Gitanjali ki Kahani - बुद्धिमान किसान और राजा

Gitanjali ki Kahani – बुद्धिमान किसान और राजा

भितरी राज्य के राजा दीपक नाथ थे, वह बहुत ही दयालु और प्रजा की देखभाल करने वाला राजा था। उनके राज्य मे सभी बहुत खुश थे। कोई भी गरीब नहीं था। लेकिन एक दिन अचानक राजा दीपक नाथ को एक विचार आया। वो अपने राज्य के किसानो के बुद्धिमत्ता की परीक्षा लेना चाहते थे। वो देखना चाहते थे, की उनके राज्य के किसान बौद्धिक रूप से कितने मजबूत हैं।

राजा दीपक नाथ ने पूरे भितरी राज्य मे ढिंढोरा पिटवा दिया की “इस मौसम मे होने वाली खेती से उत्पन्न सारे अनाज पर पूरा अधिकार राजा का होगा, लेकिन अगर राजा पूरी खेती मे हिस्सा लेगा तो यह प्रजा के साथ अन्याय होगा, इसलिए हमारे दयालु राजा ने शर्त रखी हैं की वो सिर्फ दाने और फल और जमीन के नीचे उत्पन्न होने वाले कंदमूल को लेंगे, बाकी तने पर किसान का हक होगा।”

पूरे राज्य के किसान घबड़ा गए। फिर उन्होने सोचा की राजा तो बहुत दयालु हैं अगर राजा ने इस तरह का कोई आदेश निकाला हैं तो निश्चित ही राजा किसी परेशानी मे होगा। कुछ डर से तो कुछ राजा की मदद के लिए खेती कर रहे थे। कुछ नाराज लोग थे, उन्होने खेत को खाली ही छोड़ दिया।

पूरे राज्य के लोग अलग अलग फसल बो रहे थे, कुछ गेंहू, तो कोई सारसो, कुछ चना बो रहे थे। कुछ लोगो ने आलू, तो कोई लौकी आदि बो रहे थे।

पर एक किसान था बीरू, वह बहुत देर तक राजा के आदेश के बारे मे सोचा और समझा। इसके बाद उसने अपने आधे खेत मे गन्ने लगवा दिया, कुछ भाग मे फूलगोभ, तो कुछ भाग मे गायों के द्वारा खाये जाने वाला चारा लगवा दिया।

See also  गीतांजली कि कहानी - बदले की भावना और बर्बादी

राज्य का कोई भी किसान बीरू के खेत देखता तो यही बोलता की बीरू तो राजा के द्वारा अवश्य दंड पाएगा।

60 दिन बाद राजा अपने राज्य के भ्रमण मे निकले, यह देखने के लिए की उनके आदेश का किसानो ने कैसे पालन किया हैं।

राजा जब बीरू की खेत मे पहुंचा तो वह बहुत खुश हुआ, और किसान बीरू को अपने पास बुलाया और खेत मे गन्ने और फूल गोभी तथा चारा लगाने का कारण पूछा।

बीरू ने राजा को प्रणाम कर बताया की “आपके आदेश मे मुझे संशय था, मुझे यह आदेश कम और परीक्षा ज्यादा लगा इस लिए मैंने आपके आदेश को गौर से सुना, उसमे आप ने किसी भी किसान पर क्या बोना हैं, इसका दबाब नहीं डाला हैं, और आप सिर्फ, अनाज, फल और कंदमूल लेने के लिए कहाँ हैं, इसलिए मैंने गन्ना बोया, इसमे कोई अनाज नहीं होता हैं यह सिर्फ ताना हैं, फूलगोभी एक फूल हैं, तथा चारे मे ना तो कंदमूल होता हैं और ना ही अनाज। इसप्रकार मेरे द्वारा किए गए खेती से आप कुछ नहीं ले पाएंगे। और इसी लिए मैंने यह सब बोया।“

राजा ने किसान के उत्तर को सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ। राजा ने अपने आदेश को तुरंत रद्द कर दिया। और बीरू किसान को ढेर सारा पुरस्कार दिया गया। तथा उसे दरबार मे राजा का सलाहकार नियुक्त किया गया।