हिन्दी कहानी- मुर्गे का घमंड (Hindi Story- Murge ka Ghamand)
एक बार एक मुर्गे को घमंड हो गया की उसकी वांग की वजह से ही गांव के लोग सही समय पर उठ पाते हैं।
इस लिए वह गांव में आने वाले हर जानवर और पक्षी से अपनी सेखी बताता फिरता, एक दिन की बात हैं,
गांव में भटकते हुए एक बहुत सुंदर मोर आ गया था।वह पास के ही बगीचे में रहने लगा, गांव के सभी लोग उसे बहुत मानते थे। हर कोई उसके लिए खाना लेकर आता, तो कोई शहर से महंगे दाने लाता और उसे खाने को देता।
मोर की इतनी आवा-भगत देखकर मुर्गा चिढ़ गया और वह गांव वालो से बदला लेना चाहता था, इस लिए उसने निश्चय किया की सुबह मैं वांग नही दूंगा, तो गांव वाले सही समय पर नहीं जाग पाएंगे। तब उन्हे मेरे महत्व का पता चलेगा।
अब मुर्गा वांग नही देता था, लेकिन फिर भी लोग उठ कर अपना काम करने लगते, मुर्गे को हैरत हुई, हफ्ते बीत गए, मुर्गे ने वांग नही दी, लेकिन लोगो को कोई फर्क नहीं पड़ा। तभी एक रात कुछ दारुवाज लोग दारू पीने जा रहे थे, उनकी नजर मुर्गे पर पड़ी, तो एक ने कहा की चलो इसे भूंज कर खा लेते हैं, तभी दूसरे ने कहा की नही ये सुबह वांग देता हैं, इसे मत मारो तभी तीसरे ने कहा की यह हफ्ते भर से वांग नही दे रहा हैं, अब ये हमारे किसी काम का नही हैं, इसलिए इसे खा ही लेते हैं, और तीनों ने उसे आग में भूंज कर दारू के साथ खा-पी लिया।
दूर बैठा उल्लू ने मन ही मन कहा, किसी एक के भरोसे ये दुनिया नही चलती हैं, और जो लोग ऐसा सोचते हैं, उनका हाल इस मुर्गे जैसा ही होगा।
(पहली Hindi Story समाप्त)
हिन्दी कहानी – चापलूस आदमी (Hindi Story – Chaploos Aadami)
एक बार एक चुगुलखोर आदमी था, वह हमेशा अपनी गलती दूसरो के ऊपर डाल दिया करता था।
वह हमेशा बड़े लोगो की चमचागिरी करता, और वक्त आने पर बड़े लोगो की भी चुगली कर दिया करता था।
एक बार वह राजा के यहां आया हुआ था अपने सेठ के साथ, राजा के ठाट बाट देख कर उसने राजा की चमचागिरि करने लगा, और राजा की नजरो में आने के लिए उसने राजा के सामने सेठ की बुराई करने लगा की सेठ तो आपको बहुत बुरा भला बोलते हैं। लेकिन मैंने तो आपके बारे में हमेशा अच्छा ही सुना हैं, पाता नहीं सेठ ऐसा क्यों बोलते रहते हैं।
राजा बहुत चतुर था, उसे लग गया की यह बहुत अवसरवादी चमचा हैं। सेठ और राजा बचपन के मित्र थे इस लिए, राजा सेठ को अच्छे से जानता था।
राजा सुनी हुई बातों पर विश्वास नहीं करता था, और वह लोगो को देख कर जान जाता था की कौन कैसा आदमी हैं।
राजा ने उसे सबक सिखाने के लिए सोच लिया और चापलूस व्यक्ति से पूछा कि तुम हमारे लिए क्या कर सकते हो।
चापलूस ने कहा की महाराज जी मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूं। राजा ने आगे कहा की ठीक हैं, मेरे राज्य के उत्तर में मेरे खिलाफ विद्रोह हो रहा हैं, तुम्हारी स्वामी भक्ति देख कर मैं बहुत खुश हुआ, तुम मेरी एक सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करोगे, और वहां जाकर विद्रोह को खत्म करो। लेकिन अगर तुम वहां नही गए तो मैं तुम्हे फांसी में लटकवां दूंगा।
