिन्द महासागर : भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय अपने आदर्श स्थिति मे हैं इसका कारण हिंदमहासागर का भू-मध्य रेखा के समीप मे होना हैं।
3- मानसून की हवाए : मानसूनी हवा समय समय पर अपनी दिशा को पूरी तरह से बदलते रहते हैं जिसकी वजह से भारत मे चार मौसम पाये जाते हैं,
ये चार मौसम हैं – शीत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु और शरद ऋतु हैं। शीत ऋतु भारत मे 15 दिसंबर से 15 मार्च के बीच होती हैं, ग्रीष्म ऋतु 16 मार्च से 15 जून तक भारत मे रहता हैं। इसके अलावा वर्षा ऋतु 16 जून से 15 सितंबर तक भारत मे रहता हैं और अंतिम मौसम शरद ऋतु हैं इसका समय भारत मे 16 सितंबर से 14 दिसंबर तक रहता हैं।
बिना वर्षा ऋतु के किन क्षेत्राओ मे वर्षा होती हैं और उनके कारण क्या हैं?
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में ठंड के मौसम में जो वर्षा होती है उसका मुख्य कारण पश्चिम विक्षोभ (Western Disterbance) या फिर jet Stream होता है। इसी प्रकार राजस्थान में भी ठंड के मौसम में बारिश होती है, इस वर्षा को माबट कहते हैं। तमिलनाडु के तटों पर ठंड के मौसम में वर्षा होती है, इस वर्षा का मुख्य कारण लौट कर आया हुआ मानसून या फिर उत्तरी पूर्वी मानसून होता है।
जेट स्ट्रीम क्या होता हैं? – दूसरे विश्व युद्ध के समय जेट स्ट्रीम नामकी यह वायुधारा को खोज निकाला गया था, यह एक हवा होती हैं जो पूरे वर्ष बहती रहती हैं। पशिम जेट स्ट्रीम पूरे साल बहती हैं। यह भारत के पश्चिम उत्तर क्षेत्र से लेकर दक्षिण पूर्वा क्षेत्र तक को प्रभावित करती हैं। पश्चिम जेट स्ट्रेम शुष्क और शांत होती हैं, शीत ऋतु मे यह आंशिक वर्षा का कारण भी बनती हैं।
पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स क्या होता हैं? भारतीय उप महाद्वीप मे शीत के मौसम मे उत्तरी क्षेत्र मे आने वाले तूफानो को पश्चिम विक्षोभ या फिर western disturbance कहते हैं।
असम और पश्चिम बंगाल के राज्यों में गर्मी के मौसम में बहुत तेज आद्रा हवाएं बहती है। इन हवा के साथ बादल गरजते हैं तथा बरसात भी होती है। इन हवाओं को पूर्वी भारत में नार्वेस्टर तथा बंगाल में काल वैशाखी के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार की वर्षा कर्नाटक में भी होती है लेकिन कर्नाटक में इस वर्षा को चेरी ब्लॉसम या फिर कॉफी वर्षा कहते हैं। क्योंकि इस वर्षा से कॉफी की खेती को लाभ पहुंचता है, इसीलिए कर्नाटक में गर्मी के मौसम में होने वाली बारिश को कॉफी वर्षा कहते हैं। इसी प्रकार केरल में भी गर्मी के मौसम में जो बारिश होती है उसे आम्र वर्षा बोलते हैं क्योंकि इन बारिश से केरला में आम के फसलों को लाभ मिलता है।
नार्वेस्टर क्या होता हैं? नार्वेस्टर एक प्रकार का तूफान हैं जो बहुत कम समय मे अचानक से तूफान का रूप ले लेता हैं। इस तूफान को मौसम विभाग आसानी से पता नहीं लगा पते हैं।
लू हवा क्या हैं?
भारत के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में गर्मी के मौसम में एक शुष्क तथा गर्म तेज हवा बहती है, इसका बहाव पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर होता हैं। इस हवा को लू कहा जाता है। माना जाता हैं की बलोचस्थान के रेगिस्तान से यह हवा उठती हैं। और मानसून के आने के बाद यह हवा समाप्त हो जाती हैं। भारत मे इसका आगमन मई के महीने मे होता हैं।
Inter Tropical Convergence Zone का भारत मे प्रभाव?
