गीतांजली की कहानी- सेठ और बारिश को रोकने की ताकत

गीतांजली की कहानी- सेठ और बारिश को रोकने की ताकत

मध्य प्रदेश के सुदूर पूर्व में एक सीधी नाम का एक नगर था, इस नगर में एक सेठ रहता था। वह जबसे व्यापार करना प्रारंभ किया है उसे किसी भी व्यापार में लाभ नहीं होता था। जिस व्यापार को शुरू करता कुछ दिन बाद वह डूब जाता था। सेठ को हमेशा नुकसान होता वह बहुत परेशान हो चुका था। वास्तव में सेठ बहुत ही लालची था, वह पैसों का भूखा था और इसलिए वह अपने सभी व्यापार में जल्दी पैसे कमाने के लिए छल कपट करता था।

इसी छल कपट की वजह से उसका कोई भी व्यापार लंबे समय तक नहीं चल पा रहा था, एक दिन उसने भगवान की तपस्या करने के लिए जंगल में चला गया, और वहां पर भगवान की तपस्या करने लगा। भगवान को भी लगा कि यह धूर्त अचानक से कैसे इतना धार्मिक हो गया और मेरी पूजा अर्चना करने लगा। और भगवान ने उसके मन को जानने के लिए उसे दर्शन दे दिया।

सेठ ने भगवान को सामने देख अपनी प्रसन्नता जाहिर की, और भगवान के चरणों मे नतमस्तक हो गया। भगवान ने सेठ से कहा- हे सेठ मैं तुम्हारी पूजा अर्चना और व्रत से बहुत प्रसन्न हुआ, तुम्हें जो भी वरदान मांगना है मेरे से मांग लो,

सेठ मन ही मन बहुत खुश हुआ, और उसमें भगवान महादेव से अपार संपत्ति का वरदान मांगा, लेकिन भगवान महादेव में यह वरदान देने से मना कर दिया, उन्होंने कहा यह वरदान अगर तुम्हें पाना है तो तुम्हें श्री हरि विष्णु या फिर देवी लक्ष्मी की आराधना करनी होगी, संपत्ति के अलावा तुम मुझसे कुछ और मांग लो मैं तुम्हें वह सब कुछ दूंगा,

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तभी सेठ ने देखा कुछ ही दूर से एक बारात जा रही है, सेठ के मन में एक युक्ति आई, उसने सोचा की शादी-ब्याह तो कभी भी नहीं रुकेंगे, यह तो लगातार चलते हैं, हर वर्ष शादी-व्याह होते ही रहते हैं, और इन शादी ब्याह का सबसे बड़ा दुश्मन बरसात होता है, तो क्यों ना मैं भगवान से बरसात कराने की शक्ति मांग लूं, और जब भी किसी के यहां बरात होगी, तो बारिश रोकने के बदले मैं उससे मोटी रकम वसूल लूंगा।

यह सोचकर सेठ ने भगवान महादेव से बारिश कराने तथा रोकने की शक्ति मांग ली, भगवान शिव सेठ को तथास्तु बोलकर अंतर्ध्यान हो गए।

पूरे गांव में बात फैल गई की सेठ को भगवान से वरदान मिला है, की वह जब चाहे बारिश करा सकता है या जब चाहे बारिश को रोक सकता है। यह बात आग की तरह चारों दिशाओं में फैल गई। दूर-दूर से लोग सेठ से अपनी इच्छा अनुसार बारिश को रोकने या बारिश को कराने के लिए याचना करने आते थे, बदले में सेठ उनसे मनचाहा रकम वसूलता था।

सेठ के ही नगर में उसका चचेरा भाई भी रहता था, वह सेठ के बढ़ते हुये रुतबे से बहुत चिढ़ता था, साथ ही गांव के कुछ लोग भी सेठ से नफरत करने लगे थे, क्योंकि जो लोग सेठ को पैसे नहीं देते थे, सेठ उनके शादी ब्याह या अवसरों में खूब पानी गिर दिया करता था,

इसी जलन की वजह से गांव के लोग, सेठ के उस चचेरे भाई को लगातार सेठ के खिलाफ उसे भड़काते थे। एक रात सेठ का वह चचेरा भाई अपने भाई की नफरत में चूर होकर उसके घर चोरी छुपे घुस आया, और सेठ के खाने में जहर मिला दिया, जिसे खाने के बाद सेठ दुनिया से विदा बोल गया। सेठ के गुजरने की खबर सुनकर गांव के लोग बहुत दुखी हुए पर मन ही मन वह बहुत ही खुश थे, क्योंकि अब उन्हें सेठ के द्वारा लुटे जाने और धमकाया जाने का डर नहीं था।

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