बेचारा चापलूस क्या करता, वह तो बुरा फंसा आगे कुआ, पीछे खाई । मन मार के वह सेना के साथ विद्रोह दबाने चला गया, और वहां उसे विद्रोहियों ने बंदी बना लिया और राजा का सेनापति मान कर उसकी खूब पिटाई की।
उस चापलूस को अब अपने कुटिल बुद्धि और चापलूसी की आदत पर बहुत पछतावा हुआ, पर अब बहुत देर हो चुकी थी।
शिक्षा – किसी की चापलूसी करने के लिए बुराई नही करना चाहिए, और चापलूसी करने वाला हमेशा कष्ट ही पाता हैं। किसी की चापलूसी करने के बजाय उसकी सेवा करो।
(दूसरी Hindi Kahani समाप्त)
हिन्दी कहानी – खरगोश और उसका आलस | Hindi Story – Khargosh aur Usaka Aalas
एक जंगल में पप्पू नाम का एक खरगोश रहता था। वह जंगल का बहुत ही तेज रफ्तार से भागने वाला जानवर था। उसने अखबार में एक सूचना पढ़ा, उसमें लिखा था कि जंगल के राजा को कुछ ऐसे जानवरों की तलाश है, उन्हे राजदूत बनाया जाएगा। उन्हे दूसरे जंगल तक संदेश पाहुचने का काम करना होगा।
खरगोश को नौकरी की तलाश थी, इस लिए खरगोश नौकरी के इंटरव्यू के लिए राजा के दरबार पहुंच गया।
जंगल के राजा के यहां बहुत सारे जानवर नौकरी पाने के लिए इंटरव्यू देने आए थे, खरगोश जब वहां पहुंचा तो पता चला राजदूत बनने के लिए उसके मित्र चूहा और बंदर आदि भी आए हुए हैं। कुछ देर बाद ही इंटरव्यू प्रारंभ हो गया और जब उस इंटरव्यू के परिणाम घोषित किया गया तो उसमें राजदूत के रूप में खरगोश को चुना गया, क्योंकि खरगोश बिना थके बहुत दूर तक यात्रा कर सकता है।
अब खरगोश का जीवन बहुत बढ़िया चल रहा था। हर महीने उसे अच्छा वेतन मिल जाया करता था। बदले में उसे दूत के रूप में दूसरे जंगल के राजा के सामने अपने जंगल के राजा के संदेशों को पहुंचाना होता था।
जंगल में एक बहुत बड़ा बांध था, जो इंसानों ने अपने उपयोग के लिए बनवाया हुआ था। एक गर्मी के दिन, उस बांध में नौकरी करने वाला एक आदमी जलती सिगरेट को एक सूखे झाड़ मे फेंक दिया। जिसकी वजह से जंगल में धीरे-धीरे आग बढ़ना चालू हो गया। जंगल के राजा शेर सिंह ने खरगोश को हाथियों के पास संदेश भेजने के लिए कहा कि जाओ हाथियों को कहो जल्दी से जंगल के बांध वाले छोर पर पहुंचे, और भड़की आग को अपने सूंढ में पानी भर के बुझाने का प्रयास करें।
खरगोश हाथियों को बुलाने जंगल की दूसरी छोर की ओर चल पड़ा, कुछ दूर जाने के बाद उसे रास्ते में मुलायम हरी घास दिखी। खरगोशों की एक कमजोरी होती है कि वह मुलायम हरी घास देखते ही उसे खाए बिना नहीं रह पाते और अगर उसे खा लिया तो फिर आराम जरूर करते हैं।
खरगोश को लगा की जंगल का दूसरा छोर बहुत दूर नहीं है। मैं थोड़ा हरी घास खा लेता हूं और थोड़ा आराम भी कर लेता हूं। इसके बाद मैं तुरंत जाकर हाथियों को बुला ला लूंगा। और और बांध की ओर मौजूद जंगल में लगी आग को पानी की मदद से बुझवा लूंगा।