भारत के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में तथा पाकिस्तान में वर्षा ऋतु के समय उष्ण दाब का क्षेत्र बन जाता हैं। इस दाब को मानसून गर्त कहते हैं। इसी समय के आसपास ITCZ (Inter tropical Convergence Zone) यानी उत्तरी अंत: उष्ण अभिसरण उत्तर दिशा की ओर खिसकने लगता है और इसी के वजह से विषुवत रेखीय पछुआ हवाएं तथा दक्षिण गोलार्ध की दक्षिण पूर्वी वाणिज्यिक हवाएं विषुवत रेखा को पार कर के फेरेल के नियम को मानती हुई भारत में प्रवाहित होने लगती है और इसे ही दक्षिण पश्चिम मानसून के नाम से जाना जाता है। भारत के ज्यादातर बरसात इसी मानसून के द्वारा होती है।
भारत मे मानसून की कितनी शाखाये हैं?
भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है और प्रायद्वीपीय आकृति होने के कारण दक्षिण पश्चिम के मानसून की दो शाखाएं निर्मित होती हैं
1- अरब सागर की शाखा
2- बंगाल खाड़ी की शाखा
अरब सागर की शाखा का मानसून भारत में सबसे पहले केरल राज्य में जून के महीने के पहले सप्ताह में आता है। केरल में मानसून पश्चिमी घाट से टकराकर केरल के तट पर बारिश करता है। इस मानसूनी वर्षा को मानसून प्रस्फोट कहते हैं। देश मे 75% बारिश इसी मानसून के कारण होती हैं।
बंगाल की खाड़ी की शाखा का मानसून पूर्व दिशा के घाटो मे टकराता है इसके साथ ही मेघालय के शिलांग पठार से टकराता हैं। शिलांग पठार पर तीन पर्वत हैं गारो, ख़ासी और जयंतिया इनसे मानसून टकराकर का भरी मानसून की वर्षा करता हैं। ख़ासी पहाड़ मे ज्यादा बारिश होती हैं। बंगाल की खड़ी की शाखा वाली मानसूनी हवा ज्यादा बारिश लेकर आती हैं इसीलिए मेघालय के मानिसराम मे विश्व मे सबसे ज्यादा बारिश होती हैं।
राजस्थान मे मानसून की स्थिति क्या हैं?
राजस्थान मे ना तो अरब सागर का मानसून वर्षा कर पता हैं और ना ही बंगाल शाखा का मानसून वर्षा कर पाता हैं। अरब सागर से उठाने वाली मन्नसूनी हवा राजस्थान मे रुक नहीं पाती हैं क्योंकि अरावली की पहाड़ियों से मांससोन टकरा नहीं पाती हैं, ऐसा इस लिए हैं क्योंकि मानसून की हवा और अरावली के पर्वत समानान्तर हैं। इस लिए मानसून की हवाए राजस्थान को पार करके हिमालय पर्वत से टकराती हैं और धर्मशाला के निकट अधिक वर्षा करती हैं।
इस प्रकार बंगाल से उठाने वाला मानसूनी हवा राजस्थान पाहुच कर अरावली के पर्वतो से टकराता हैं, लेकिन वर्षा न के बराबर ही होती हैं, क्योंकि राजस्थान एक सूखा और उष्ण युक्त राज्य हैं, जो बंगाल से आए मानसुनी हवा मे मौजूद नमी को सोख लेता हैं। इसलिए राजस्थान मे बंगाल की खड़ी से उठाने वाला मानसून राजस्थान मे ज्यादा बारिश नहीं करता हैं।
मौसम के अनुसार वार्षिक वर्षा का विवरण | ||
वर्षा का मौसम | समायावधि | वर्षा की तादाद |
दक्षिण-पश्चिम मानसून | जून से सितंबर | 73.7% |
परवर्ती मानसून काल | अक्टूबर से दिसंबर | 13.3% |
पूर्व मानसून काल | मार्च से मई | 10.0% |
शीत ऋतु या उत्तर-पश्चिम मानसून | जनवरी- फरवरी | 2.6% |