डरावनी काली रात, डरावनी काली रात कहानी, darawni kali raat

Gitanjali Ki Kahani – डरावनी काली रात– रात डेढ बजे घर के सामने वह कौन था?

यह कहानी एक डरावनी काली रात पर आधारित वर्ष 2007 की है। मैं PET की तैयारी कर रहा था, यह इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा होती है। अच्छे कॉलेज में दाखिला पाने के लिए, इस परीक्षा में अच्छे नंबर लाने होते हैं। इसलिए मैं बहुत ही मेहनत कर रहा था, देर रात तक पढता रहता था।

रात में पढ़ने के लिए माहौल भी अच्छा होता है, क्योंकि सभी लोग सो चुके होते हैं। सड़कों में आवाजाही नहीं होती है, सड़क खाली रहते हैं, इसलिए वातावरण बहुत ही शांत होता है। इसके अलावा शीतल हवा खिड़कियों से धीरे-धीरे कमरे में प्रवेश करती है, तो कमरे में मन को शांत चित कर देने वाले माहौल का निर्माण होता है।

मेरी स्टडी टेबल खिड़की से सटी हुई रखी थी, जिससे मैं रात मे बाहर का मनोहारी माहौल देख सकूं, साथ में बाहर से अंदर आने वाली शीतल हवा, सीधे मुझे लग सके।

एक रात में बैठा पढ़ाई कर रहा था, मैं एक प्रश्न में फस गया और आधे घंटे तक जब वह प्रश्न हल नहीं हुआ तो मैंने किताबे बंद कर दी और कुछ समय के लिए पढ़ाई से ब्रेक ले लिया। मेरे मास्टर कहते हैं जब किसी समस्या में फस जाओ और वह हल ना हो तो कुछ समय के लिए ब्रेक लेकर बाद मे हल करना चाहिए तो फिर वह प्रश्न हल हो जाएगा।

तो इसलिए मैंने 20 मिनट का ब्रेक ले लिया, अपने कमरे में रखे चाय बनाने वाली केतली में पानी, दूध, शक्कर और चाय की पत्ती डालकर चाय बनाई। यह केटली इलेक्ट्रॉनिक केतली है, जो बिजली से चलती है।

चाय बनाने के बाद, पारले-जी के साथ मैं वही खिड़की के सामने रखी अपनी स्टडी टेबल में बैठकर चाय और पारले जी के स्वाद का आनंद लेने लगा, साथ में बाहर का नजारा भी देखने लगा।

See also  Bhoot Ki Khani - वो डरावनी रात

तभी मेरी नजर घर से कुछ दूरी पर लगे लैंप पोल पर पड़ी। वहां कोई हल्के काले रंग का लबादा ओढ़े खड़ा था और वह मेरी तरफ ही देख रहा था। मुझे शंका हुई कि इतनी रात लगभग 1:30 बजे, यह कौन है और यहां क्या कर रहा है?

मैं थोड़ा डर गया, मैंने अपनी नजर उससे हटाकर कहीं और देखने का नाटक करने लगा, पर चोर नजरों से मैंने उसी पर अपनी नजरें टिकाई रखी।

थोड़ी देर बाद वह वहां से चलते हुए, ठीक मेरे घर के सामने वाले शर्मा जी के गेट के पास आकर खडा हो गया, इस बार उसका मुंह शर्मा जी के घर की ओर था।

मैं अब सशंकित और डरा हुआ था।

मैं तुरंत अपनी कुर्सी से उठा, और अपने कमरे की लाइट बंद कर दिया। कमरे की लाइट बंद कर देने से, मेरे कमरे में अंधेरा हो गया, जिसकी वजह से वह मुझे नहीं देख पाएगा और अब मैं उस पर सीधे नजर रख सकूंगा। वह लगभग 5 मिनट तक शर्मा जी के गेट के पास खड़ा रहा, और उनके घर को देखता रहा। अचानक बहुत तेज बिजली कड़की, और उसके साथ पूरे मोहल्ले की लाइट गोल हो गई, अब हर तरफ घुप्‍प अंधेरा था।

मैं अब बहुत डर गया था, मेरे पूरे शरीर में एक सिहरन दौड़ गई थी। मैंने तुरंत खिड़की बंद की, पर जैसे ही मैंने खिड़की बंद की, पीछे से मेरे कमरे का दरवाजा भी चर्र की आवाज के साथ धीरे धीरे खुलने लगा। इसके साथ ही पूरे कमरे में अजीब सी गंध फैल रही थी, जो सीलन और फफूंद की गंध लग रही थी। एक बार के लिए मुझे लगा जैसे मैं किसी तालाब के किनारे पर हूं। पानी की बहने की आवाजें महसूस हो रही थी। मैं पसीने से तरबतर हो चुका था।

See also  Gitanjali ki Kahani - लापरवाह और गुमक्कड़ बीरू

मैं चिल्लाना चाह रहा था, पर मैं चिल्ला नहीं पा रहा था। जैसे किसी ने मेरे मुंह को जकड़ लिया हो, मैं भागना चाहता था, पर मैं भाग नहीं पा रहा था। जैसे किसी ने मेरे पैरों को पकड़ रखा हो।

तभी लाइट आ गई, और मेरे शरीर की जकड़न एकदम से लुप्त हो गई, मैंने कमरे के चारों तरफ नजर डाली, पर वहां पर कोई नहीं था। अब गंध भी गायब हो चुकी थी। परंतु जैसे ही मैंने फर्श की ओर देखा, तो वह गीला थी, जैसे किसी ने अभी अभी वहां, गीले कपड़े से पोछा लगाया हो। मैं भागते हुए बहुत तेजी से नीचे वाले मंजिले मे गया, और घर के सभी लोगों को उठाया और पूरी बात बताई।

घर के सभी लोग घबरा गए थे, अगले दिन घर के प्रमुख पंडित जी को बुलाकर, उन्हें पूरी समस्या बताई गई। तो उन्होंने मानस के पाठ कराने के लिए कहा।

अगला दिन शनिवार का दिन था, उस दिन हमारे घर में मानस पाठ की स्थापना कराई गई और मानस समाप्ति के बाद भंडारा कराया गया।

अब हर सप्ताह शनिवार को हमारे घर में सुंदरकांड होता है। साल भर में 2 बार मानस पाठ होती है। तब से लेकर अब तक मेरे घर में अब सब ठीक है। अब मुझे वह आत्मा नहीं दिखी।
एक रात मुझे सपने में एक ऋषि आए, और उन्होंने बताया कि मैं नास्तिक विचारों वाला बनता जा रहा था, और अंग्रेजी के मद में इतना डूब गया था कि संस्कारों को भूलता जा रहा था।

इसीलिए मेरे घर कि दिव्य शक्ति और तेज कमजोर हो रही थी, जिसकी वजह से बुरी आत्माएं मेरे घर की ओर, खासकर मेरी ओर आकर्षित हो रही थी।

See also  Bhoot ki Kahani - रात की सवारी

उस सपने के बाद मैं दोनों टाइम दीया बाती करता हूं, और हनुमान चालीसा का पाठ करता हूं।

इसी के साथ दोस्तों आप लोग भी जोर से जय श्री राम बोलिए, और राम भगवान की विशेष कृपा पाने के लिए, इस कहानी को कम से कम 2 लोगों तक शेयर करिए।

Keyword – डरावनी काली रात, डरावनी काली रात कहानी, darawni kali raat