यह सोच कर खरगोश ने हरी मुलायम घास को आराम से खाया और वही पेड़ के नीचे सो गया। वह जब उठा तो आधा दिन बीत चुका था। वह तुरंत हाथियों के पास पहुंचा और उन्हें जंगल में लगी आग के बारे में बताया। हाथी तुरंत जंगल के उस कोने की ओर चल दिए, जहां पर आग लगी थी। लेकिन हाथियों की रफ्तार बहुत तेज नहीं होती है, इसलिए हाथियों को वहां पहुंचने मे समय लग गया।
खरगोश की वजह से काफी देर हो गई थी और इतने समय में आग ने आधे जंगल को निगल लिया था। खरगोश जहां रहता था, वह स्थान भी जलकर खाक हो गया था। हाथियों की मदद से आग को बुझाई गई, पर जब तक कई जानवर बेघर हो गए थे, छोटे जानवर और पक्षी आग की आगोश में समा गए थे।
यह सब देख कर खरगोश को अपनी आलस पर बहुत गुस्सा आया, उसे अपने आप में शर्मिंदगी महसूस हुई, उसने उस दिन के बाद प्राण लिया कि अब वह कभी भी आलस नहीं करेगा। उसने जंगल के उन सभी जानवरों की सेवा की जिन्होंने जंगल की आग में अपना घर और परिवार खोया था, खरगोश का यही पश्चाताप था।
(तीसरी Hindi Story समाप्त)
Hindi Kahani – चौकीदार चोर हैं (Hindi Story- Chaukidar Chor hain)
एक मोहल्ले में एक चौकीदार रहता था, उसका नाम नरेंद्र था। वह बहुत ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाया करता था। एक रात मोहल्ले में चोरी हो गई, कई घरों से कीमती सामान चोरी कर लिए गए। सुबह जब मोहल्ले वालो को पता चला की मोहल्ले में चोरी हो गई है तो उन्होंने पुलिस को बुलवा लिया और दबे जबान चौकीदार नरेंद्र पर चोरी का आरोप लगाने लगे।
अब क्या पुलिस को भी उसी के ऊपर शंका होने लगी। पुलिस ने चौकीदार नरेंद्र को जेल में ले गए। जब पुलिस नरेंद्र को जेल ले जा रही थी, तो मोहल्ले के कुछ लोग नारे लगाने लगे की चौकीदार चोर हैं। चौकीदार चोर हैं। बेचारा चौकीदार नरेंद्र बहुत दुखी हुआ की जिन लोगो की वह रक्षा करता आ रहा था वो उसे चोर मानते हैं,
पुलिस ने अपनी जांच चालू कर दी। पुलिस ने जब मुहल्ले भर के सीसीटीवी कैमरे को देखा तो पता चला की चोर चौकीदार नरेंद्र नही हैं, वह तो चोरी के वक्त बाहर पहरा दे रहा था।
कैमरे को ध्यान से जांचा गया तो चोरी करने वाला कोई और था, उसका चेहरा तो नही दिख रहा था, लेकिन चोर ने हांथ में एक टैटू बनवाया हुआ था।
पुलिस ने उस टैटू की फोटो लेकर मुहल्ले के लोगो से पूछा की -“क्या आप किसी ऐसे आदमी को जानते हैं, जिसने इस तरह का टैटू बनवाया हो।”
तो मोहल्ले के लोगो ने झट से पहचान लिया की यह तो पप्पू हैं, मोहल्ले वालों ने पुलिस को बताया की -“ये यही पास में रहता हैं और हमारे मोहल्ले में चौकीदारी के लिए कई बार आवेदन दे चुका हैं। लेकिन, हम लोगो ने उसे नौकरी में नही रखा, क्योंकि वह नशे में रहता हैं। इसलिए वह चौकरीदार नरेंद्र से चिढ़ाता था और शायद इसीलिए उसने चोरी की हैं, जिससे इल्जाम उसके ऊपर लग जाए। मोहल्ले में बहुत से लोग चौकीदार नरेंद्र को नही रखना चाहते थे, क्योंकि वो लोग अपने गांव के किसी लड़के को चौकीदार बनना चाहते थे।”
पुलिस ने तुरंत पप्पू को पकड़ कर जेल में डाल दिया, और चौकीदार को छोड़ दिया मोहल्ले वाले ने चौकीदार से क्षमा मांगी और चौकीदार नरेंद्र को फिर से दुबारा नौकरी में रख लिया।
(चौथा Hindi Story समाप्त)