मंगल वन मे बीरू नामका भालू रहता था, वह बहुत ही आलसी था, वह जंगल मे जहा भी घने पेड़ देखता वही आराम करने लगता। वह कोई भी काम नहीं करता था। बस यहाँ वहाँ घूमता, किसी के घर मे अगर उसे कोई फल से लदा पेड़ दिखाता तो वह उस घर मे घुस कर फल चोरी करता और फिर नदी किनारे छांव दार पेड़ के नीचे सो जाता।
लेकिन उसकी इस हारकर से भी ज्यादा बुरी हरकत थी उसकी चुगली करने की आदत। जब भी वह किसी की खुशी के बारे मे सुनता तो वह चिढ़ जया करता था। उसे किसी दूसरे की खुशी अच्छी नहीं लगती थी। अगर कोई उससे अपनी खुशी बताया करता तो वह मन ही मन उसे कोसता और दूसरों से उसकी झूठी बुराई करता था। जंगल मे लोग उससे सामना करने से डरते थे। इसलिए किसी ने भी बीरू भालू की इस बुरी आदत का विरोध नहीं किया था।
एक बार गजराज नामके हाथी के यहाँ खुशी मे निमंत्रण रखा गया था। भालू भी उस निमंत्रण मे गया, तो उसने गजराज हाथी से निमंत्रण का कारण पूछा तो गजराज ने बताया की उसकी नौकरी जंगल के राजा के यहा, लग गई हैं, वह जंगल के राजा का पहरेदार बन गया हैं। अच्छी पगार हैं, और दिनभर राजा के साथ घूमने का सौभाग्य भी मिलेगा।
यह सुन का बीरू भालू चिढ़ गया, और उसने गजराज हाथी की बुराई के लिए उसे राजा का चापलूस बता कर पूरे जंगल मे उसे बदनाम करने लगा।
यह बात हाथी को पता चली की बीरू भालू उसे पूरे जंगल मे बदनाम कर रहा हैं। हाथी पूरे जंगल का सबसे गनारु पहलबान था। उसने न आव-देखा-न-ताव और बीरू भालू को उठाकर खूब पिटा, बीरू भालू को उस दिन अपनी गलती का एहसास हो गया।
और उसने भगवान राम की कसम खा कर इस बुरी आदत को छोड़ दिया।