एक बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस तानाशाह हिटलर से मिलने जर्मनी गये । नेताजी की हिटलर से ये पहली मुलाकात थी। हिटलर के आदमियों ने नेताजी को बाहर ही एक कमरे में बैठा दिया….
नेताजी बैठे-बैठे किताब पढ़ने लगे।
थोड़ी देर बाद एक आदमी बिलकुल हिटलर का हम शक्ल बनकर आया और नेताजी के साथ बात करके चला गया।नेता जी ने कोई भाव व्यक्त नहीं किया ।थोड़ी देर के बाद एक दूसरा आदमी हिटलर के वेश में फिर आकर नेताजी से बात करने लगा।
लेकिन नेता जी ने उसको भी कोई भाव नहीं दिया….
इस तरह एक के बाद एक कई लोग हिटलर के वेश धारण कर आते औऱ खुद को हिटलर बता नेताजी से बात करने की कोशिश करते। लेकिन नेताजी फिर भी बैठे बैठे किताब पढने में लगे रहते औऱ किसी भी व्यक्ति को भाव नहीं देते…
आमतौर पर हिटलर से मिलने के लिए गए लोग हिटलर के हमशक्ल से ही मिलकर चले आते लेकिन उन्हें ये भ्रम रहता कि उनकी मुलाकात हिटलर से हुई है।कुछ देर बाद हिटलर खुद आया और आते ही उसने नेताजी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया….
नेताजी तुरंत बोल उठे…. हिटलर….!
हिटलर भी आश्चर्य में पड़ गया कि इतने सारे मेरे हमशक्ल आये फिर भी आप मुझे कैसे पहचान गये… जबकि हमारी पहले कभी कोई मुलाकात नहीं हुई। नेताजी ने तब जवाब दिया कि जिसकी आवाज़ से ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी कांपते हैं, उस सुभाष चंद्र बोस के कंधे पर हाथ रखने कि गुस्ताखी इस दुनिया में सिर्फ हिटलर ही कर सकता है , दूसरा कोई नहीं और ना ही हिटलर का ही कोई आदमी ।
गुलाम भारत के आजाद फौजी को हम सब का कोटि कोटि नमन – बारंबार नमन उस भारतीय शेर को जिसने हमारे देश को स्वतंत्र कराया…
भारत माता की जय – वन्देमातरम्